पटना

बेगूसराय: शिक्षिका के निधन होते ही नर्सिंग की पढ़ाई ने भी दम तोड़ दी


बेगूसराय (आससे)। जहां एक ओर तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं ला रही हैं तो वहीं तकनीकी शिक्षा के प्रति सरकार के उदासीन रवैया भी उजागर हो रही है। सरकार की दोहरी नीति का परिणाम ही कहा जाए। बताते चलें कि बीपी इंटर स्कूल में नर्सिंग की पढ़ाई हुआ करते थे। अब मानो इतिहास के पन्नों में दबती चली जा रही है। या यू कहें कि सरकार की उदासीन रवैया की वजह से नर्सिंग की पढ़ाई ही बंद हो गई। सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि शिक्षिका के मरते ही नर्सिंग की पढ़ाई ने भी दम तोड़ दी। सुनने में थोड़ी अटपटा जरूर लगेगी लेकिन यह हकीकत है।

2013 के पहले बीपी इंटर स्कूल मे इंटर के समतुल्य नर्सिंग की पढ़ाई हुआ करती थी। जिसके लिए दो शिक्षिका बहाल थी। शिक्षिका मंजू कुमारी एवं निर्मला कुमारी के दम तोड़ते ही नर्सिंग की पढ़ाई ने भी दम तोड़ दी। जहां एक ओर सरकार बड़े-बड़े दावे करती है, तो वहीं यह सरकार की विफलता ही कही जाए कि नर्सिंग की पढ़ाई बेगूसराय जिले में एकमात्र माध्यमिक विद्यालय बीपी इंटर स्कूल में हुआ करती थी। आज वह पढ़ाई बंद हो गई। जब इसका कारण जानने की कोशिश की तो पता चला कि शिक्षिका के निधन होते ही नर्सिंग की पढ़ाई भी बंद हो गई। जहां गरीब छात्राएं नर्सिंग की पढ़ाई यहां से किया करती थीं।

आज उन्हें इस पढ़ाई से मोहताज होना पड़ा है। जहां एक ओर निजीकरण की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, तो वहीं सरकारी विद्यालयों में हो रही पढ़ाई के प्रति सरकार के उदासीन रवैया का दंश यहां के छात्राएं झेल रही हैं। बताते चलें कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के द्वारा ही अनुदेशक एवं प्रयोगशाला सहायक की बहाली हुआ करती थी। लेकिन शिक्षिका के निधन के उपरांत इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। या यूं कहें कि सरकार की बेरुखी की वजह से तकनीकी शिक्षा के तहत नर्सिंग की हो रही पढ़ाई ने दम तोड़ दी है।

इस संदर्भ में बीपी इंटर स्कूल के प्राचार्य डॉ प्रवीण चंद्र सिंह से बातचीत किया तो उन्होंने बताया कि मेरे प्रभार लेने के पूर्व इस विद्यालय में नर्सिंग की पढ़ाई हुआ करती थी लेकिन शिक्षक के अभाव में नर्सिंग में नामांकन लेना बंद कर दिया। क्योंकि बिना शिक्षक के नर्सिंग की पढ़ाई कैसे होगी। जिले का एकलौता विद्यालय है जहां नर्सिंग की पढ़ाई के साथ-साथ ऑफिस मैनेजमेंट  की पढ़ाई भी हुआ करती थी।

धीरे-धीरे कर नर्सिंग की पढ़ाई बंद हो गई तो वहीं ऑफिस मैनेजमेंट के एकमात्र शिक्षिका बीपी इंटर स्कूल में है जो कि वह भी दम तोड़ने के कगार पर है। सरकार के उदासीन रवैया ही कहा जाए कि इस ओर नहीं ध्यान देकर तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई को लेकर बड़े-बड़े वादे तो जरूर करते हैं लेकिन धरातल पर कुछ दिखता नहीं है क्या सरकार की यही विकास गाथा है?