शिक्षक ले रहे संक्रमितों का हालचाल
(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। हैलो …! अब, तबीयत कैसी है? पहले से ठीक हैं न? हॉस्पिटल में हैं या घर में? परिवार के बाकी लोग तो ठीक-ठाक है न? ऐसे ही फोन पर शिक्षक संक्रमितों का हाल-चाल ले रहे हैं। उनका ब्योरा फॉर्मेट में भर रहे हैं। शिक्षकों की यह ड्यूटी कोरोनाकाल में लगायी गयी है।
इस ड्यूटी में एक-दो नहीं, अपितु सैकड़ों शिक्षक लगाये गये गये हैं। इनमें प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालयों तक के शिक्षक हैं। यहां पटना की बात करें, तो कोरोना संक्रमितों की लिस्ट सिरियल नम्बर, केस आई. डी., नाम, उम्र, लिंग और मोबाइल नम्बर के साथ शिक्षकों को हर दिन दे दी जाती है।
उसके बाद शिक्षक फोन से उनका हालचाल लेने और उसे फॉर्मेट में दर्ज करने में लग जाते हैं। फोन से पूछने और फॉर्मेट में भरते जाने का काम साथ-साथ चलता है। संक्रमितों से शिक्षक पूछते हैं- नाम, आवासीय पता और थाना? फिर पूछते हैं कि घर में हैं या हॉस्पिटल में? फिर से मोबाइल नम्बर लेते हैं। संक्रमण को लेकर पूर्व का इतिहास पूछते हैं। यह भी पूछते हैं कि मकान पक्का है या कच्चा? उसमें कितने कमरे हैं? क्या सिमटम था? कोई पुरानी बिमारी तो नहीं? और, परिवार में कितने सदस्य हैं?
यह ड्यूटी शिक्षक ट्रेसिंग सेल में बैठ कर बजा रहे हैं। ऐसे शिक्षकों ने बताया कि संक्रमितों से फोन पर ब्योरा लेकर उसे फॉर्मेट में भरने की उनकी ड्यूटी दिन में दस बजे से शुरू होकर शाम पांच बजे तक चलती है। हर दिन एक शिक्षक को पैंतालीस संक्रमितों से ब्योरे लेने होते हैं।
शिक्षकों की ड्यूटी सिर्फ ट्रेसिंग सेल तक ही सीमित नहीं है। ट्रेसिंग सेल से इतर भी कई सेल हैं, जहां शिक्षकों की ड्यूटी बज रही है। संक्रमितों को फोन पर दवा बताने की ड्यूटी भी शिक्षक बजा रहे हैं। इसके अलावे आइसोलेशन केंद्रों में भी शिक्षकों की ड्यूटी लगी हुई है। सेलों में ड्यूटी बजाने वाले शिक्षक बताते हैं कि उनसे ड्यूटी तो ली जा रही है, लेकिन संक्रमण से बचाव को लेकर उनके लिए सुविधाओं का अभाव है। यहां तक कि उनके लिए सैनिटाइजर की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है।
बहरहाल, कोरोना योद्धा के रूप में ड्यूटी बजाने को विवश शिक्षक संक्रमण के भय से सहमे हुए हैं। शिक्षकों से भी ज्यादा उनके घर-परिवार को सदस्य सहमे हुए हैं। जब शिक्षक ड्यूटी बजाने घर से निकलते हैं, पत्नी और बच्चे उनकी सलामती की दुआ मांगते हैं।