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- अस्पताल में जगह नहीं, तो होम आइसोलेशन को शिक्षक लाचार
- शिक्षक संगठनों ने कहा, समाप्त हो 33′ उपस्थिति की अनिवार्यता
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(आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। राज्य में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप से स्कूल आ-जा रहे शिक्षक खौफ में हैं। शिक्षक संगठनों की मानें, तो कोरोना से संक्रमित होकर प्रदेश भर में अब तक दर्जनों शिक्षकों की सांस टूट चुकी है। इनमें दो दर्जन से ज्यादा शिक्षक सिर्फ बेगूसराय जिले के हैं।
स्थिति के मद्देनजर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि कोरोना की भयावहता को देखते हुए अगले तीन सप्ताह यानी 15 मई तक शिक्षकों को उपस्थिति एवं टीकाकरण अभियान से मुक्त किया जाय। शतप्रतिशत शिक्षकों के लिए कोविड वैक्सिन के दोनों टीके की व्यवस्था की जाय। संगठन के अध्यक्ष व विधान पार्षद केदारनाथ पाण्डेय एवं प्रभारी महासचिव विनय मोहन ने कहा है कि यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि अगले तीन सप्ताह यानी 15 मई तक कोरोना की लहर अत्यंत तीव्र होगी। इसके मद्देनजर सरकार द्वारा लोगों से अपेक्षा की गयी है कि ज्यादातर घरों में ही रहें। अत्यंत आवश्यक होने पर ही बाहर निकलें।
लेकिन, शिक्षा विभाग के निर्देश के मुताबिक प्रत्येक विद्यालय में 33 प्रतिशत अध्यापकों की उपस्थिति आवश्यक है। इससे कोरोना के खतरे को कम नहीं किया जा सकता, क्योंकि विद्यालयों में कम से कम 15 फीसदी अध्यापक विद्यालय से 50 किलोमीटर से 100-150 किलोमीटर तक की दूरी के रहने वाले हैं। दूर के शिक्षक विद्यालय या पास के गांव में रहते हैं। कोरोनाकाल में अब गांव के लोग किसी बाहरी व्यक्ति को रहने की इजाजत नहीं दे रहे हैं।
सरकार द्वारा माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 35 फीसदी महिला शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है। वे भी सार्वजनिक परिवहन से विद्यालय आती-जाती हैं। सार्वजनिक परिवहन से आने-जाने से संक्रमण फैलने की संभावना बनी रहती है। विद्यालयों में छात्रवास या रहने की सुविधा नहीं है, जहां दूर के अध्यापक रह सकें।
कतिपय विद्यालयों में शिक्षक भी कोरोना से संक्रमित पाये गये हैं। उनके साथ बैठने में अन्य शिक्षकों को भी परेशानी है। प्राप्त सूचनानुसार बेगूसराय जिले में अब तक लगभग दो-तीन दर्जन शिक्षक कोरोना से संक्रमित होकर दिवंगत हो चुके हैं। यह रफ्तार बढ़ती ही जा रही है। इसस शिक्षकों में भय व्याप्त है। वे उपस्थिति दर्ज करने के लिए विद्यालय में आने से डर रहे हैं, जो स्वाभाविक है। महिलाओं की स्थिति और भी विकट है।
दूसरी ओर बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ब्रजनंदन शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार, वरीय उपाध्यक्ष नुनूमणी सिंह, राम अवतार पांडेय, उपाध्यक्ष घनश्याम यादव, महादेव मिश्र, नागेंद्रनाथ शर्मा एवं प्रवक्ता प्रेमचंद्र ने कहा है कि प्रदेश भर में अब तक तकरीबन अस्सी शिक्षकों की सांस कोरोना संक्रमण से टूट चुकी है। सैकड़ों शिक्षक एवं उनके परिजन कोरोना से संक्रमित हैं। ऐसे शिक्षक विभिन्न अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज करा रहे हैं या फिर होम आइसोलेशन में हैं। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के खतरे को देखते हुए 33 प्रतिशत शिक्षकों को विद्यालय में उपस्थित होने की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग संगठन ने सरकार से की है।
इस बीच परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ के कार्यकारी संयोजक नवनीत कुमार एवं संगठन महामंत्री शिशिर कुमार पाण्डेय ने पत्र के जरिये मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, शिक्षा मंत्री एवं शिक्षा विभाग के अपर मुख्यसचिव से शिक्षकों के सभी प्रकार के बकायों समेत अद्यतन वेतन भुगतान के लिए राशि जारी करने, कोरोना से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति की अनिवार्यता समाप्त करने, कोरोना संक्रमण से बचाव कार्य में लगे शिक्षकों को पचास लाख रुपये के बीमा की सुविधा देने, पीपीई किट उपलब्ध कराने, कोरोना से सांस तोडऩे वाले शिक्षकों के परिजनों को पचास लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने, 15 फीसदी वेतन वृद्धि संबंधी दिशा-निर्देश अविलम्ब जारी करने तथा पुरुष शिक्षकों को भी ऐच्छिक स्थान्तारण की सुविधा देने की मांग की है।