सम्पादकीय

चेतावनियोंकी न हो अनदेखी


योगेश कुमार गोयल     

कोरोनाके तमाम नियम-कानूनोंको धत्ता बताते हुए खासकर पर्वतीय इलाकोंमें जिस प्रकार लोगोंकी भीड़ बढ़ रही है, वह आनेवाले किसी बड़े संकटको न्यौता देती प्रतीत हो रही है। दूसरी लहरका प्रकोप कम होनेके बाद भारतमें जहां विभिन्न चरणोंमें अनलॉककी प्रक्रिया जारी है, वहीं हालके दिनोंमें दो दर्जनसे भी ज्यादा देशोंमें कोरोना संक्रमणमें काफी तेजी आयी है। इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संघटन चेतावनीभरे शब्दों स्पष्ट कह रहा है कि इस समय किसी भी देशको पूर्ण प्रतिबंध हटा लेनेकी मूर्खता नहीं करनी चाहिए। डब्ल्यूएचओका कहना है कि अभी जो देश जल्दबाजीमें अनलॉक करेंगे या बचावके नियमोंमें ढील देंगे, उनके लिए यह बहुत बड़ा मूर्खतापूर्ण कदम साबित हो सकता है। भारतमें लापरवाहियोंका अंजाम हम कोरोनाकी दूसरी खतरनाक लहरके रूपमें भुगत चुके हैं और अब लगातार मिल रही तीसरी लहरकी चेतावनियोंके बावजूद फिरसे देशभरमें बेफिक्री और लापरवाहियोंका जो आलम देखा जा रहा है, उसके दृष्टिगत डब्ल्यूएचओकी चेतावनीकी अनदेखीके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। कोरोनाकी तीसरी लहरकी चिंताके बीच कोरोनाके नये-नये वेरिएंट मुसीबत बन रहे हैं। एकके बाद एक नये-नये वेरिएंट कहर मचा रहे हैं और भयावहताके मामलेमें सभी एक-दूसरेपर भारी पड़ रहे हैं। डब्ल्यूएचओने कोरोना वायरसके स्ट्रेनका नाम ग्रीक अल्फाबेटिकल लेबल्सपर रखा है और उसीके अनुरूप भारतमें कोरोनाके वेरिएंट स्ट्रेनका नाम डेल्टा तथा कप्पापर रखा जाता है। देशमें कोरोनाकी दूसरी लहरके लिए डेल्टा वेरिएंट प्रमुख रूपसे जिम्मेदार रहा और अब तीसरी लहरके लिए कौन-कौनसे वेरिएंट जिम्मेदार होंगे और इस लहरको कितना भयावह बनायंगे, अभी कहा जा नहीं जा सकता। शरीरमें एंटीबॉडीको चकमा देनेमें सक्षम कोरोनाका घातक लैंबडा वेरिएंट पिछले करीब एक महीनेमें ३० से भी ज्यादा देशोंमें फैल चुका है। हालांकि भारतमें अभीतक लैंबडा वेरिएंटका भले ही कोई मामला सामने नहीं आया है लेकिन जिस प्रकार डेल्टाके बाद डेल्टा प्लस और अब कप्पा स्ट्रेनके मामले मिले हैं, ऐसेमें कोरोनाके मामलोंको लोगों द्वारा हल्केमें लिया जाना खतरनाक हो सकता है।

दरअसल यह वायरस लगातार अपना रूप बदलकर बड़ी आबादीको ऐसे निशाना बनाने लगा है कि फिर संभलनेके लिए ज्यादा समय नहीं मिलता। हालके दिनोंमें कोरोना वायरसके स्पाइक प्रोटीनमें तीन बड़े बदलाव (म्यूटेशन) एल४५२आर, ई४८४क्यू तथा पी६८१आर हुए हैं। इनमें सबसे प्रमुख म्यूटेशन एल४५२आर है, जिसमें प्रोटीनकी ४५२वीं स्थितिपर ल्यूसीन प्रोटीन अर्जिनाइनमें बदल गयी है। एल४५२आरको इम्यून एस्केप म्यूटेशन माना जाता है। स्पाइक प्रोटीन जीनोमके ४८४वें क्रम पर ग्लूटामिक एसिड बदलकर ग्लूटामाइन हो गया है। यह बदलाव इसे इनसानी रिसेप्टर एसीई-२ से जुडनेमें ज्यादा सक्षम बनाता है और होस्टके प्रतिरोधी तंत्रमें सेंध लगानेमें ज्यादा सक्षम बनाता है। वायरसके स्पाइक जीनोमक्रम ६८१ में भी म्यूटेशन हुआ है। यहां मौजूद प्रोलाइन प्रोटीनकी जगह अर्जिनाइन प्रोटीन आ गयी है, इस बदलावका असर इसकी संक्रामकताको बढ़ाता है।

