पटना (आससे)। सिद्धांत भेद से गणना भेद और गणना भेद के कारण मकर संक्रांति पर्व पुण्यकाल सहित आज शुक्रवार १४ जनवरी और कल शनिवार १५ जनवरी को मनाया जा रहा है। मकरन्द सिद्धांत आधारित गणनानुसार विश्व विद्यालय पंचांग का निर्णय कहता है कि संक्रांति दिन में २.३० बजे होगा जबकि सौर सिद्धांत की गणनानुसार विश्व पंचांग के निर्णय में रात्रि ७.५९ बजे मकर संक्रांति का निर्णय है।
दो प्रकार की गणनानुसार पुण्यकाल भी बदल गया है। लोक आस्था के अनुसार प्रथम दिन के पुण्यकाल १४ जनवरी को प्रात:८.३० बजे से संक्रांति का पुण्यकाल आरंभ हो रहा है। आज मकर संक्रांति का पर्व मनानेवाले ८.३० बजे के बाद पुण्यकाल में स्नान, दान आदि कृत्य करेंगे। चुड़ा, दही और खिचड़ी का प्रसाद भी आज ही होगा। विश्वपंचांग के अनुसार संक्रांति के पक्ष में बताते हुए डा. सुदर्शन श्रीनिवास शांडिल्य ने कहा- १५ जनवरी को ब्रह्ममुर्हूत में पुण्यकाल रहेगा। किन्तु विचारणीय है कि यदि छह घंटा पूर्व और छह घंटा प्रश्चात पुण्यकाल मान्य है तो १४ जनवरी को जहां प्रात: ८.३० बजे पुण्यकाल होने से अपराह्नï २ बजे के पूर्व तक संक्रांति विहित नैमित्तिक कर्म पुण्यकाल में करने का अवसर प्राप्त होगा।
१५ जनवरी को रात्रि २ बजे ही पुण्यकाल रहेगा। संक्रांति पश्चात छह घंटे पुण्यकाल की मान्यता के अनुसार। डा. शांडिल्य ने कहा- मकर संक्रांति में सर्वाधिक महत्व सूर्योपासना का विशिष्ट अवसर होने से है। भगवान सूर्य के उत्तरायण होने से प्रकृति में बड़ा परिवर्तन होता है। मकर संक्रांति वर्ष भर सात्विक संस्कार में कर्मनिष्ठ बने रहने का संकल्पधारण करने का दिन होता है। उत्तरायण धर्म की, ज्ञान के प्रकाश की और शक्तिमान होने से भगवान सूर्य शक्तिमान और प्रखर होंगे मकर राशि में। संक्रमण के समय भगवान सूर्य को अघ्र्य देने से वर्ष भर के लिए आरोग्य को प्राप्त करने की कामना पूर्ण होती है।