नई दिल्ली। देश का बिजली सेक्टर आज अपेक्षा से बेहतर स्थिति में है और पूरे देश को करीब-करीब मांग के मुताबिक पर्याप्त बिजली की आपूर्ति हो रही है। हालांकि कोरोना काल में बिजली सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इस दौरान बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) पर एक तरफ कर्जे का बोझ बढ़ा तो दूसरी तरफ उनका राजस्व संग्रह भी कम हुआ।
टीएंडडी से होने वाली हानि का स्तर बढ़ा
जानकारी के अनुसार, बिजली सेक्टर में ट्रांसमिशन व डिस्ट्रीब्यूशन (टीएंडडी) से होने वाली हानि का स्तर वर्ष 2019-20 में 20.73 फीसद से बढ़ कर 22.73 फीसद हो गई है। प्रति यूनिट बिजली की बिक्री से डिस्काम को होने वाला घाटा 24 पैसे से बढ़ कर 41 पैसे हो गया है। ये आंकड़े बिजली मंत्रालय के उपक्रम पावर फाइनेंस कार्रपोरेशन (पीएफसी) की तरफ से शुक्रवार को पावर यूटिलीटीज पर जारी सालाना रिपोर्ट में दी गई है।
वर्ष 2030 तक देश में बिजली की मांग होगी दोगुनी
बता दें कि रिपोर्ट तब जारी की गई है जब उदयपुर में केंद्रीय बिजली मंत्रालय के तत्वाधान में सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली मंत्रियों की सालाना बैठक हो रही है। इस बैठक में केंद्रीय बिजली मंत्री ने कहा है कि वर्ष 2030 तक देश में बिजली की मांग दोगुनी हो जाएगी। इसे हासिल करने के लिए सभी राज्यों को मिल कर सहयोग करना होगा। उन्होंने बताया कि पिछले 4-5 महीनों से देश में बिजली की मांग 11 फीसद की जबरदस्त रफ्तार से बढ़ी है लेकिन सरकार की मुस्तैदी की वजह से देश के अधिकांश हिस्सों में पर्याप्त बिजली उपलब्ध है। पूरी दुनिया में ऊर्जा का संकट है लेकिन भारत में ऐसा नहीं है।
बिजली बिक्री से राजस्व में 1.76 फीसद की कमी
उन्होंने कहा कि कोयले की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के बावजूद देश में बिजली की कीमतों में कोई बड़ी वृद्धि नहीं की गई है। जहां तक पीएफसी की रिपोर्ट की बात है तो इसमें वर्ष 2020-21 के आंकड़ें हैं लेकिन इनसे साफ पता चलता है कि देश के बिजली सेक्टर में कई समस्याएं जो पहले से चली आ रही थी वो कोरोना काल के दौरान और ज्यादा गंभीर हो गई थी। डिस्काम को होने वाला घाटा इस दौरान 66 फीसद बढ़ कर 50,281 करोड़ रुपये का हो गया था। डिस्काम की तरफ से बेची जाने वाली बिजली में 1.88 फीसद की गिरावट हुई लेकिन बिजली बिक्री से राजस्व में 1.76 फीसद की कमी हो गई। इस वजह से प्रति यूनिट बिजली आपूर्ति से घाटा 24 पैसे से बढ़ कर 41 पैसे हो गया है।