सम्पादकीय

सुनिश्चित हो कृषि उपजका विपणन


डा. जयंतीलाल भंडारी  

हालमें जारी चालू फसल वर्ष २०२०-२१ के लिए मुख्य फसलोंके तीसरे अग्रिम अनुमानके मुताबिक कोरोनाकी आपदाके बावजूद देशमें खाद्यान्नकी कुल पैदावार रिकार्ड स्तरपर पहुंचते हुए ३०.५४ करोड़ टन अनुमानित है। यह खाद्यान्न पैदावार पिछले वर्षकी कुल पैदावार २९.७५ करोड़ टनके मुकाबले ७९.४ लाख टन अधिक है। पिछले वर्ष २०२० में भी कोरोनाकी पहली लहरकी चुनौतियोंके बीच अर्थव्यवस्थाके दूसरे सेक्टरोंमें भारी गिरावटके बीच कृषि ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र रहा है जिसने सर्वाधिक वृद्धि बतायी है। आर्थिक सर्वेक्षण २०२०-२१ में कहा गया है कि कोरोना महामारीके दौरान जहां देशके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बड़ी गिरावट आयी और वह ऋणात्मक हो गयी, लेकिन कृषिकी विकास दरमें करीब तीन फीसदीसे अधिककी वृद्धि हुई है। ऐसेमें जीडीपीमें कृषिकी हिस्सेदारी १७.८ फीसदीसे बढ़कर १९.९ फीसदीके स्तरपर पहुंच सकती है। गौरतलब है कि केंद्र सरकारने फसल वर्ष २०२१-२२ के लिए खरीफ फसलोंके लाभप्रद एमएसपीका ऐलान किया है। धानका समर्थन मूल्य ७२ रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। इसका एमएसपी अब १९४० रुपये प्रति क्विंटल होगा। चूंकि देशमें खाद्य तेल और दालोंकी कीमतें बढ़ी हुई हैं, अतएव तिलहन एवं दलहनके एमएसपीमें वृद्धि की गयी है। सरकारने अरहर दालके एमएसपीमें ३०० रुपये प्रति क्विंटलकी वृद्धि की है। अरहर दालका एमएसपी अब ६३०० रुपये प्रति क्विंटल है। उड़द दालका एमएसपी भी बढ़कर अब ६३०० रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। मूंग दालका एमएसपी बढ़ाकर ७२७५ रुपये प्रति क्विंटल किया गया है। पिछले साल यह ७१९६ रुपये प्रति क्विंटल था। तिलहनमें तिलके एमएसपीमें सबसे ज्यादा ४५२ रुपयेकी वृद्धि की गयी है। अब तिलका एमएसपी ७३०७ रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।

मूंगफलीका एमएसपी २७५ रुपये बढ़ा है और ५५५० रुपये प्रति क्विंटलपर पहुंच गया है। सूरजमुखीका एमएसपी १३० रुपये बढ़ाकर ६०१५ रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। यदि हम रबी सीजनमें हो रही फसलोंकी खरीदीको देखें तो एमएसपीपर रिकॉर्ड खरीद हुई है। रबी मार्केटिंग सीजनमें रिकार्ड ४.०३२ करोड़ टनसे अधिक गेहूंकी खरीद हो चुकी है। केंद्रीय एवं राज्य एजेंसियोंने अपना खरीद लक्ष्य पूरा कर लिया है। रबी मार्केटिंग सीजनके लिए कुल ४.२७ करोड़ टन गेहूं खरीदका लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जबकि पिछले रबी खरीद सीजनमें कुल ३.८९ करोड़ टन गेहूंकी खरीद की गयी थी। उल्लेखनीय है कि इसी जून माहके दूसरे सप्ताहसे मानसूनने देशभरमें जोरदार दस्तक दे दी है। भारतीय मौसम विज्ञान और अन्य वैश्विक मौसम एजेंसियोंके द्वारा वर्ष २०२१ में अच्छे मानसूनके जो अनुमान प्रस्तुत किये गये हैं, उससे फसल वर्ष २०२१-२२ में कृषि उत्पादनके ऊंचाईपर पहुंचनेकी संभावनाएं निर्मित हुई हैं। मौसम विभागने कहा कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मानसून दीर्घावधि औसत (एलपीए) का ९८ फीसदी यानी सामान्य रह सकता है। दक्षिण-पश्चिम मानसूनके तहत जूनसे सितंबरके बीच बारिश होती है। एक खास बात यह भी है कि अबतक मानसून एवं वर्षाका पूर्वानुमान लगानेके लिए जिस तकनीकका इस्तेमाल किया जा रहा था, वह नियमित अंतरालपर पूर्वानुमान बतानेके लिए पर्याप्त नहीं थी। ऐसेमें इस वर्ष २०२१ में मौसम विभागके द्वारा जूनसे सितंबरकी अवधिके लिए मासिक आधारपर लांग रेंज फॉरकास्ट (एलआरएफ) पूर्वानुमान दिये जानेसे देशके किसान और संपूर्ण कृषि क्षेत्र अधिक लाभान्वित होगा। ज्ञातव्य है कि देशमें अच्छा मानसून आर्थिक-सामाजिक खुशहालीका कारण माना जाता है। यदि देशमें मानसून अच्छा रहता है तो देशकी अर्थव्यवस्थामें चमक आती है।

