किसानोंके हकमें समिति से हटे किसान नेतानयी दिल्ली (आससे.)। केंद्र सरकार और किसानों के बीच महीनों से जारी गतिरोध को तोडऩे के उच्चतम न्यायालय के प्रयासों को आज तगड़ा झटका लगा। भूपिन्दर सिंह मान ने उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित कमेटी से खुद को अलग कर लिया है। किसान संगठनों ने उनके इस निर्णय को अपनी वैचारिक जीत बताया है। इस बीच सबकी नजरें अब कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों और केंद्र सरकार के बीच 15 जनवरी को होने वाली आठवें दौर की बातचीत पर टिकी है। भूपिन्दर सिंह मान ने आज एक बयान में कहा कि उच्चतम न्यायालय ने किसान संगठनों के साथ बातचीत के लिये चार सदस्यीय कमेटी में मुझे शामिल किया है, इसके लिये न्यायालय का शुक्रिया। एक किसान और और एक यूनियन के नेता के तौर पर, विभिन्न किसान संगठनों व जनता के बीच व्याप्त वर्तमान भावना तथा उनकी हिचकिचाहट को देखते हुए मैं किसी भी तरह के पद का बलिदान करने को तैयार हूं। मैं पंजाब और देशभर के किसानों के हितों के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता हूं, इसलिये मैं कमेटी से स्वयं को अलग करता हूं और पंजाब व देश के किसानों के साथ हमेशा खड़ा रहूंगा। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भूपेंदर सिंह के इस फैसले को किसान आंदोलन की वैचारिक जीत बताया है। उन्होंने कहा है कि आज भूपिंदर सिंह मान के अंदर का किसान जाग गया है। साथ ही टिकैत ने उन्हें किसान आंदोलन में शामिल होने के आमंत्रित भी किया है। वहीं, 15 जनवरी को सरकार से होने वाली बातचीत को लेकर किसान नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि हम कल सरकार के साथ बातचीत के लिए जायेंगे। उन्होंने कहा कि पिछली मीटिंग में ही कल की तारीख तय हुई थी, लेकिन सरकार हमें अगर समिति के सामने जाने के लिए कहेगी तो हम नहीं जायेंगे। डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि समिति के लोग तो कानूनों के समर्थन में हैं, ऐसे में हम किसी भी हालत में समिति के समक्ष नहीं जायेंगे। 26 जनवरी को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के बारे में उन्होंने कहा कि हम कह चुके हैं हमारा ट्रैक्टर मार्च पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा। हम लाल किले या राजपथ पर ट्रैक्टर मार्च नहीं करेंगे। जो लोग कह रहे हैं कि लाल किले पर जायेंगे, वे आंदोलन का हिस्सा नहीं हैं। हम दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च जरूर करेंगे। उन्होंने कहा कि ट्रैक्टर मार्च का पूरा रूट हम तय करके बतायेंगे। किसान आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति पर डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि ठंड तो हम झेल ही चुके हैं। 26 जनवरी के बाद यहां और लोग आयेंगे। हम आगे हर राज्य में जाकर और लोगों को जोड़ेंगे। हमें कोई जल्दी नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम तीनों कानूनों को रद्द करा कर ही जायेंगे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के आंदोलन से उत्पन्न स्थिति का समाधान खोजने के प्रयास में तीनों विवादास्पद कानूनों के अमल पर रोक लगा दी है और किसानों की शंका और शिकायतों को सुनने के लिए समिति गठित की है। किसान संगठन इस समिति के पास जाने को तैयार नहीं दिख रहे हैं और आज भूपिंदर सिंह मान द्वारा समिति से बाहर रहने की घोषणा के बाद सुप्रीम कोर्ट के प्रयासों पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
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