राजेश माहेश्वरी
कोरोनाकी दूसरी लहरका जानलेवा कहर देश और देशवासियोंने भोगा है। अब सरकारका पूरा जोर ज्यादासे ज्यादा आबादीका टीकेका कवच पहनाना है। एम्स दिल्लीके निदेशक डा. रणदीप गुलेरियाने भी आगाह कर दिया कि यदि कोरोना संबंधी अनुशासनका पालन नहीं किया गया तो तीसरी लहर महीनेभरमें ही आ धमकेगी और और पहलेसे ज्यादा घातक होगा। इससे बचावके लिए ज्यादासे ज्यादा टीकाकरण तो जरूरी है ही किन्तु उनकी सीमित उपलब्धताके अलावा इतनी बड़ी आबादीका टीकाकरण हंसी-खेल नहीं है। जैसी कि जानकारी है अबतक कुल २८ करोड़ लोगोंको एक और पांच करोड़से ज्यादा आबादीको दोनों टीके लगाये जा सके हैं। इस प्रकार मात्र लगभग तीन फीसदी जनताको ही टीकेकी दोनों डोज मिल पायी है। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संघटन और डा. गुलेरियाने जो चेतावनी दी है उसे गम्भीरतासे लेनेकी सख्त जरूरत है। अध्ययनसे पता चलता है कि आम लोगोंको टीकाकरणके बावजूद सतर्कताकी जरूरत है। तीसरी लहर आनेकी चेतावनी विशेषज्ञ दे रहे हैं, जिसके लिए हमें अभीसे ही तैयार रहनेकी जरूरत है।
कोरोनाकी दूसरी लहरके संक्रमणके घटते मामलोंके मद्देनजर कई राज्योंमें अनलाककी प्रक्रिया शुरू हुई है। अभी पहली लहरके अनलाकके बाद स्कूल-कालेज खुल भी नहीं पाये थे कि अपनी घोर लापरवाहियोंके कारण हम दूसरी लहरमें फंसते चले गये। अब पहली लहरके बाद अनलाक होनेपर बरती गयी लापरवाहीसे सबक सीखकर घर-दफ्तर और केवल जरूरी कामोंतक ही सीमित रहनेकी जरूरत है। कोरोनाके साथ इस लड़ाईमें टीकेके साथ मास्क और सामाजिक-देह दूरी वह अमोघ अस्त्र हैं जो कोरोना वायरससे हमें मुक्ति दिला सकते हैं। लेकिन तस्वीरका दूसरा पक्ष यह है कि अनलाककी प्रक्रियाके साथ ही उसी तरहकी बेफिक्री और लापरवाही सामने आने लगी है जैसे इस सालके आरंभमें पहली लहरके उतारके वक्त देखी गयी थी। कोरोना संक्रमणसे बचावकी गाइडलाइंस फिर किनारेकी जाने लगी हैं। बाजारोंके खुलते ही सोशल डिस्टेंसिंगकी जरूरतको नजरअंदाज किया जा रहा है। बाजारोंमें फेस मास्क नाकसे उतरकर ठोड़ीतक आ चुके हैं। सैर-सपाटेपर निकलनेको आतुर लोगोंकी कारोंके काफिले हिल स्टेशनोंकी तरफ कूच करने लगे हैं। अनलाककी स्थितिमें कोरोनासे बचावके लिए उचित वातावरण बनानेकी हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। बहुत आवश्यक होनेपर ही घरसे बाहर निकलना चाहिए। कम एवं अधिक आयुके लोगोंको और गर्भवती स्त्रियोंको तो केवल आवश्यकताको देखते हुए बाहर निकलना चाहिए।
अनलाककी प्रक्रिया लोगोंकी रोटी-रोजीकी व्यवस्थाको बनाये रखनेके लिए एक शासकीय उपक्रम है, जिसे हम सबको समझना होगा। रोगकी उग्रतासे बचनेके लिए हमें स्वयं ही सावधान रहना होगा। कोरोनाकी दूसरी लहरकी भयावहताके बाद जो धैर्य लोगोंमें भयसे नजर आ रहा था, उसे दरकिनार करनेकी होड़ जैसी लगी है। हम न भूलें कि कोरोना संकट अभी खत्म नहीं हुआ है। कोरोनाकी दूसरी लहरके कमजोर पडऩेके बाद अब जनजीवन सामान्य होने लगा है। अब आम जनताके साथ सरकारको कठोरताका परिचय देना होगा। अनलाक होनेकी स्थितिका सबसे ज्यादा दुरुपयोग बाजारों और सार्वजनिक स्थानोंमें दिखाई देता है। रैली, प्रदर्शन, उद्ïघाटन, धार्मिक और पारिवारिक उत्सव जैसे आस्थाके नामपर जुटनेवाले लोगोंकी भीड़पर सख्ती दिखानी होगी।