देशमें करीब ६० फीसदीसे ज्यादा खेती सिंचाईके लिए बारिशपर ही निर्भर होती है। कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमरके मुताबिक वर्ष २०२१ में जबरदस्त कृषि उत्पादन और अच्छा मानसून देशके आर्थिक-सामाजिक सभी क्षेत्रोंकी खुशियां बढ़ाते हुए दिखाई देगा। इसमें कोई दोमत नहीं है कि पिछले पांच-सात वर्षोंमें लगातार कृषि क्षेत्रमें एकके बाद एक अनेक ऐसे निर्णय लिये गये हैं, जिससे किसानकी आमदनी बढ़ी है, किसान महंगी फसलोंकी ओर आकर्षित हुए हैं। एमएसपीको उत्पादन लागतके १.५ गुनाके स्तरपर निर्धारित करनेकी दिशामें महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं। एक खास बात यह भी है कि वर्ष २०२१ में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन कोरोनाकी दूसरी घातक लहरकी चुनौतियोंके बीच गरीब वर्गकी अतिरिक्त खाद्यान्न जरूरतोंकी पूर्तिमें अहम भूमिका निभाते हुए दिखाई देगा। भारतीय खाद्य निगमके मुताबिक देशमें १ अप्रैल, २०२१ को सरकारी गोदामोंमें करीब ७.७२ करोड़ टन खाद्यान्नका सुरक्षित भंडार है, जो बफर आवश्यकतासे करीब तीन गुना है। ऐसेमें वर्ष २०२१ में कोरोनाकी चुनौतियोंके बीच एक बार फिर केंद्र सरकारके द्वारा लागू की गयी प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजनाके तहत ८० करोड़ लाभार्थियोंको नवंबर २०२१ तक खाद्यान्नकी अतिरिक्त आपूर्तिको भी सरलतासे पूरा किया जा सकेगा। खाद्यान्नके रिकॉर्ड उत्पादनके मद्देनजर देशकी खाद्यान्न संबंधी विभिन्न जरूरतोंकी पूर्तिके साथ उपयुक्त मात्रामें खाद्यान्नका निर्यात भी किया जा सकेगा।

यद्यपि कोरोनाकी आर्थिक चुनौतियोंके बीच इस समय देशके कृषि परिदृश्यपर विभिन्न अनुकूलताएं हैं, लेकिन कृषि क्षेत्रकी भरपूर प्रगति और अच्छे मानसूनका लाभ लेनेके लिए कई बातोंपर विशेष ध्यान देना होगा। सरकारके द्वारा कृषि उपजका अच्छा विपणन सुनिश्चित करना होगा। इससे ग्रामीण इलाकोंमें मांगमें वृद्धि की जा सकेगी। ग्रामीण मांग बढऩेसे ग्रामीण क्षेत्रोंमें मैन्युफैक्चरिंग एवं सर्विस सेक्टर बढ़ सकेंगे। खराब होनेवाले कृषि उत्पादों जैसे फलों और सब्जियोंके लिए लॉजिस्टिक्स सुदृढ़ किया जाना होगा। साथ ही पिछले वर्ष २०२० से शुरू की गयी किसान ट्रेनोंके माध्यमसे कृषि एवं ग्रामीण विकासको नया आयाम देना होगा। सरकारने एक लाख करोड़ रुपयेके जिस कृषि बुनियादी ढांचा कोषका निर्माण किया है, उससे उपयुक्त रूपसे शीघ्रतापूर्वक आवंटन करना चाहिए। चालू वित्तीय वर्ष २०२१-२२ के बजटमें कृषि एवं ग्रामीण विकासके लिए घोषित की गयी परियोजनाओंके क्रियान्वयनकी डगरपर तेजीसे आगे बढ़ाना होगा। उम्मीद है कि वर्ष २०२१ में कोरोनाकी दूसरी घातक लहरसे निर्मित आर्थिक चुनौतियोंके बीच एक बार फिर कृषि महंगीको नियंत्रित करनेमें मदद करेगी।