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मुंडका अग्निकांड में फोरेंसिक विशेषज्ञों ने दी चौंकाने वाली जानकारी,


नई दिल्ली, ।: दिल्ली के मुंडका इलाके में हुए भीषण अग्निकांड में फोरेंसिक विशेषज्ञों ने एक चौंकाने वाली जानकारी दी है। विशेषज्ञों के अनुसार फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) में मुंडका में भीषण आग की घटना के 27 पीड़ितों के अलावा अतिरिक्त डीएनए प्रोफाइल मिले हैं और नमूनों को भविष्य में पहचान में मदद करने के लिए संरक्षित किया गया है।

रोहिणी के एफएसएल(FSL) के विशेषज्ञों इस बात पर हैरान रह गए। जब वे डीएनए प्रोफाइल(DNA Profile) जनरेशन की मदद से जले हुए शवों की पहचान कर रहे थे और दो महीने की लंबी जांच में संबंधित दावेदारों के नमूनों के साथ उनका मिलान कर रहे थे। “कुल 27 शवों की पहचान की गई और उन्हें दावेदारों को सौंप दिया गया। हालांकि, विशेषज्ञों द्वारा जांच की प्रक्रिया के दौरान, कुछ अतिरिक्त डीएनए प्रोफाइल भी मिले, जिनमें कोई दावेदार नहीं था, वो भी कलेक्ट किए गए।

इस तरह के प्रोफाइल को भविष्य के संदर्भ के लिए संरक्षित किया गया है, एफएसएल निदेशक (रोहिणी) दीपा वर्मा ने भी इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस बात की संभावना है कि कोई व्यक्ति त्रासदी में अपने परिवार के किसी सदस्य की उपस्थिति के बारे में दावा कर सकता है। ऐसी परिस्थितियों में, हमारे पास संरक्षित अतिरिक्त डीएनए प्रोफाइल का उपयोग पहचान के लिए किया जा सकता है।”

मालूम हो कि 13 मई को मुंडका इलाके में एक व्यावसायिक इमारत में आग लगने के बाद 27 लोग जलकर मर गए थे। आग पहली मंजिल से शुरू हुई जिसमें एक सीसीटीवी कैमरा कार्यालय और राउटर निर्माण और संयोजन कंपनी थी। दिल्ली दमकल सेवा ने आग में फंसे लोगों को बचाने के लिए क्रेन तैनात की थी, यहां लगी आग पर करीब सात घंटे के बाद काबू पाया जा सका। हालांकि आग का धुंआ पूरी इमारत में फैल गया था और कुछ लोगों ने खुद को बचाने के लिए खिड़कियों से छलांग लगा दी, जबकि कुछ ने नीचे उतरने के लिए रस्सियों का इस्तेमाल किया।

फोरेंसिक जांच के लिए जीव विज्ञान एवं डीएनए विभाग के प्रमुख डीएस पालीवाल के अधीन चार अधिकारियों को यहां से सैंपल कलेक्ट करने के लिए लगाया गया था। पालीवाल ने 2005 में सरोजिनी नगर विस्फोट में डीएनए विश्लेषण और पहचान प्रक्रिया की निगरानी की थी, जिसमें 100 से अधिक लोगों की जान गई थी। पालीवाल ने कहा कि घटना स्थल पर जले हुए शवों के सभी शेष हिस्से, कुछ मांस जो पिघले हुए और अत्यधिक खराब हो चुके थे उनको एकत्र किया गया था। इन्हीं सैंपलों के बाद इन 27 शवों की पहचान की गई मगर जो सैंपल कलेक्ट किए गए थे उनकी संख्या कहीं अधिक निकली है।