प्रशासनको भी भीड़ जुटनेवाले राजनीतिक और धार्मिक आयोजनोंके मामलेमें सख्ती दिखानी पड़ेगी। हमने कोरोना महामारीकी पहली लहरकी लापरवाहीका खमियाजा दूसरी सुनामीके रूपमें भुगता। अब ऐसा न हो कि कहीं दूसरी सुनामीके बाद अपनी लापरवाही एवं अनदेखीसे तीसरी सुनामीको न्योता दे दें। वैसे कोरोनाके दो हमले झेलनेके बाद हर किसीमें दायित्वबोध स्वाभाविक रूपसे आ जाना चाहिए। इसके बाद भी जो लोग गैर-जिम्मेदाराना रवैया रखते हैं तो यह कहना गलत न होगा कि उन्हें न अपनी चिन्ता है और न अपनों की। हम न भूलें कि दूसरी मारक लहरके दौरान एक अप्रैलके बादसे दो लाखसे अधिक लोगोंको महामारीने लीला। निस्संदेह संक्रमणके मामलोंमें गिरावट आयी है लेकिन इतने कम मामले भी नहीं हैं कि हम लापरवाहीके रास्ते चल पड़ें। किसी भी तरहकी लापरवाही तीसरी लहरको आमंत्रित करेगी, जिसके आनेको चिकित्सा विज्ञानी अपरिहार्य मान रहे हैं।
अनलाकमें बरती सतर्कता ही हमें तीसरी लहरसे बचायगी। वहीं रोजी-रोटीके साथ टीकाकरण और कोरोना प्रोटोकालका पूरा ध्यान रखना होगा। छूट मिलनेपर भी हम विवाह और मृत्यु आडम्बररहित रहें। जबतक संभव हो घरसे काम करें, डिजिटल भुगतान करें, भीड़-भाड़से बचें, बेवजह न घूमें, इत्यादि। कोरोना संक्रमणके मामले बढ़े तो हमने हर बार सरकार एवं प्रशासनको ही जिम्मेदार ठहराया, जो सही नहीं कहा जा सकता। देशके जिम्मेदार नागरिक होते हुए हमारा कर्तव्य बनता है कि हम कोरोना प्रोटोकालका ईमानदारीसे पालन करें। स्वास्थ्य समेत समस्त जिम्मेदारियां सरकार एवं प्रशासनकी ही नहीं हैं। सरकारके साथ हम यदि अपने कर्तव्योंका निर्वहन भली प्रकारसे करेंगे तो कोई दो राय नहीं कि कोरोना महामारीपर नियंत्रण न पा सकें।
कोरोनापर विजय पानेके लिए सरकारके कदमोंके साथ कदमताल करना होगा। सरकारको उसकी जिम्मेदारियोंका अहसास करानेके साथ हमें अपने कर्तव्योंका पालन भी ईमानदारीसे करना होगा। हमारी गैर-जिम्मेदाराना हरकत ही कोरोनाकी तीसरी लहर को भयावह बनायेगी। ऐसे में हम अवश्य जान लें कि खतरा अभी टला नहीं है। इसलिए इसे चुनौतीके रूपमें लें एवं देशके सच्चे, सजग नागरिक बनकर अपनी जिम्मेदारियोंको समझें। सभी नागरिक लापरवाही छोड़ अपने कर्तव्यका पालन करते हुए वैक्सीन अवश्य लें। हम सबकी लापरवाहीकी वजहसे अप्रैल माहमें देशमें स्थिति बहुत ही भयंकर हो गयी थी लेकिन लाकडाउन और कफ्र्यूके बाद महामारी काबूमें आयी है। इसलिए सभी लोग एकजुट होकर इस वैश्विक महामारीसे अपना-अपना बेहतर देकर छुटकारा पायें।