आज शिक्षा प्रतिनिधि)
पटना। पंचायतीराज एवं नगर निकाय शिक्षकों ने होली के पहले वेतन की मांग उठायी है। बिहार पंचायत-नगर प्रारंभिक शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश महासचिव रामचंद्र रॉय ने शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी एवं विभाग के अपर मुख्यसचिव से आग्रह किया है कि पंचायतीराज एवं नगर निकाय शिक्षकों को होली के पहले वेतन भुगतान सुनिश्चित कराने की काररवाई करें।
ज्ञापन में होली के पूर्व मार्च तक का वेतन एवं बकायों का भुगतान, पश्चिम चंपारण,किशनगंज, पूर्णिया, अररिया, सुपौल, जमुई,मधुबनी, मधेपुरा सहित अन्य जिले जहाँ अब तक डीपीई उत्तीर्ण शिक्षकों का अंतर वेतन की राशि का भुगतान, हड़ताल अवधि के बकाये वेतन का भुगतान, मृत शिक्षकों के आश्रितों की अनुकम्पा नियुक्ति व अनुग्रह राशि का भुगतान, दो वर्षीय प्रशिक्षण में अनुत्तीर्ण शिक्षकों की सेवा को बरकरार रखते हुए अविलंब परीक्षा का आयोजन, शैक्षणिक सत्र 2021-22 प्रारंभ होने से पूर्व छात्र-छात्राओं को पाठ्यपुस्तक की उपलब्धता, पंचायतीराज व्यवस्था के तहत बहाल शिक्षकों का स्नातक ग्रेड में प्रोन्नति, दक्षता परीक्षा से वंचित शिक्षकों की परीक्षा, यूटीआई अंशदान पेंशन योजना के तहत सरकार के द्वारा दी जाने वाली बकाया राशि का भुगतान व शिक्षकों को राशि की निकासी की सुविधा, सभी कोटि के शिक्षकों को ग्रुप बीमा का लाभ, प्रारंभिक विद्यालयों में पालना-घर एवं छात्रों के लिए प्रयाप्त बेंच-डेस्क की व्यवस्था, नवप्रशिक्षित शिक्षकों के वेतन निर्धारण की त्रुटियों का निराकरण एवं नवगठित नगर-निगम,नगर-परिषद एवं नगर पंचायत के शिक्षकों को शहरी आवासीय भत्ता की मांग की गयी है।
दूसरी ओर टीइटी-एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ (गोपगुट)ने भी होली और रमजान को देखते हुए सरकार से शिक्षकों के लंबित वेतन भुगतान की मांग उठायी है। संगठन ने कहा है कि हड़ताल अवधि के सामंजन के उपरांत भी उक्त अवधि का वेतन भुगतान नही हुआ है। नवप्रशिक्षित शिक्षकों के एरियर दो साल बीत जाने के उपरांत भी लंबित हैं। विभाग ने कई दफे नवप्रशिक्षित शिक्षकों के लंबित अंतर राशि भुगतान के लिए अलॉटमेंट जारी करने का आश्वासन दिया है लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है।
फैसले का स्वागत
पटना विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य एवं बिहार प्रदेश भाजपा शिक्षक प्रकोष्ठ के प्रदेश सह-संयोजक डॉ. कुमार संजीव ने पटना उच्च न्यायालय के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसके तहत ट्रेनिंग कॉलेजों में व्याख्याताओं की बहाली रद्द की गयी है। उन्होंने बहाली के लिए चयन प्रक्रिया को नौकरशाही से मुक्त रखने की मांग सरकार से की है।