नई दिल्ली। छिटपुट नोकझोंक को छोड़ दें तो लगभग शांतिपूर्ण तरीके से चल रही राज्यसभा में गुरुवार को उस समय हंगामा शुरु हो गया जब तेलंगाना राष्ट्र समिति ( टीआरएस) के सांसदों ने प्रधानमंत्री की ओर से तेलंगाना गठन को लेकर पिछले दिनों की गई टिप्पणी को लेकर विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया। साथ ही इस पर चर्चा कराने की मांग करने लगे। हालांकि उपसभापति ने यह कहते हुए उनकी मांग को खारिज कर दिया कि इस पर सभापति को ही फैसला लेने का अधिकार है। इसके बाद तो टीआरएस सांसद उग्र हो गए और सदन के अंदर ही काफी देर तक नारेबाजी करते रहे। बाद में सदन का बहिष्कार भी किया।
खासबात यह है कि तेलंगाना गठन को लेकर पीएम की टिप्पणी पर टीआरएस की नींद 48 घंटें के बाद खुली है। क्योंकि पीएम ने यह टिप्पणी आठ फरवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में की थी। इस बीच गुरुवार को जैसे ही टीआरएस ने इस मुद्दे पर नोटिस देते हुए और चर्चा की मांग की तो कांग्रेस, तृणमूल और वामदलों के सांसद भी उसके समर्थन में खड़े दिखे। राज्यसभा में टीआरएस सहित विपक्ष दलों का यह हंगामा गुरुवार को सदन की कार्यवाही शुरु होते ही शुरु हो गया। शून्यकाल में जैसे ही उपसभापति ने मनोज झा को बोलने का मौका दिया। टीआरएस सांसद के. केशव राव ने विशेषाधिकार हनन का नोटिस देते हुए चर्चा कराने की मांग की। इस बीच उपसभापति ने उनकी मांग को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि बगैर सभापति के अनुमति के चर्चा को मंजूरी नहीं दी जा सकती है। नोटिस आज ही मिला है और इसे विचार के लिए सभापति को भेजा गया है।