चहनियां। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर का हवाला देकर विगत डेढ माह से विद्यालयों को बन्द किये जाने से वित्तविहीन विद्यालय संचालक प्रबन्धको, प्रधानाचार्यों, शिक्षकों में आक्रोश पनपने लगा है। जो आगामी विधान सभा चुनाव में नाराजगी के रूप में परिणाम में दिखने की सम्भावना प्रबल हो गयी है। विद्यालय बन्द होने से विद्यार्थियों के पठन पाठन पर काफी प्रतिकुल असर पडऩे लगा है। जिससे अभिभावकों में भी आक्रोश पनपने लगा है। इस सम्बन्ध में राहुल इन्टरनेशनल पब्लिक स्कूल महुअरकला बलुआ के प्रबन्धक आनन्द तिवारी सोनू ने कहा कि बीते वर्ष करीब 9-10 माह विद्यालय संचालन पर लगातार प्रतिबंध रहा। किसी प्रकार से विद्यालय खुला तो फिर तीसरी लहर के नाम पर विद्यालयों को बन्द कर दिया गया है जिससे प्रबन्धकों को कई प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। कई प्रबन्धकों को गाडिय़ों के फाइनेंसरो से जहां मुंह छिपाना पड़ रहा है। वहीं आदर्श मां गायत्री बाल विद्या मंदिर एवं जूनियर हाईस्कूल शेरपुर मारूफपुर के प्रधानाध्यापक दुर्गेश पांडेय ने कहा कि शासन की दोमूही गाइडलाइंस से शिक्षा का स्तर अवनति की ओर अग्रसर है जो कहां जाकर रूकेगा कह पाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि जनपद में देवालय, मुद्रालय, मदिरालय, चुनाव कार्यालय, वस्त्रतालय, अधिकारी कार्यालय, न्यायालय सभी खुले हैं इतना ही नहीं मौनी अमावस्या पर लाखों की भीड़ बलुआ घाट पर जुटी रही उससे कोरोना नहीं हो रहा है। मगर विद्यालय के खुलने से कोरोना फैल रहा है। हर गली चौराहे पर संचालित कोचिंग सेंटरों के संचालन हो रहाा है जिससे कोई दिक्कत नही सिर्फ विद्यालयों के संचालन में सरकार को कोरोना संक्रमण का भय है जो सरकार के शिक्षा के प्रति सौतेलापन को जाहिर करता है। सरकार आनलाइन शिक्षा की बात कह रही है शहरी क्षेत्र को छोड़कर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां संसाधनों की कमी है वहां ऐसे प्रस्ताव का क्या मतलब है। उन्होंने कहा कि विद्यालय प्रबन्धकों, शिक्षकों, अभिभावकों व शिक्षार्थियों के हित में विद्यालय संचालन के लिए सरकार को तत्काल निर्देश जारी करने की कोशिश करनी चाहिए।