वाराणसी

कैसे बहुरेंगे वरुणा के दिन


काशी आने वाले सैलानी हों या आमजन शहर की पहचान से वरुणा नदी इन दिनों हर किसी के लिए अजूबा बनी है। गंदगी-कूड़े से पटने एवं अतिक्रमण के चलते नाले का रूप ले चुकी वरुणा से निकलती दुर्गंध बरबस ही लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती है कि यह कैसी सांस्कृतिक व पौराणिक नगरी है जहां माँ गंगा को साफ करने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं वहीं उसकी सहायक वरुणा और असि नदियां नाला बन गयी हैं। वाराणसी का नाम वरुणा और असि नदी के नाम पर ही पड़ा है। पुराणों में काशी क्षेत्र के उत्तर में वरुणा, पूर्व में गंगा और दक्षिण में असि नदी का उल्लेख मिलता है। इनमें से गंगा के दक्षिणी मोड़ पर मिलने वाली असि नदी अब पूरी तरह से नाले में तब्दील हो चुकी है तो वरुणा भी कमोवेश एक बड़े नाले में तब्दील हो रही है।

वरुणा और असि नदी गंगा के कटान क्षेत्र में करती हैबांध का काम

बीएचयू के गंगा रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक वरुणा-असि नदी का अपना मौलिक जल, गुण, मात्रा और आवेग हुआ करता था। जो नगर के भूमिगत जल स्तर को संतुलित करने के साथ ही गंगा के कटान क्षेत्र में बांध का काम करता था। ये नदियां अपने द्वारा लायी गयी मिट्टी को गंगा के कटाव वाले क्षेत्रों में भर कर उसे स्थिरता प्रदान करती हैं। असि नदी का अस्तित्व तो समाप्त हो ही चुका था। शासन प्रसाशन की बेरुखी से वरुणा नदी का भी अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर था उसी वक्त सपा सरकार ने अपने कार्यकाल में २०१ करोड़ रुपए की योजना से नदी के किनारे सौन्दर्यीकरण का कार्य तो जरूर शुरू कराया लेकिन वरुणा को बचाने के लिए कोई काम नहीं हुआ। हालात ये हो गये की सपा शासनकाल में शुरू हुए सौन्द्रीयकरण के कार्य को सरकार बदलते ही रो दिया गया और अब हालात ये हो चुके हैं कि वरुणा नदी जो इलाहाबाद के फूलपुर के नजदीक मैल्हन झील से निकलती है और वाराणसी में गंगा में मिल जाती है उसके उद्गम स्थल में ही पानी नहीं बचा है।

जिलाधिकारी ने नगर आयुक्त को लिखा पत्र

जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर कहा कि वरुणा नदी में गिर रहे सीवर की तत्काल क्लीनिंग कराते हुए घरों का कनेक्शन करवाया जाये तथा नदी के तट पर सॉलिड वेस्ट तथा मरे हुए जानवर फेंके जाते हैं उसकी साफ-सफाई तथा स्थायी व्यवस्था बनाई जाये साथ ही प्रतिदिन वहां से कूड़ा उठाया जाये। जिलाधिकारी ने लिखा है कि वरुणा का पानी अत्यंत गंदा हो गया है अत: पानी को स्वच्छ करने की कार्रवाई तत्काल किया जाए जिससे इसमें बदबू न हो। जिलाधिकारी के पत्र को संज्ञान में लेते हुए नगर आयुक्त गौरांग राठी ने महाप्रबन्धक गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई उ.प्र.जल निगम, जलकल विभाग नगर निगम व नगर स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिख काररवाई का निर्देश दिया है।