Post Views: 657 श्रीराम शर्मा प्रकृतिकी मर्यादाओंमें चलकर ही सुखी और संपन्न रहा जा सकता है। इसीको नैतिकता भी कहा जा सकता है। जिस प्रकार प्रकृतिकी व्यवस्थामें प्राणियोंसे लेकर ग्रह-नक्षत्रोंका अस्तित्व, जीवन और गति-प्रगति सुरक्षित है, उसी प्रकार मनुष्य नैतिक नियमोंका पालन कर सुखी एवं संपन्न रह सकता है। नैतिकता इसीलिए आवश्यक है कि अपने […]
Post Views: 390 रमेश सर्राफ धमोरा पूरे देशके लोगोंमें कोरोनाके कारण भयका माहौल व्याप्त हो रहा है। दूसरे प्रदेशोंमें रोजी-रोटी कमानेके लिए गये लोग भी फिरसे लाकडाउन लगनेकी आशंकासे अपने घरोंको लौटने लगे हैं। देशमें कोरोना वैक्सीन लगानेका काम तेजीसे चल रहा है। कोरोना वैक्सीन लगना प्रारम्भ होनेके तीन माह बाद भी अभीतक देशकी मात्र […]
Post Views: 584 श्रीश्री रविशंकर सारी सृष्टि पांच महाभूतोंसे बनी है। हमारा शरीर भी उन्हीं पांच महाभूतों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाशसे निर्मित हुआ है। हम अग्नि और आकाशको प्रदूषित नहीं कर सकते। पृथ्वी, जल और वायुका प्रदूषण तो हो ही रहा है। पेड़ोंको काटनेसे ऊंची-ऊंची लोहे, कंकड़, पत्थरकी इमारतें बनानेसे नगरोंका मौसम बदल जाता […]