कोरोना वायरसकी दूसरी लहरका दौर कमजोर तो अवश्य हुआ है लेकिन अभी यह समाप्त नहीं हुआ है। गुरुवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी आंकड़ोंके अनुसार पिछले २४ घण्टोंके दौरान जहां नये संक्रमणके मामले एक लाखसे नीचेके स्तरपर बने रहे वहीं मृतकोंकी संख्या सर्वाधिक ६१४८ रही। बिहारने अपने मौतके आंकड़ोंमें संशोधन किया है, जिसके चलते यह संख्या छह हजारसे ऊपर पहुंच गयी। नये संक्रमितोंका आंकड़ा ९४,०५२। एक दिनमें होनेवाली मौतोंका यह सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसके बावजूद दूसरी लहर धीरे-धीरे कमजोर हो रही है। एक बड़ी चिन्ता तीसरी लहरको लेकर बनी हुई है। इसके प्रति लोगोंकी जिज्ञासाएं भी बढ़ गयी हैं। तीसरी लहरके सन्दर्भमें ख्यात वैज्ञानिकों और विशेषज्ञोंने जो दावा या अनुमान व्यक्त किया है, उससे सुखद संकेत मिले हैं। आईआईटी कानपुरके वैज्ञानिक प्रोफेसर मनिन्दर अग्रवालका मानना है कि तीसरी लहर छोटी हो सकती है। संक्रमणका जो रुझान है, उससे स्पष्टï है कि यह कोई बड़ा आकार लेती हुई अभीतक नहीं दिख रही है। माडल यह भी संकेत कर रहे हैं कि भविष्यमें भी इसके ज्यादा बढऩेका रुझान नहीं है। भारतमें तीसरी लहर पहली और दूसरी लहरकी तुलनामें बहुत कमजोर हो सकती है। लहर कब आयगी और इसका कितना प्रभाव होगा, इसका विश्लेषण किया जा रहा है। अगले सप्ताह इसपर विस्तृत रिपोर्ट जारी होगी। ब्रिटेनमें तीन लहर पहले आ चुकी है। टीकाकरणके चलते चौथी लहर आनेकी आशंका भी क्षीण हो गयी है। इस दावेसे लोगोंकी चिन्ताएं अवश्य कम होगी लेकिन केन्द्र और राज्य सरकारें कोई जोखिम भी नहीं उठाना चाहती हैं। इसलिए सभी आवश्यक तैयारी की जा रही है। विभिन्न स्तरोंपर तेजीसे कार्य चल रहे हैं। बच्चोंके लिए टीका, विशेष कोविड वार्ड, दवाओं, आक्सीजन आदिकी व्यवस्थामें सरकारें जुट गयी हैं। बच्चोंके लिए अभी कोई टीका नहीं है लेकिन इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करनेके लिए मिशन मोडपर कार्य चल रहा है। तीसरी लहरसे लगभग ४० करोड़ बच्चोंको बचानेके लिए टीकेकी ८० करोड़ डोजकी आवश्यकता पड़ेगी। बच्चोंका टीकाकरण बड़े पैमानेपर शुरू करनेकी कार्य योजना बन रही है। देशमें शीघ्र ही दो टीके उपलब्ध होनेकी सम्भावना है। दिसम्बरतक १८ वर्षसे अधिक उम्रके सभी देशवासियोंको टीका लगानेका लक्ष्य है। उत्तर प्रदेश सरकारने बच्चोंके माता-पिता और अभिभावकोंको प्राथमिकताके आधारपर टीका लगानेका कार्य प्रारम्भ कर दिया है। इन तमाम व्यवस्थाओंके अतिरिक्त आम जनताको काफी सतर्क और सजग रहनेकी जरूरत है। प्रोटोकालका पूरा अनुपालन होना चाहिए तभी कोरोनाको परास्त किया जा सकेगा। इसमें लापरवाही प्राणघातक साबित हो सकती है।
किसानोंको राहत
केन्द्र सरकारने किसानोंके हितमें बड़ा फैसला किया है। इससे उनकी आर्थिक स्थितिमें सुधार होगा। सरकारने खरीफ फसल वर्ष २०२१-२२ के लिए सामान्य धानका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ७२ रुपये बढ़ाकर १८४० रुपये प्रति कुण्टल करनेकी घोषणा की है। आयात निर्भरता घटानेके लिए अरहर और इसका समर्थन मूल्य तीन सौ रुपये प्रति कुण्टल कर दिया है। इससे किसान प्रोत्साहित होंगे और उत्पादनमें वृद्धि होगी। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीकी अध्यक्षतामें आर्थिक मामलोंकी मंत्रिमण्डलीय समितिकी बैठकमें चालू फसल वर्ष २०२१-२२ के खरीफ सीजनवाली फसलोंके लिए एमएसपीके प्रस्तावको मंजूरी दी गयी है। इससे दलहन और तिलहनकी खेतीको बढ़ावा मिलेगा और उत्पादन बढऩेसे दाल और खाद्य तेलोंके मामलेमें देश आत्मनिर्भर हो सकेगा। किसानोंकी सम्पन्नता और खुशहालीमें ही देशकी सम्पन्नता और खुशहाली निहित है, क्योंकि हमारे देशकी अर्थव्यवस्था कृषिप्रधान है, इसलिए खेती और किसान दोनोंकी बेहतरी होनी चाहिए। फसलोंके समर्थन मूल्य बढ़ानेसे नि:सन्देह उनको फायदा होगा लेकिन उसका बोझ आम आदमीको ही उठाना पड़ेगा। उनका खर्च बढ़ेगा, इसपर भी सरकारको विशेष ध्यान देनेकी जरूरत है। प्रयास यह होना चाहिए कि किसानोंका लागत मूल्य घटे और उन्हें अधिकसे अधिक फायदा हो और उपभोक्ता भी राहतकी सांस ले सकें। खेतीकी लगातार लागत बढ़ी है। बीते एक सालमें अकेले पेट्रोल ३३ प्रतिशत तो डीजलका दाम २३ प्रतिशत बढ़ गया है। इसके साथ ही खेतीके काम आनेवाली सभी जरूरी सामानोंके दाम बढ़े हैं। ऐसेमें केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ानेसे किसानोंकी आय दोगुनी होनेवाली नहीं है। सरकारको समर्थन मूल्यके साथ कृषिमें काम आनेवाली चीजोंके दामपर भी कड़ी निगरानी रखनी होगी जिससे उनके लागत मूल्यमें कमी आय और उनका लाभ बढ़े। सरकारको इस दिशामें भी अपना प्रयास जारी रखना चाहिए।