इस बातसे बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता कि देशमें बढ़ती आर्थिक असमानताको कम करना सरकारोंके लिए सबसे बड़ी आर्थिक-सामाजिक चुनौती होती है। इसीके मद्देनजर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने कई योजनाएं शुरू की जिसका लाभ गरीब तबकेके लोग उठा भी रहे हैं। इसी कड़ीमें आगे जुड़ रहा है गरीबोंको मकान देनेकी योजना। इस महत्वाकांक्षी योजनाके लिए उत्तर प्रदेश सहित छह राज्योंमें आधारशिला रखी गयी। इस आधारशिलाको रखते हुए प्रधान मंत्री मोदीने कहा कि हल्के मकानोंसे जुड़ी परियोजना भवन निर्माणके क्षेत्रको नयी दिशा देगी और यह सहकारी संघवादको मजबूत भी करेगी। महत्वपूर्ण यह है कि इस नयी प्रौद्योगिकीके साथ नवाचारका अवसर उपलब्ध होगा। भारतमें घटती गरीबीके बावजूद बढ़ती आर्थिक असमानताके बीच सरकारकी इस योजनाका लाभ उन तमाम लोगोंको मिलेगा जो पूरी जिन्दगी अपने घरकी कल्पनामें गुजार देते थे, पाई-पाई जोडऩेके बावजूद एक अदद घरका सपना संजोये इस दुनियासे रुखसत भी हो जाते हैं। परन्तु इस नयी योजनाके अन्तर्गत आधुनिक प्रौद्योगिकीसे मकान बननेमें कम समय लगेगा साथ ही सस्ता एवं आरामदायक घर मिल सकेगा। इस परियोजनामें फ्रांस, जर्मनी और कनाडामें भवन निर्माणमें इस्तेमाल की जा रही तकनीकका भी प्रयोग किया जायगा। सुखद यह है कि ग्रामीण क्षेत्रोंमें दो करोड़से अधिक मकान बनाये जायंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रोंका विकास होगा तथा पलायनकी समस्यामें काफी हदतक कमी हो सकती है। देखा जाय तो पिछले कुछ वर्षोंमें जिस प्रकार देशके २७ करोड़ लोग गरीबी रेखासे बाहर आये हैं उनमें सरकारकी लाभकारी योजनाओंको गरीबोंतक निर्बाध रूपसे पहुंचानेसे ही सम्भव हो सका है। यदि गरीबोंको आवास देनेकी योजना समयसे पूरी हो जायगी तो देशके अधिकतर लोग अपना घर देखनेकी इच्छाको पूर्ण कर लेंगे। भारतमें बढ़ती आर्थिक असमानताको दूर करनेके लिए विशेषज्ञोंकी भी यही राय रही है कि गरीबोंको रोटी, कपड़ा और छत उपलब्ध कराया जाय। निश्चित रूपसे मोदी सरकारने पहले कुकिंग गैस उपलब्ध कराया। उसके बाद कोरोना संकटके दौरान खाद्यान्नकी आपूर्ति निर्बाध रही और अब सभी गरीबोंको घर देनेकी तैयारी निश्चित रूपसे देशको सशक्तिकरणकी राहमें मीलका पत्थर साबित होगा। इसके बाद अत्यन्त महत्वपूर्ण होगा अनेक कल्याणकारी योजनाओंको कारगर तरीकेसे लागू करना। आमतौरपर देखा गया है कि इस प्रकारकी कल्याणकारी योजनाएं भ्रष्टïाचारकी भेंट चढ़ जाती हैं। इसके लिए आवश्यक है ईमानदारीसे कार्य करने और राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानेकी। हालांकि मोदी सरकार इसके लिए अदम्य साहसके साथ जुटी है। अत: गरीबोंका हक उनको अवश्य ही मिलना चाहिए। भवन उपलब्ध करानेकी योजना अत्यन्त प्रशंसनीय है।
टीकाकरणका ड्राई रन
नये वर्षके आगाजके साथ भारतको कोरोना टीका मिलना सुखद अहसास है। परन्तु एक सौ तीस करोड़की समस्त जनताको इस टीकेका लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि पहले चरणमें सिर्फ तीन करोड़ लोगोंको ही टीका लगाया जायगा। देशभरमें चल रहे कोरोना टीकाकरणके ड्राई रनके बीच स्वास्थ्यमंत्री डा.हर्षवर्धनने ऐलान किया है कि देशभरमें कोरोना टीका मुफ्तमें लगाया जायगा। पहले ही सुनिश्चित किया जा चुका है कि स्वास्थ्य सेवासे जुड़े कर्मचारी और कोरोनाके सर्वाधिक प्रभावमें आनेवालोंको ही अग्रिम पंक्तिमें रखा जायगा। चूंकि देशके सभी राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशोंके कुल ११६ जिलोंमें कोरोना वैक्सीनका ड्राई रन चल रहा है। इसके लिए कुल २५९ टीकाकरण बूथ बनाये गये हैं। यह जानना आवश्यक है कि ड्राई रनमें किसी टीकेका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है, बल्कि सिर्फ इसकी जांच की जा रही है कि टीकाकरणके लिए बनायी गयी योजना कितनी कारगर होगी। जिस प्रकार पिछला पूरा वर्ष कोरोनाके दहशतमें गुजरा उसके बाद रोशनीकी हल्की किरण भी उम्मीदोंके दरवाजे खोलती है। दरअसल भारतकी आबादीको देखते हुए टीकाकरण स्वास्थ्य कर्मचारियों, अशक्त, बीमार, बुजुर्गोंको चिह्निïत करना खासी पेंचीदगी भरा कार्य हो सकता है। टीकाकरणको लेकर जिस प्रकार ड्राई रन चल रहा है उससे लगता है कि भारत इस कार्यको बेहतरीन ढंगसे अंजाम दे सकेगा। भारतके वैज्ञानिकोंकी कुशलतापर किसीको शक नहीं था परन्तु चुनौती यह थी कि देशभरमें जरूरतमंदोंतक इस टीकेको कैसे पहुंचाया जायगा। टीकेकी आपूर्ति, भण्डारण सहित समस्त तैयारियां समयसे पूरी कर ली गयीं और इसे देशके प्रत्येक राज्यतक पहुंचानेके लिए वायु सेनाको भी लगाया गया। परन्तु टीका आनेके बाद भी बेफिक्री घातक हो सकती है। इसलिए बचावके तमाम रास्तोंको अपनाते हुए ही हमें आगे कदम बढ़ाना है।