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भदोही में 29 अगस्त को दोपहर बाद भारी जलवृद्धि के आसार
कोइरौना (भदोही)। गंगा नदी में लगातार जल वृद्धि जारी है। गंगा ने रौद्र और विकराल रूप धारण कर तटवर्ती लोगों के होश फ़ाख्ता कर दिए हैं। मंदाकिनी ने खतरे की घंटी बजा दी है। लगातार बढ़ रहा जलस्तर खतरे की ऊंचाई छूने को बेताब नजर आ रहा है। बाढ़ के पानी से हर वर्ष प्रभावित होने वाला डीघ का कोनिया इलाका पुनः जद में आता दिख रहा है। रविवार को दिन में गंगा का जलस्तर स्थिर रहने के बाद से लगातार पानी बढ़ रहा है। केंद्रीय जल आयोग वाराणसी के कर्मचारी सूरज श्रीवास्तव ने जानकारी देते हुए बताया कि भदोही के सीतामढ़ी स्थित मीटर गेज पर गंगा का जलस्तर शुक्रवार शाम 7 बजे 79.720 मीटर के आंकड़े को पार कर गया। गुरुवार की देर रात से शुक्रवार दोपहर तक गंगा का जलस्तर 4 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा था। तो दोपहर 2 बजे से शाम तक जलवृद्धि की रफ्तार 2 सेमी प्रति घण्टे की दर्ज की गई।
विभाग ने जानकारी देते हुए बताया कि धौलपुर राजस्थान से करीब 25 लाख क्यूसिक पानी 25 अगस्त को दुबारा छोड़ा गया है। चंबल यमुना से गंगा नदी प्रयागराज में वह पानी 29 अगस्त की सुबह 8 बजे तक पहुंचेगा। दोपहर बाद भदोही के तराई क्षेत्रों में भारी मात्रा में जलवृद्धि के आसार हैं। प्रयागराज से भदोही की सीमा पर करीब 7 घण्टे तो सीतामढ़ी की ओर पानी पहुंचने में 8 घण्टे लगते हैं। उधर उफनती गंगा के जलजले व तबाही आने की सोच अन्य तट वासियों की भी नींदे उड़ गई हैं। कई एकड़ भूमि गंगा में समाहित हो चुकी है।
उग्र होती जलधारा व कटान को देख गंगा किनारे बसे लोग भयभीत हो गए हैं। जलप्लावन का खतरा बढ़ गया है।
उधर जल आयोग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीछे से आ रहे पानी के भारी दबाव के कारण कानपुर के बैराज से भी लाखों क्यूसेक छोड़ा जा सकता हैं। “बता दें कि पिछले दशक भर के रिकॉर्ड में वर्ष 2013 में गंगा नदी का जलस्तर 81.200 मीटर के आंकड़े पर पहुंचा था। जिसका रिकॉर्ड फिलहाल अभी टूट नहीं पाया है। कर्मचारी बताते हैं कि जनपद में खतरे के निशान का स्तर प्रशासनिक पहल ना होने की वजह से निर्धारित नहीं हो सका है। वस्तुतः 2013 को ही साधारणतया खतरे का निशान माना जाता है।”