पटना

नये विश्वविद्यालयों की समीक्षा को बनेगा आयोग


      • तीन नये विश्वविद्यालय के काम-काज की हर पांच साल पर होगी समीक्षा
      • मुख्यमंत्री होंगे कुलाधिपति, तीन साल का होगा कुलपति का कार्यकाल

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य में खुलने वाले तीन नये विश्वविद्यालयों के काम-काज की हर पांच साल पर समीक्षा होगी। इसके लिए विश्वविद्यालय समीक्षा आयोग का गठन होगा। जिन तीन नये विश्वविद्यालयों की स्थापना होनी है, उसमें बिहार अभियंत्रण विश्वविद्यालय, बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय तथा बिहार खेल विश्वविद्यालय शामिल हैं।

इसके लिए बिहार अभियंत्रण विश्वविद्यालय विधेयक-2021, बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक-2021 तथा बिहार खेल विश्वविद्यालय विधयेक-2021 सोमवार को सदन के पटल पर रखा गया। इन विधेयकों के अधिनियमित होते ही तीनों विश्वविद्यालयों की स्थापना से संबंधित कानून लागू हो जायेगा।

खास बात यह है कि तीनों विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति मुख्यमंत्री होंगे। तीनों विश्वविद्यालयों में कुलपति का कार्यकाल तीन साल का होगा। तीन वर्षों का कार्यकाल पूरा होने के पहले भी कुलपति हटाये जा सकेंगे, इससे संबंधित प्रावधान विधेयक में किये गये हैं।

बिहार अभियंत्रण विश्वविद्यालय के कुलपति अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले शिक्षाविद और प्रतिष्ठित विद्वान या एक प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकीविद या अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी की अकदमिक पृष्ठभूमि के साथ मानव संसाधनविकास में पर्याप्त अनुभव रखने वाले एक प्रशासक होंगे। कुलपति, कुलाधिपति द्वारा प्रावधान के अधीन गठित एक स्क्रीनिनग समिति द्वारा अनुशंसित (नाम वणर्मानुक्रम से व्यवस्थित होंगे) कम से कम तीन व्यक्तियों के पैनल में से विज्ञान एवं प्रावैधिकी विभाग के मंत्री के परामर्श से कुलाधिपति द्वारा नियुक्त किये जायेंगे। परंतु, कुलाधिपति इस प्रकार अनुशंसित व्यक्तियों में से किसी को  अनुमोदित नहीं करें, तो वे नयी अनुशंसाओं की मांग कर सकेंगे।   हालांकि, प्रथम कुलपति सरकार द्वारा नियुक्त किये जायेंगे।


आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कई प्रावधान बदलेंगे

पटना (आशिप्र)। आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम, 2008 के कई प्रावधान बदल जायेंगे। इसके लिए आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021 सोमवार को सदन के पटल पर रखा गया। इसके अधिनियमित होते ही आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के कई प्रावधान बदल जायेंगे। इसके मुताबिक बिहार सरकार द्वारा किसी विशेष पेशेवर क्षेत्र के लिए नये विश्वविद्यालय की स्थापना के पश्चात राज्य सरकार अथवा ट्रस्ट अथवा सोसाइटी द्वारा स्थापित एवं वर्तमान में अस्तित्व में संस्थाएं नये विश्वविद्यालय से संबद्ध हो जायेगी तथा नये अधिनियम के प्रावधानों से शासित होंगी।

कुलपति उच्चतम स्तर की क्षमता, निष्ठा, नैतिकता एवं संस्थागत प्रतिबद्धता रखने वाले व्यक्ति होंगे। वे ख्याति प्राप्त विद्वान होंगे, जिन्हें विश्वविद्यालय प्रोफेसर के रूप में न्यूनतम 10 वर्षों का अनुभव प्राप्त हो अथवा जिनके पास किसी प्रतिष्ठित शोध या अकादमिक प्रशासकीय संगठन में न्यूनतम 10 वर्षों का अकादमिक नेतृत्व प्रदर्शन का प्रमाण हो। विश्वविद्यालय के अंतर्गत शैक्षणिक अथवा गैर शैक्षणिक पद राज्य सरकार की सहमति से सृजित किये जायेंगे।  


दूसरी ओर बिहार स्वाथ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में कुलपति चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विज्ञान शिक्षा के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले शिक्षाविद अथवा प्रतिष्ठित चिकित्सक अथवा स्वास्थ्य चिकित्सा विज्ञान की अषकादमिक पृष्ठभूमि के साथ मानव संसाधन विकास में पर्याप्त अनुभव रखने वाले एक प्रशासक होंगे। कुलपति,  कुलाधिपति द्वारा प्रावधान के अधीन गठित समिति द्वारा अनुशंसित (नाम वणर्मानुक्रम से व्यवस्थित होंगे) कम से कम तीन व्यक्तियों के पैनल से नियुक्त किये जायेंगे। परंतु, कुलाधिपति इस प्रकार अनुशंसित व्यक्तियों में से किसी को  अनुमोदित नहीं करें, तो वे नयी अनुशंसाओं की मांग कर सकेंगे। हालांकि, प्रथम कुलपति सरकार द्वारा नियुक्त किये जायेंगे।

इसी प्रकार खेल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रसिद्ध विद्वान होंगे, जिन्हें  खेल प्रशासन अथवा खेल प्रबंधन में व्यापक अनुभव होगा अथवा अंतरराष्ट्रीय ख्याति के प्रसिद्ध खिलाड़ी होंगे। उनके मानव संसाधन विकास का पर्याप्त अनुभव अनिवार्य होगा। कुलपति की नियुक्ति अधिनियम के उपबंधों के अधीन गठित समिति द्वारा अनुशंसित न्यूनतम तीन व्यक्तियों के पैनल से (नाम वणर्मानुक्रम से व्यवस्थित होंगे) कुलाधिपति द्वारा की जायेगी। यदि अनुशंसित व्यक्तियों में से किसी एक को कुलाधिपति द्वारा अनुमोदित नहीं किया जायेगा, तो वह पुन: अनुशंसा करने के लिए कह सकता है।