पटना

जमालपुर: जब पशु अस्पताल हो बीमार, तो कैसे हो पशुओं का इलाज


जमालपुर (मुंगेर)। एक ओर सरकार जहां पशुओं का उचित इलाज व पंजीकृत करने के साथ-साथ अन्य सुविधाएं देने के लिए कई योजनाएं चला रही है। वहीं दूसरी ओर जमालपुर में पशु अस्पताल के जर्जर होने के कारण योजनाएं प्रभावित हो रही है। लगभग 50 वर्षों से भी अधिक पुराना हो चुके पशु अस्पताल को अपना भवन नहीं होने के कारण यहां पर पदस्थापित चिकित्सक व कर्मी अच्छे ढंग से पशुपालकों के पशुओं को सेवाएं नहीं दे पाते हैं।

आश्चर्य की बात यह कि  जमालपुर के आसपास के इलाकों में पशु अस्पताल वर्तमान समय में नए भवन में संचालित है। वहीं  शहरी और ग्रामीण इलाकों वाले बड़े क्षेत्र में  सेवा दे रहे जमालपुर पशु अस्पताल को अपना भवन नसीब नहीं है। जिसके कारण शाम 5:00 बजे तक ही अपने ड्यूटी आवर में चिकित्सक व कर्मी पशुपालकों को सेवाएं दे पाते हैं। जमालपुर में शाम 5:00 बजे के बाद जब भी पशुपालकों के पशुओं की तबीयत बिगड़ती है तो  वे स्थानीय झोलाछाप चिकित्सकों से ही इलाज कराते हैं। जिससे उनके बीमार पशुओं का उचित इलाज नहीं हो पाता है।

बताते चलें कि लगभग 50 वर्ष पूर्व एक निजी मकान में चल रहे  पशु अस्पताल  जर्जर अवस्था में है। यहां  जमालपुर के शहरी क्षेत्र के 36 वार्ड व ग्रामीण क्षेत्र के 10 पंचायतों के पशुपालकों के पशुओं का इलाज किया जाता है। जर्जर कमरे  और सड़क से नीचे चल रहे इस पशु चिकित्सालय में बारिश का पानी और आसपास के नालों का पानी प्रवेश कर जाता है। जिसके कारण अस्पताल में रखे कागजात व दवाइयां पानी में डूब जाता है।

हालांकि यहां पर ड्यूटी में तैनात  पशुपालन विभाग के सहायक निदेशक सह भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी मो. इंतखाब अख्तर अपने परिचारी के साथ मिलकर  सभी कागजातों व दवाइयों को सुरक्षित रखने के लिए अंदर में कुर्सी टेबल या अन्य  फर्नीचर का सहारा लेते हैं।

अस्पताल में  शुद्ध पेयजल बिजली की व्यवस्था नहीं रहने से पदाधिकारियों को कर्मियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बाहर से पानी लाना पड़ता है। वही शौचालय नहीं रहने से बाहर में बने शौचालय में निश्चित राशि का भुगतान कर अपना काम चलाते हैं। हालांकि भ्रमण शील चिकित्सा पदाधिकारी ने यहां बिजली कनेक्शन दिलाने के बाद आईएलआर की भी व्यवस्था कर दी है। जिससे भेड़ और बकरियों का जोर-शोर से वैक्सीनेशन किया जा रहा है।

इसी अस्पताल के अंतर्गत जर्जर कृत्रिम गर्भाधान केंद्र फुल्का  में कार्यरत  सुजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि आवश्यक संसाधनों के अभाव में कृत्रिम गर्भाधान कराने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऑफिस व्यवस्थित नहीं रहने के कारण यहां के सभी सरकारी दस्तावेज को बराबर ले जाना पड़ता है और सुबह ड्यूटी आवर में लाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि विशेष  उप निदेशक मुंगेर को भी मैंने पत्र भेजकर उचित कार्रवाई की मांग की है।

वहीं इस संबंध में भ्रमण शील चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि पशु चिकित्सालय लगभग 50 वर्षों पुराना है। किराए के मकान में चल रहा है। पशु अस्पताल निर्माण के लिए अंचलाधिकारी जमालपुर ने जमीन भी उपलब्ध कराई है। विभाग के द्वारा भवन निर्माण कराने की योजना है। पशु अस्पताल का भवन बन जाने से काफी फायदा होगा। पदाधिकारी व कर्मी के लिए भी अस्पताल में आवास की व्यवस्था रहती है। जिससे पशुपालकों को काफी फायदा होगा।