पिछले दिनों देशके विभिन्न हिस्सोंमें डेल्टा प्लस वेरिएंटके कुछ मामले मिले हैं, जिसे बी.१.६१७.२ स्ट्रेन भी कहा जाता है और अन्य स्ट्रेनकी तुलनामें ६० फीसदी ज्यादा संक्रामक माना जाता है। अब जिस कप्पा वेरिएंट (बी.१.६१७.१ स्ट्रेन) के मामले सामने आये हैं, उसे डेल्टा प्लस वेरिएंटसे भी ज्यादा खतरनाक बताते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञोंका कहना है कि यह नया वेरिएंट बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। हालांकि कप्पा वेरिएंटको लेकर कई शोध किये जा रहे हैं और विशेषज्ञोंके मुताबिक इन शोधोंके जरिये ही कप्पा वेरिएंटको लेकर और जानकारियां सामने आ सकती है। विशेषज्ञोंके अनुसार कप्पा वेरिएंट डेल्टा वायरसका ही बदला स्वरूप है, जो डेल्टा प्लसकी तरह ही खतरनाक है। यह बी.१०६१७ वंश के वेरिएंटके म्यूटेशनसे बना है, जो पहले भी देशमें पाया जा चुका है। कोविडके कप्पा स्वरूपके बारेमें नीति आयोगके सदस्य डा. वीके पॉलका कहना है कि यह स्वरूप फरवरी-मार्चमें भी देशमें मौजूद था लेकिन उस समय इसकी तीव्रता बहुत कम थी। सबसे पहले महाराष्ट्रमें इसका पता दिसम्बर २०२० में चला था जबकि डेल्टा वेरिएंट महाराष्ट्रमें ही अक्तूबर २०२० में सामने आया था। कोरोना वायरसकी पैंगो लीनेज वह वंशावली है, जिसका नोमेनकल्चर पैंगोलिनमें होता है और कोरोनाके यह दोनों ही वेरिएंट पैंगो लीनेज बी.१.६१७ के म्यूटेशन हैं। डेल्टाको बी.१.६१७.२ और कप्पाको बी.१.६१७.१ म्यूटेशन कहा जाता है। बी.१.६१७ के कई म्यूटेशन हो चुके हैं, जिनमेंसे ई४८४क्यू तथा एल४५२आर के कारण ही इसे कप्पा वेरिएंट कहा गया है। डेल्टा प्लसको भारतमें वेरिएंट ऑफ कंर्सन घोषित किया गया है जबकि कप्पाको डब्ल्यूएचओ द्वारा वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित किया गया है अर्थात् इसमें यह पता लगानेके प्रयास किये जा रहे हैं कि यह किस प्रकार अपना रूप बदल रहा है।

कुछ विशेषज्ञोंका मानना है कि कप्पा वेरिएंट दूसरी लहरके लिए जिम्मेदार डेल्टा वेरिएंटसे ज्यादा संक्रामक है लेकिन डेल्टा प्लससे कम खतरनाक है। भारतमें डेल्टा वेरिएंटके कारण कोरोनाकी दूसरी खतरनाक लहर आयी थी। दरअसल इसका संक्रमण बहुत तेजीसे फैलता है और मरीजोंमें कोरोनाके गंभीर लक्षण दिखते हैं। अबतक सौसे ज्यादा देशोंमें इसकी मौजूदगी दर्ज की जा चुकी है। जहांतक डेल्टा प्लसकी बात है तो कोरोनाका यह वेरिएंट डेल्टामें म्यूटेशनके बाद ही देखनेको मिला है। कोरोनाके नये वेरिएट कप्पाके प्रमुख लक्षणोंकी बात करें तो इसमें भी डेल्टा प्लस वेरिएंटकी ही भांति संक्रमितोंमें खांसी, बुखार, गलेमें खराश, सांस लेनेमें तकलीफ, दस्त, स्वाद चला जाना इत्यादि प्राथमिक लक्षण दिखाई देते हैं और माइल्ड तथा गंभीर लक्षण कोरोनाके अन्य म्यूटेंट्सके लक्षणोंकी ही भांति होते हैं। हालांकि कुछ मामलोंमें यह संक्रमण लक्षणरहित भी हो सकता है। इसलिए बेहतर है कि हल्के लक्षण नजर आनेपर भी तत्काल अपने डाक्टरसे परामर्श लें। फिलहाल कोरोनाके अन्य स्ट्रेनकी ही भांति डेल्टा प्लस, कप्पा या ऐसे ही अन्य वेरिएंट्ससे बचावके लिए भी प्रमुख हथियार मास्कका उपयोग, भीड़-भाड़से बचाव और साफ-सफाई ही हैं।