सम्पादकीय

फिर कोरोनाकी वापसी


डा. गौरीशंकर राजहंस 

हालमें यह सोचा जा रहा था कि भारतमें कोरोनाका संक्रमण काबूमें आ गया है। पूरे संसारमें प्रधान मंत्री मोदीकी जमकर तारीफ हो रही थी उन्होनें अपने देशके लोगोंको कोरोनाका टीका लगवानेके साथ अनेक जरूरतमंद देशोंको कोरोनाको समाप्त करनेके लिए जी खोलकर वैक्सीन भिजवाया। भारतका वैक्सीन अन्य देशोंके वैक्सीनसे कहीं ज्यादा कारगर और सस्ता साबित हो रहा है। परन्तु अचानक ही खबर आने लगी कि देशके अनेक राज्योंमें कोरोनाका नया दौर शुरू हो गया है और वह पहलेकी अपेक्षा ज्यादा खतरनाक है। मामला अत्यन्त ही गंभीर था इसीलिए प्रधान मंत्रीने सभी मुख्य मंत्रियोंकी बैठक बुलायी और उनके साथ वर्चुएल बैठकमें इस समस्याके समाधानके लिए तुरन्त कोई उपाय करनेका सुझाव दिया। इस संदर्भमें यही कहा जा सकता है कि कोरोनाके बेकाबू होते बेगने सबसे अधिक महाराष्ट्रकी जनताको संक्रमित किया और उसके बाद अनेक राज्योंके लोग भी तेजीसे संक्रमित होते गये। महाराष्ट्र, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गुजरात तथा देशके अन्य राज्योंमें यह संक्रमण तेजीसे फैला। चिन्ता इसलिए हो गयी कि दो सप्ताहके अन्दर ही प्रतिदिन संक्रमण फैलनेकी गिनती करीब-करीब दुगुनी हो गयी। किसीको सूझ नहीं रहा है कि इस समस्याका निदान कैसे किया जाय। अन्तमें बहुत सोच-विचार करनेके बाद प्रधान मंत्रीने सभी राज्योंके मुख्य मंत्रियोंके साथ वर्चुएल बैठक की और सभी राज्योंके मुख्य मंत्रियोंसे आग्रह किया कि अचानकसे आयी इस विपदासे कैसे निजात पायी जाय इसपर अपने सुझाव दें। कोरोनासे निजात पानेके लिए गंभीर रूपसे विचार होना चािहए। सभी मुख्य मंत्रियोंको सुननेके बाद प्रधान मंत्रीने कहा कि यह बीमारी अपने नये रूपमें विभिन्न राज्योंके प्राय: ७० जिलोंमें फिरसे पैर पसार रही है। प्रधान मंत्रीने कहा कि यदि कोरोनाको अभी नहीं रोका गया तो स्थिति बेकाबू हो सकती है।

इस बैठकमें उपस्थित सभी मुख्य मंत्रियोंने कहा कि लाख समझानेके बाद भी जनता इस बातको समझनेको तैयार नहीं है कि वैक्सीनके आ जानेके बाद भी स्थिति पहलेसे बेहतर नहीं हुई है। लोगोंको अपने पास पड़ोसके लोगों और अपने रिश्तेदारोंको यह समझाना चाहिए कि कोरोना बहुत ही गंभीर वायरस है और जल्दी इसपर निजात नहीं पाया गया तो यह पूरे देशकी अर्थव्यवस्थाको चौपट कर देगी। इसी बैठकमें यह रहस्योद्ïघाटन भी किया गया कि हालमें २४ घंटोंमें प्राय: २९ हजार नये केस आये हैं और इनकी संख्या प्रतिदिन तेजीसे बढ़ रही है। सभी मुख्य मंत्रियों और प्रधान मंत्रीने कहा कि दुर्भाग्यकी बात है कि आम जनता इस समस्याकी गंभीरताको नहीं समझ पा रही है। अब भी टीवीपर जो दृश्य दिखाये जा रहे हैं उनमें अधिकतर राज्योंमें लोग बिना मास्क पहने और बिना शारीरिक दूरी बनाये एक-दूसरेके साथ घूम रहे हैं। वह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि देर या सबेर वह इस भयानक बीमारीके शिकार हो सकते हैं।

प्रधान मंत्रीने कहा कि सबसे चिन्ताकी बात यह है कि कहीं यह बीमारी गांवोंमें नहीं फैल जाय। क्योंकि अभीतक यह बीमारी केवल शहरोंमें फैली थी और गांवमें तो लोग और भी अधिक बेपरवाह रहते हैं। इसलिए हर मुख्य मंत्रीका कर्तव्य है कि कड़ाईसे सुरक्षाका प्रबंध करें और बड़े पैमानेपर लोगोंको वैक्सीनका टीका लगवायें। पहले किसीने इस तरहकी बीमारीकी कल्पना भी नहीं की थी। परन्तु जब यह विपत्ती आ ही गयी है तो उसका दृढ़तासे मुकाबला करना चाहिए। कुछ मुख्य मंत्रियोंने सलाह दी कि जो जिले ज्यादा प्रभावित हैं वहां लॉकडाउन या कफ्र्यू लगा दिया जाय। इसपर प्रधान मंत्रीने कहा कि अब जो कुछ करना है वह राज्यके मुख्य मंत्री अपने सहयोगियोंके मिलकर करें। परन्तु इस बातकी सावधानी रखें कि दहशतका माहौल नहीं बनेे और अकारण लोग इस बीमारीके शीकार नहीं हो जायं।

इस बैठकमें कुछ मुख्य मंत्रियोंने कहा कि अधिकतर हिन्दी भाषा-भाषी क्षेत्रके लोग होलीके अवसरपर शहरों और दूसरे राज्योंसे अपने गांव जाते हैं। डर है कि कहीं वह अपने साथ बीमारीको गाव न ले जायं। अनुभव यह बताता है कि यदि गांवका एक व्यक्ति भी इस बीमारीसे ग्रसित है तो वह पूरे गांवको संक्रमित कर देगा। इस बीमारीके कारण देहातके कितने लोग संक्रमित हो जायंगे कहना कठिन है। खबर आयी है कि दिल्लीमें भी जोरोंसे लोग इस बीमारीसे संक्रमित हो रहे हैं। उम्मीद की जानी चािहए कि दिल्ली सरकार व्यापक पैमानेपर लोगोंको टीका लगवाकर इस बीमारीपर नियंत्रण पा जायगी। कुल मिलाकर स्थिति अत्यन्त ही भयावह है और किसीको यह सही ढंगसे सूझ नहीं रहा है कि इस बीमारीसे कैसे निजात पायी जाय। एक बात तो स्पष्ट है कि यदि अधिकसे अधिक लोग शारीरिक दूरीका ख्याल रखकर मुंहको मास्कसे ढक कर रखें तो इस बीमारीपर बहुत हदतक नियंत्रण पाया जा सकता है।