नई दिल्ली, बिना पंजीयन चल रहे निर्माण कार्य पर स्वत: संज्ञान लेकर रोक लगाने के रियल एस्टेट अपीलेंट ट्रिब्यूनल के आदेश को एक बिल्डर ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत इस मामले पर सुनवाई करेगा कि क्या बिना पंजीयन के चल रहे निर्माण कार्य को स्वत: संज्ञान लेकर रोकने का ट्रिब्यूनल को अधिकार है। पीठ ने इस मामले में अदालत की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव मेहरा को अदालत मित्र नियुक्त किया है। मामले में अगली सुनवाई दो फरवरी को होगी।
बिल्डर प्रवीण छाबड़ा ने ट्रिब्यूनल के 24 नवंबर के उस आदेश को चुनौती दी है जिसके तहत बिल्डर के व्यवसायिक और आवासीय निर्माण पर रोक लगा दी थी। निर्माण स्थल के प्रोजेक्ट का पंजीयन नहीं होने पर रोक लगाने का आदेश दिया था। रोक लगाने का उद्देश्य खरीदारों को ठगी से बचाना था। ट्रिब्यूनल ने सभी निगमों के साथ ही मुख्य अभियंता, नई दिल्ली नगर पालिका परिषद, दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली पुलिस को भी निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि बिना पंजीयन हुए कोई भी निर्माण कार्य न हो।