सम्पादकीय

अक्षम्य लापरवाही


देशमें कोरोनाके खिलाफ मजबूत जंग जारी है। संक्रमण अवश्य कम हुआ है लेकिन खतरा पूर्ववत है। इसलिए जागरूकता और सतर्कता आवश्यक है। साथ ही केन्द्र सरकारने बचावके लिए जो दिशा-निर्देश जारी किया है उसका भी कड़ाईसे अनुपालन आवश्यक है। सामाजिक दूरीके साथ मास्क पहननेकी अनिवार्यता बचावके लिए बहुत जरूरी है लेकिन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयने जो ताजा रिपोर्ट जारी की है वह इस बातका प्रमाण है कि लोग किस हदतक लापरवाही कर रहे हैं। यह लापरवाही अक्षम्य है, क्योंकि इससे कोरोनाके खिलाफ जंगमें कमजोरी आ रही है। रिपोर्टमें कहा गया है कि देशमें ५० प्रतिशत लोग मास्क लगाते ही नहीं हैं और जो लोग मास्क लगाते हैं वह भी सही नहीं है। ६४ प्रतिशत लोग नाक नहीं ढकते हैं और सिर्फ मुंहपर ही मास्क लगाते हैं। २० प्रतिशत लोग ठुड्ढïीपर मास्क पहने हैं जबकि दो प्रतिशत लोगोंके गलेमें मास्क लटकता रहता है। १४ प्रतिशत लोग ही सही तरीकेसे मास्क लगाते हैं। इसका अभिप्राय यह है देशकी कुल आबादीके मात्र सात प्रतिशत लोग ही सही ढंगसे मास्क लगाते हैं। यह स्थिति अत्यन्त चिन्ताजनक है। सही ढंगसे मास्क नहीं पहननेवाले लोग संक्रमणको बढ़ानेमें योगदान कर रहे हैं। इस लापरवाहीके साथ जंग शीघ्र जीतना मुश्किल है। जिन लोगोंने टीके लगवा लिये हैं, उन्हें भी संक्रमणसे बचावके लिए मास्क पहनना बहुत जरूरी है। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि कोरोना वायरस धूल कणोंके साथ दस मीटरतक फैल सकता है। केन्द्र सरकारके प्रधान वैज्ञानिकने दिशा-निर्देशोंमें कहा है कि संक्रमित व्यक्तिके छींकने, खांसनेसे ड्रापलेट दो मीटरकी दूरीतक जा सकते हैं लेकिन वह धूल कणोंके साथ दस मीटरतक फैल सकते हैं। इसका सीधा अर्थ है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति दस मीटरतक संक्रमण फैला सकता है। इसके बावजूद यदि कोई व्यक्ति ठीक ढंगसे मास्क नहीं पहनता है तो क्या यह अक्षम्य लापरवाही नहीं है? कई राज्य सरकारोंने मास्क नहीं पहननेवालोंका चालान काटकर उन्हें दण्डित करनेकी काररवाई भी शुरू कर दी है परन्तु स्थितिमें कोई विशेष बदलाव नहीं आया है। कोरोनाके खिलाफ जंग केवल सरकारके बलपर नहीं जीती जा सकती है। इसके लिए जन-जनकी ईमानदार हिस्सेदारी भी आवश्यक है। सरकार टीकाकरणका अभियान चला रही है और लोगोंको सरकारी अस्पतालोंमें नि:शुल्क टीके लगाये जा रहे हैं लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है। आम जनताकी बड़ी जिम्मेदारी है कि वह अपने और परिजनोंकी जीवन रक्षाके लिए दिशा-निर्देशोंका पालन करें और मास्क अनिवार्य रूपसे लगायें। घरसे बाहर निकलनेपर यदि दोहरे मास्क लगाये जाते हैं तो वह अधिक बेहतर और सुरक्षित है।

नक्सलियोंपर कहर

महाराष्ट्रके नक्सल प्रभावित गढ़चिरौलीमें शुक्रवारको सुरक्षाबलोंको नक्सलियोंके खिलाफ बड़ी कामयाबी मिली है। विशेष रूपसे प्रशिक्षित सी-६० के कमाण्डो और नक्सलियोंके बीच हुई मुठभेड़में १३ नक्सली मारे गये। यह मुठभेड़ उस समय हुई जब गढ़चिरौलीमें नक्सलियोंके एकत्र होनेकी सूचनापर सी-६० यूनिटके कमाण्डो और पुलिसके जवान खोज अभियानपर निकले थे, उनको निकट आता देख नक्सलियोंने ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी जिसके जवाबमें सी-६० के कमाण्डोने मोर्चा सम्भालकर नक्सलियोंपर फायरिंग शुरू कर दी। कमाण्डोके मुंहतोड़ जवाबसे घबराकर कुछ नक्सली तो घने जंगलमें भाग निकले परन्तु १३ नक्सली मारे गये। यह पहला अवसर है जब इतनी बड़ी संख्यामें नक्सली मारे गये हैं और कोई जवान हताहत नहीं हुआ है। दरअसल छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्रकी सीमासे लगे गढ़चिरौलीपर नक्सलियोंका दबदबा बना हुआ था। इनपर अंकुश लगानेके लिए सी-६० यूनिटकी स्थापना की गयी और इनके जवानोंको विशेष रूपसे प्रशिक्षित किया गया था, जो दिन हो या रात किसी समय काररवाईके लिए पूरी तरह प्रशिक्षित किये गये हैं। नक्सलियोंने पिछले महीने गढ़चिरौली जिलेके एटापल्ली नालुकाके गुहा पुलिस थानेपर ग्रेनेड फेंका था हालांकि विस्फोट न होनेके कारण कोई हादसा नहीं हुआ था  लेकिन इसे बड़ी काररवाईके रूपमें लेते हुए सी-६० के कमाण्डोने इनके प्रभावको कम करनेके लिए बड़ा अभियान शुरू किया था और उसीका प्रतिफल है जब १३ नक्सली मारे गये हैं। ये जवान सिर्फ नक्सलियोंके खिलाफ काररवाई ही नहीं करते बल्कि नक्सलियोंके परिवारको मुख्यधारासे जोडऩेके लिए उन्हें जागरूक भी करते हैं। नक्सलियोंके नेटवर्कको ध्वस्त करनेके लिए छत्तीसगढ़ और झारखण्डमें भी जवानोंको विशेष रूपसे प्रशिक्षित करनेकी जरूरत है। इनके खिलाफ सीमावर्ती राज्योंको मिलकर अभियान चलाना चाहिए जिससे उनकी गतिविधियोंपर अंकुश लगानेके साथ ही इन्हें मुख्यधारासे जोडऩेका भी अभियान चलाया जा सके।