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- २५ से ३० प्रतिशत बढ़ी परिधान का मूल्य
- नेपाल, रक्सौल, बंगाल और उत्तर प्रदेश तक जाते हैं बिहार में तैयार दुर्गा वस्त्र
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–राम नरेश चौरसिया-
पटना। दुर्गा पूजा के वस्त्रों का पटना बड़ा बाजार है। पटना में सितंबर-अक्तूबर में दुर्गा प्रतिमाओं के वस्त्रों का बड़ा बाजार सजता है। वस्त्र-बाजार में जाति-धर्म का कोई मानक नहीं होता। बिहार में दुर्गा वस्त्रों के निर्माण और बिक्री में अल्पसंख्यक, सिख, वैश्य और नेपाली कारीगरों का कब्जा है। हालांकि दो वर्षों से बाढ़ और कोरोना ने इनके वर्चस्व को खंडित कर दिया है। कोरोना का इस साल असर कमा है, तो दुर्गा वस्त्रों के कारीगर और व्यापारी फार्म में लौटे है। दुर्गा वस्त्रों की कीमतों में इस बार २५ से ३० प्रतिशत की वृद्घि हुयी है। कारिगरों का हौसला पस्त नहीं हुआ है।
छोटे कारीगर-व्यापारी कर्ज लेकर भी दुर्गा वस्त्रों का निर्माण और बिक्री कर रहे हैं। हां, दुर्गा वस्त्रों की बढ़ी कीमतों ने पूजा समितियों के होश जरूर उड़ा दिये हैं। बिहार में बेल्वेट, प्रिंट बॉकेट, जरी ब्राकेट, नेट बाकेट, वर्क ब्राकेट, फैंसी वर्क ब्राकेट, शॉटन, बटा प्रिंट और नेशनल बूटा ब्राकेट का आम प्रचलन है। कभी दुर्गा वस्त्रों में बनारस और मऊ के ब्राकेट्स का प्रचलन था। हालांकि अब वहां के ब्राकेट्स का प्रचलन अब न के बराबर रहा है। अब दुर्गा वस्त्रों की दुनिया में सूरत-गुजरात का कब्जा हो गया है।
पटना में उदय यादव, सुरेंद्र सिंह गांधी, मनोज यादव, मोहम्मद अली, उमेश यादव, बब्लू और छाबड़ा टेक्सटाइल्स पिछले ५० वर्षों से भी ज्यादा समय से दुर्गा वस्त्रों के निर्माण और करीगरी का काम कर रहे हैं। बिहार में तैयार दुर्गा वस्त्र उत्तर प्रदेश, नेपाल, रक्सौल और बंगाल तक जाते है। यहां के कारीगर और व्यापारियों का जलवा नेपाल में भी है। हालांकि बाढ़ और कोरोना ने दुर्गा वस्त्रों के कारीगरों और व्यापारियों को दो वर्षों में आर्थिक रूप से तोड़ कर रख दिया है।
दुर्गा वस्त्रों की बढ़ी कीमते एक नजर में
कीमत आज कीमत २०१९ में
- वेल्वेट ९५ रुपये मीटर ५० रुपये मीटर
- प्रिंट ब्राकेट ५० रुपये मीटर ९० रुपये मीटर
- गोटा प्रिंट ब्राकेट ७० रुपये मीटर १२० रुपये मीटर
- जरी ब्राकेट १३० रुपये मीटर १९० रुपये मीटर
- नेट ब्राकेट ९० रुपये मीटर १३० रुपये मीटर
- वर्क ब्राकेट २५० रुपये मीटर ३५० रुपये मीटर
- फैंसी वर्क ब्राकेट ३०० रुपये मीटर ४०० रुपये मीटर
- शॉटन ब्राकेट ४५ रुपये मीटर ६५ रुपये मीटर
- बूटा प्रिंट ७० रुपये मीटर ९५ रुपये मीटर
- नेशनल बूटा ब्राकेट ७० रुपये मीटर ११० रुपये मीटर
दो वर्ष तो दुर्गा वस्त्र की बिक्री और निर्माण का काम ठप्प रहा। कई दुकानदार घर बैठ गए। कई कर्ज में डूब गए। इस दौरान कुछ दुकानदारों और व्यापारियों का निधन भी हो गया। इस बार छोटे ही स्तर पर दुर्गा पूजा मनाने की प्रशासनिक अनुमती मिलने के बाद, लोग सक्रिय हुए हैं। पूजा पंडाल और दुर्गा वस्त्रों का निर्माण हो रहा है।
दुर्गा प्रतिमाओं की चुनरी पर आज भी बनारस का ही कब्जा है। हालांकि चुनरी निर्माण में यूपी के अल्पसंख्यक वर्ग के कारीगर ही अधिकतर लगे हैं।। इसके निर्माण में बिहारी कारिगरों की अच्छी पकड़ है। सूरत में चुनरी निर्माण में बिहार के ८० प्रतिशत कारीगर लगे है। पूजा के दौरान बिहार के चुनरी कारीगर सूरत के हीरो बन जाते हैं। बंगाल-झारखंड में भी दुर्गा वस्त्रों के निर्माण में बिहार के कारीगर लगे हैं। आसनसोल, गोड्डïा और दुर्गापुर ऐसे कारिगरों से इन दिनों पटा है।