पटना

अरवल में ट्रक मालिकों से जबरन वसूली का मामला उजागर


      • ओवरलोड ट्रकों से होती है अवैध वसूली, बनाया गया है डंपिंग यार्ड
      • डीएम ने गठित की जांच कमिटी

अरवल। जिले में एक समय में बालू माफियाओं की अवैध कमाई की बात होती थी। बालू माफियाओं का काला साम्राज्य इतना बड़ा है कि लगातार सोन नदी से अवैध खनन करते रहे हैं। अवैध खनन इतना तेजी से हो रहा था कि जिले के सीमा को पार कर आरा जिले से भी बालू का खनन कर लाखों की उगाही करते हैं। इधर अरवल पुलिस सोन नदी से पीले सोने की लूट करने वालों पर कार्रवाई करने की दम्भ भरती नजर आती है। लेकिन, खाकी वर्दी द्वारा बालू माफियाओं से बड़े पैमाने पर रुपए उगाही का मामला सामने आया है। इस मामलें का उजागर होते ही जिले की पुलिस कटघरे में खड़ी नजर आ रही है।

दरअसल, जिले में पुलिस द्वारा बालू लदे ओवरलोड ट्रकों से उगाही करने के लिए अवैध यार्ड का निर्माण कराकर वसूली करने का मामला सामने आया है। इससे खनन व परिवहन विभाग को लाखों का चूना लग रहा है। बालू माफिया के बाद अब खाकी वर्दी में छिपे बालू माफिया की तस्वीर निकल कर सामने आयी है। पहले बालू माफिया सोन नदी से बालू की अवैध खनन कर अवैध लाखो रुपए की कमाई करते थे। अब खाकी वर्दी में छुपे बालू माफिया ट्रकों से अवैध कमाई कर रहे हैं। मामला जिले के सदर थाना क्षेत्र का है, जहां ओवरलोड बालू लदे ट्रकों से लाखों रुपए की उगाही की जा रही है।

जानकारी के अनुसार पुलिस पहले ट्रक को पकड़ती है। उसके बाद ट्रक मालिक को दलाल के जरिए फोन करवाया जाता है और मामला मैनेज करने को कहा जाता है। मामला मैनेज ना करने पर परिवहन विभाग और खनन विभाग के अधिकारियों की सूचना देने की बात कही जाती है। ट्रक मालिकों को कहा जाता है कि विभाग को सूचना देने पर 5 लाख से अधिक का जुर्माना भरना पड़ेगा, इसलिए थाने से ही मैनेज कर अपना ट्रक ले जाओ। इतना ही नही, पकड़े गए ट्रकों को रखने के लिए सदर थाने की पुलिस के द्वारा अवैध रूप से तीन यार्ड का निर्माण कराए जाने की भी बात सामने आई है।

कहा जा रहा है कि पुलिस ओवरलोड वाहनों को पकड़ती है और उसे यार्ड में खड़ी करती है। इधर गाड़ी पकड़े जाने की सूचना ना तो परिवहन विभाग को होती है और ना ही खनन विभाग को। यह जानकारी सिर्फ अरवल पुलिस को होती है। इसके बाद शुरू होता असली खेल। वाहन मालिकों से गाड़ी छोड़े जाने के एवज में रुपए की डिमांड की जाती है। मामला सेट हो जाने पर गाड़ी यार्ड से निकल जाती है। कहा जा रहा है कि पकड़े गए ओवरलोड बालू लदे ट्रकों को यार्ड में शिफ्ट कर प्राइवेट गार्ड की निगरानी में रखा जाता है।

किसके शह पर चल रही थी अवैध डंपिंग यार्ड

जिले में चल रहे इस अवैध उगाही का मामला उजागर होने के बाद सवाल उठ रहे है कि क्या बिना किसी बड़े अधिकारी के मिलीभगत के यह धंधा चल रहा है? क्या किसी थानेदार की इतनी जुर्रत हो सकती है कि अपने थाना क्षेत्र में अवैध उगाही करने के लिए यार्ड बना डालें? कुछ लोग तो दबे जुबां में यह भी कह रहे हैं कि यह अवैध डंपिंग यार्ड किसी बड़े पुलिस अधिकारी के शह पर ही चलाया जा रहा था। ऐसे में कहा जा सकता है कि खाकी वर्दी पर बालू के दाग लगे हुए हैं। ट्रक मालिकों से अवैध उगाही करने में खाकी दागदार हुई है। हालांकि इस मामले में पुलिस अधीक्षक राजीव रंजन कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं।

खनन व परिवहन विभाग को नहीं दी जाती सूचना

ट्रक चालकों ने बताया कि जो ट्रक मालिक मोबाइल नंबर के माध्यम से रुपए मुहैया कराते हैं, उनकी गाड़ी छूट जाती है। वहीं जो ट्रक मालिक पैसे देने में आनाकानी करते हैं, उन्हें 5 दिन का टाइम दिया जाता है। ट्रक मालिकों को यह कहा जाता है कि पैसे देकर मैनेज कर लो वरना खनन व परिवहन विभाग को लाखों रुपए जुर्माना देने पड़ेंगे। रात्रि में दर्जनों ट्रकों को पकड़कर यार्ड में लगाया जाता है। इसकी सूचना किसी भी वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी को नहीं होती है। ट्रक मालिकों को परिवहन विभाग और खनन विभाग के पदाधिकारियों को सूचना देने की बात कही जाती है। चालकों का आरोप है कि जो ट्रक मालिक पुलिस को पैसा नहीं देते, उनकी सूचना खनन और परिवहन पदाधिकारी को दी जाती है।

डीएम ने गठित की जांच कमिटी

अवैध रूप से डंपिंग यार्ड बनाकर पैसे की उगाही करने के मामले में डीएम ने जांच की बात कही है। डीएम ने बताया कि जिले में किसी भी तरह का कोई डंपिंग यार्ड बनाने की परमिशन पुलिस को नहीं दी गई है। इस मामले में जांच टीम गठन कर दिया गया है, जिसमें एडीएम और एसडीपीओ के साथ खनन विभाग और परिवहन विभाग के अधिकारी की टीम बनाई गई हैं। मामलें की जांच कराई जाएगी और जांच में जो भी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी।