धीरज कुमार
कोरोना महामारीमें कोई भी दिन ऐसा नहीं जाता जब हम इसके दुष्प्रभावके बारेमें नहीं सुनते हैं। आज सारा कामकाज इसके चलते ठप पड़ा है और जब बात उद्योग जगतकी की जाय तो टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटी सेक्टर इससे अछूता कैसे रह सकता है। टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटी सेक्टरके लिए यह कोई नयी बात नहीं है। इससे पहले भी यह सेक्टर इस तरहकी महामारीको झेल चुका है। जैसे कि साल २००३ में सार्स वायरसने टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटी सेक्टरको काफी क्षति पहुंचायी थी। उस समय तकरीबन ५० फीसदीतक होटल बुकिंग कैंसिल हो गयी थी जिसके कारण ९.४ मिलियन इंटरनेशनल टूरिस्टका आगमन नहीं हो पाया था जिससे लगभग डालर ३० बिलियनसे डालर ५० बिलियनके नुकसानका अनुमान है। इसके बावजूद ट्रैवल इंडस्ट्रीने २००६ में फिरसे रफ्तार पकड़ी एवं डालर ५१६० बिलियनका योगदान विश्व जीडीपीमें किया था। सत्य यही है कि हर चीज टेंपरेरी एवं गतिशील है। कोरोना महामारीके प्रकोपसे भी जल्द ही यह विश्व उबर जायगा। यह समय टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटीमें भविष्यमें होनेवाले बदलावके बारेमें सोचनेका है कि किस तरह कैसे छोटे-छोटे प्रयासोंसे हम टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटीपर होनेवाले दुष्प्रभावको कम कर सकें और फिर एक बार यह सेक्टर्स अपनी रफ्तारमें आ जाय। कोरोना महामारीका यह मतलब नहीं कि हम अपने दरवाजे बंद करके इस महामारीके खत्म होनेका इंतजार करें। टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री इस समय कुछ विषयोंपर ध्यान केंद्रित कर इस समयका सदुपयोग कर सकती है जैसे कि क्लाउड टेक्नोलॉजी एवं अन्य सॉफ्टवेयर्सका इस्तेमाल करके हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री अपने सारे कामकाज कहीं भी और कभी भी कंट्रोल कर सकती है।
कई तरहकी तकनीकोंका इस्तेमाल कर हम होटलका अधिकतम काम सरल एवं कांटेक्टलेस कर सकते हैं। जैसे कि होटलकी रिजर्वेशन, गेस्ट आगमन एवं रजिस्ट्रेशन, फूड एंड बेवरेजकी ऑर्डर टेकिंग। इस समय जबकि सारे लोग अपने घरोंमें बंद हैं, भोजन एवं पेय पदार्थोंकी होम डिलीवरी एक बेहतर विकल्प है। डिजिटल तकनीक एवं सोशल मीडियाका इस्तेमाल कर होटल इंडस्ट्री अपने उत्पादकी ऑनलाइन मार्केटिंग एवं डिलीवरी भी कर सकती है। इससे वह कई तरहके प्रमोशनल पैकेज भी निकाल सकती है। इससे होनेवाली आयसे होटल अपने रोजमर्राके खर्चोंको वहन कर सकते हैं। यह समय होटल एवं रिजॉर्टकी मेंटेनेंस एवं रिनोवेशनके लिए भी उपयुक्त है। कोरोनासे बचनेकी गाइडलाइंसको ध्यानमें रखते हुए यह समय होटलके डीप क्लीनिंग एवं मेंटेनेंसके लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इस समय होटलकी रिनोवेशन और डीप क्लीनिंगका काम सुचारू रूपसे हो सकता है। इसके दो फायदे हैं। एक तो होटलकी सफाई और रिनोवेशनका कार्य सुचारू रूपसे होगा, वहीं कर्मचारी भी कार्यरत रहेंगे। इस महामारीमें क्वारंटाइन टूरिज्मपर भी काम किया जा सकता है। टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी सेक्टरमें कोरोनाके बाद कार्यशैलीमें बदलाव होना लाजिमी है जिसके बारेमें कर्मचारियों एवं टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी विद्यार्थियोंका जागरूक होना अति आवश्यक है। होटलके ह्यूमन रिसोर्स एवं टूरिज्म कॉलेज एवं विश्वविद्यालयके आपसी सहयोगसे ऐसा पाठ्यक्रम तैयार किया जाना चाहिए, जिससे भविष्यमें होनेवाले बदलावके बारेमें कर्मचारी एवं विद्यार्थी जागरूक रहें, अवगत रहें। यह कार्य वर्तमानमें होटल एवं कॉलेज ऑनलाइन ट्रेनिंगके जरिये भी कर सकते हैं। इसका एक बहुत बड़ा फायदा यह होगा कि जो गैप इंडस्ट्री और एकेडमीके बीचमें बना हुआ है, वह कम होगा।
जैसे होटलको ट्रेंड स्टाफ एवं कालेजकी प्लेसमेंट बेहतर होगी जो कि अंतत: स्टूडेंटके भविष्यके लिए बेहतर होगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि जल्दी ही टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटी सेक्टर अपने बेहतर स्वरूपमें लौट आयगा और एक बार फिर विश्वकी जीडीपीमें अपना बेहतर योगदान देना शुरू करेगा। जो भी विद्यार्थी इस फील्डमें अपना कैरियर तलाश रहे हैं, यह समय उनके लिए भी उपयुक्त है क्योंकि वह अपनी टूरिज्म एवं हॉस्पिटैलिटीकी पढ़ाई करके आनेवाले अपार अवसरोंको ग्रहण कर सकते हैं एवं लाभान्वित हो सकते हैं। कोरोना महामारीके बाद इस इंडस्ट्रीके खुलनेसे देश एवं विदेशोंमें कई तरहके रोजगार अवसरोंका लाभ होना निश्चित है। यदि हम हिमाचलकी बात करें तो पिछले कई दिनोंसे यहां पर्यटन गतिविधियां ठप पड़ी थीं। हालांकि पर्यटनके क्षेत्रको अब खोल दिया गया है। रोहतांग, शिमला और अन्य पर्यटक स्थलोंपर पर्यटकोंकी भारी भीड़ उमड़ रही है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि इस क्षेत्रमें व्यवसायियोंको जो घाटा हुआ था, उसे पूरे करनेके अवसर मिलेंगे। होटलोंको भी कुछ हिदायतोंके साथ खोल दिया गया है। हिमाचलमें पर्यटन तथा होटल व्यवसायसे बड़ी संख्यामें लोग जुड़े हुए हैं। वह कोरोनाके दौरमें नये अवसरोंकी तलाश कर सकते हैं। इससे उन्हें अबतक हुए नुकसानकी पूर्ति करनेका अवसर मिलेगा। आशा की जानी चाहिए कि पर्यटन तथा होटल व्यवसाय जल्द पटरीपर लौट आयगा।