बेगूसराय (आससे)। सीनियर शिक्षकों की अनदेखी कर जूनियर शिक्षक को बनाए जा रहे हैं प्रभारी प्रधान। अवकाश ग्रहण करने वाले प्रधान जानबूझकर जूनियर शिक्षक को प्रभार दे देते हैं। यह सब कार्य नियम को ताक पर रखकर करते हैं या शिक्षक गुट की राजनीति में आकर इस तरह की कार्य हो रहा है। इसी मामलों के लेकर इनदिनों शिक्षकों के बीच चर्चा बना हुआ हैं। यह मामला बेगूसराय जिले के कुछ ऐसे उच्च विद्यालय के हैं जहां पर जूनियर शिक्षक ही प्रभारी प्रधान बने हुए हैं तो वहीं सीनियर शिक्षक प्रभार के लिए लड़ाई भी लड़ रहे हैं।
सबसे दिलचस्प बात है कि कंप्यूटर शिक्षक भी प्रभारी बने हुए हैं। शाहपुर उच्च विद्यालय में कंप्यूटर शिक्षक प्रभारी 2 वर्षों से बने हुए है। जबकि फिजिकल शिक्षक के लिये नियम अलग है। उक्त हलात के लिए वर्तमान डीपीओ ही नहीं हैं इसके पूर्व के भी डीपीओ साहब का हाल भी यही था। लेकिन वर्तमान माध्यमिक डीपीओ राजकमल पत्र प्रेषित करने में तो कोई कसर नहीं छोड़ते नही हैं। लेकिन इस पर कितनी कार्रवाई हुई है इसे देखते हैं या नहीं यह एक सोचनीय पहलू है।
शिक्षकों की माने डीपीओ साहब बातों से तो संतुष्ट कर देते है और जल्द करवाई का भरोसा दिलाते हैं। वहीं डीपीओ माध्यमिक जितने कड़क अंदाज में आदेश पत्र निकालते हैं उसी कड़क अंदाज में कार्यवाही करते तो बात बनती। आखिरकार इसके पीछे क्या कारण है। माध्यमिक शिक्षक समझ भी नहीं पा रहे हैं। सीनियर शिक्षकों को अनदेखी कर जूनियर शिक्षक को प्रभारी बनाया गया है।
जिसमें उच्च विद्यालय नारेपुर, उच्च विद्यालय शंकर महना, कांति पार्वती उच्च विद्यालय महना, भारत सेवक उच्च विद्यालय हरपुर, दीनानाथ परमेश्वरी उच्च विद्यालय चेरिया बरियारपुर, उच्च विद्यालय उलाव, उच्च विद्यालय राजवाड़ा बरौनी, उच्च विद्यालय शाहपुर, राष्ट्रीय उच्च विद्यालय तेघरा, महात्मा गांधी उच्च विद्यालय बिहट।
उक्त सभी विद्यालयों में सीनियर शिक्षक के रहते जूनियर शिक्षक को प्रभार देकर चलते बने।अब सवाल उठता है कि आखिरकार इसके पीछे क्या कारण थे कि सीनियर शिक्षक की अनदेखी कर जूनियर शिक्षक को प्रभार दे दिया गया। क्या डीपीओ माध्यमिक इस पर कोई कार्रवाई करते हैं या नहीं।