बनारसी हथकरघा रेशम ने बनारस की अर्थव्यवस्था को समृद्ध करने के साथ-साथ यहाँ की कला और संस्कृति से भी देश-दुनिया को परिचित कराया। आज भी हैंडलूम से निर्मित बनारसी सिल्क साडिय़ाँ परंपरा एवं आधुनिकता का खूबसूरत समन्वय प्रदर्शित करती हैं। यह उद््गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बनारसी हथकरघा रेशम -बनारस का गौरव पर विशेष आवरण व विरूपण जारी करते हुए व्यक्त किये। वाराणसी प्रधान डाकघर में डाक विभाग और प्रयाग फिलाटैलिक सोसाइटी के तत्त्वावधान में शनिवार को आयोजित इस कार्यक्रम को ज़ूम एप के माध्यम से भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी प्रसारित किया गया। पोस्टमास्टर जनरल ने कहा कि, वाराणसी से जुड़ी तमाम विभूतियों, संस्थानों और विविध विषयों पर डाक विभाग ने समय-समय पर डाक टिकट और विशेष आवरण जारी किए हैं, जिनके माध्यम से आगामी पीढिय़ाँ भी अपनी समृद्ध संस्कृति व विरासत से रूबरू होंगी। बनारस रेशम पर भी वर्ष २००९ में डाक टिकट जारी हो चुका है। श्री यादव ने कहा कि, बनारसी हथकरघा रेशम कला एक प्राचीन और गौरवशाली परम्परा है। हजारों वर्षों से यहाँ के बुनकरों ने बनारसी बिनकारी की मूल परम्परा को जीवित रखते हुए इसमें बहुत से प्रयोग भी किये हैं। एक जिला, एक उत्पाद के तहत भी बनारस में इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है। ऐसे में इस विशेष आवरण के माध्यम से बनारसी हैंडलूम सिल्क की प्रसिद्धि देश-दुनिया में और भी विस्तार पायेगी। वाराणसी पूर्वी मण्डल के प्रवर अधीक्षक डाकघर सुमीत कुमार गाट ने बताया कि, इस विशेष आवरण की कीमत २५ है और इसे फिलेटलिक ब्यूरो में बिक्री के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। सहायक निदेशक प्रवीण प्रसून ने कहा कि आज के बच्चों और युवा पीढ़ी को फिलेटली के माध्यम से अपनी संस्कृति और विरासत से जोड़ा जा सकता है। प्रयाग फिलाटैलिक सोसाइटी के सचिव राहुल गांगुली ने डाक विभाग द्वारा इस विशेष आवरण जारी किए जाने पर आभार व्यक्त किया और लोगों को फिलेटली से जुडऩे की अपील की। इस अवसर पर प्रवर डाक अधीक्षक श्री सुमीत कुमार गाट, सहायक निदेशक प्रवीण प्रसून, सहायक डाक अधीक्षक आर के चौहान, सुरेश चंद्र, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक मैनेजर सुबलेश सिंह, जनसंपर्क निरीक्षक अरविंद पांडेय, हरिशंकर यादव, राहुल वर्मा, एसपी गुप्ता, रामचंद्र यादव सहित तमाम अधिकारी -कर्मचारी व फिलेटलिस्ट मौजूद रहे।