नई दिल्ली, दिल्ली हाई कोर्ट ने बृहस्पतिवार को आदेश दिया कि कोरोना महामारी निषेधात्मक संबंधी आदेशों का उल्लंघन करने के मामले में पुलिस को नागरिकों के खिलाफ तेजी से कार्रवाई करनी चाहिए और संबंधित अदालतों के समक्ष शिकायत दर्ज करनी चाहिए। न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि संबंधित अदालतों को ऐसे मामलों को बिना किसी देरी के निपटा देना चाहिए।
इस तरह के मामलों को तेजी से निपटाने के बजाय महीनों तक घसीटने से केवल जटिलताएं आई हैं और समय और मानव संसाधन की बर्बादी हुई है। एक याचिका पर सुनवाई के बाद पीठ ने कहा कि पुलिस के लिए यह उचित होगा कि वह अदालत के समक्ष कानून के तहत आवश्यक शिकायतें दर्ज करके आपदा प्रबंधन अधिनियम- 2005 के तहत पारित आदेशों के उल्लंघन से संबंधित सभी लंबित मामलों में त्वरित कार्रवाई करे। अपराध को संज्ञेय बनाया गया है, ताकि पुलिस को तत्काल कार्रवाई करने में सुविधा हो।
पीठ ने यह आदेश खेल के सामान के खुदरा विक्रेता डेकाथलान की याचिका पर दिया। याचिका में लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा-धारा 188 के तहत वर्ष 2021 में दर्ज की गई प्राथमिकी को रद करने की मांग की थी। याची कंपनी को राहत देने से इन्कार करते हुए पीठ ने टिप्पणी कि जिस मामले का निपटारा करने में सात दिन भी नहीं लगने चाहिए थे,उसका सात महीने बाद भी निपटारा नहीं किया गया।