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कोरोना संक्रमित शवों के अंतिम संस्कार का संकट, CNG शवदाह गृह ठप, दोनों मशीनें खराब


वाराणसी. धर्मनगरी वाराणसी में एक तरफ कोरोना संक्रमण (Corona Infection) भयानक रफ्तार से बढ़ रहा है और लोगों को डरा रहा है. दूसरी तरफ अब कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद उनकी अंत्येष्टि का संकट खड़ा हो गया है. दरअसल, कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद जिस सीएनजी शवदाह गृह (CNG Crematorium ) में उनका दाह संस्कार होता है, उसकी दोनों मशीनें खराब हो गई हैं. इसके कारण शवों के दाह संस्कार की वेटिंग 10 घंटे तक पहुंच गई है. हरिश्चंद्र घाट पर लकड़ी की चिता पर सामान्य मौत वाले लोगों का दाह संस्कार होता है. प्राकृतिक गैस शवदाह पर कोरोना से मरने वालों का दाह संस्कार होता है.

दोनों मशीनें खराब होने के बाद वेटिंग 10 घंटे तक पहुंच गई है. एंबुलेंस की लंबी लाइन लगने के बाद फिलहाल नगर निगम प्रशासन ने विकल्प के तौर पर लकड़ी की चिताओं पर दाह संस्कार की अनुमति दी है. दूसरी ओर लगातार टेक्नीशियन काम कर रहे हैं. माना जा रहा है कि मशीन ठीक होने में 3 दिन का समय लगेगा. नगर निगम के अधिशासी अभियंता अजय राम के मुताबिक काफी देर तक मशीनों का निरीक्षण करने के बाद यह साफ हुआ कि एक मशीन का बॉयलर पूरी तरीके से पिघल गया है.

दूसरे मशीन के बॉयलर पंखा अभी ठीक है, जिस मशीन का पंखा ठीक है उसके कुछ तार खराब हो गए हैं. उम्मीद है कि गुरुवार देर शाम तक दुरुस्त कर लिया जाएगा. यानी एक मशीन की कुछ राहत मिल सकती है, लेकिन फिलहाल दोनों मशीन खराब होने से दिक्कतें बढ़ गई हैं.

बॉयलर ही पिघल गयाबताया जा रहा है कि मशीनों के लगातार चलने से बॉयलर हीट यानी अत्यधिक गर्म हो गया, जिसके कारण वो पिघल गया. इससे दोनों मशीनों ने काम करना बंद कर दिया. घाट पर इन दिनों शवों का बोझ लगातार बढ़ रहा है. एक मोटे आंकड़े के तौर पर प्रतिदिन यहां 100 के करीब शव पहुंच रहे हैं. वैसे तो संक्रमित शवों की अंत्येष्टि प्राकृतिक शवदाह गृह पर ही होती है, लेकिन बताते हैं कि संख्या अधिक होने पर शवों को लकड़ी से भी जलाया जाता है.