दोनों मशीनें खराब होने के बाद वेटिंग 10 घंटे तक पहुंच गई है. एंबुलेंस की लंबी लाइन लगने के बाद फिलहाल नगर निगम प्रशासन ने विकल्प के तौर पर लकड़ी की चिताओं पर दाह संस्कार की अनुमति दी है. दूसरी ओर लगातार टेक्नीशियन काम कर रहे हैं. माना जा रहा है कि मशीन ठीक होने में 3 दिन का समय लगेगा. नगर निगम के अधिशासी अभियंता अजय राम के मुताबिक काफी देर तक मशीनों का निरीक्षण करने के बाद यह साफ हुआ कि एक मशीन का बॉयलर पूरी तरीके से पिघल गया है.
दूसरे मशीन के बॉयलर पंखा अभी ठीक है, जिस मशीन का पंखा ठीक है उसके कुछ तार खराब हो गए हैं. उम्मीद है कि गुरुवार देर शाम तक दुरुस्त कर लिया जाएगा. यानी एक मशीन की कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन फिलहाल दोनों मशीन खराब होने से दिक्कतें बढ़ गई हैं.
बॉयलर ही पिघल गयाबताया जा रहा है कि मशीनों के लगातार चलने से बॉयलर हीट यानी अत्यधिक गर्म हो गया, जिसके कारण वो पिघल गया. इससे दोनों मशीनों ने काम करना बंद कर दिया. घाट पर इन दिनों शवों का बोझ लगातार बढ़ रहा है. एक मोटे आंकड़े के तौर पर प्रतिदिन यहां 100 के करीब शव पहुंच रहे हैं. वैसे तो संक्रमित शवों की अंत्येष्टि प्राकृतिक शवदाह गृह पर ही होती है, लेकिन बताते हैं कि संख्या अधिक होने पर शवों को लकड़ी से भी जलाया जाता है.