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अफगानिस्तानः राजधानी काबुल पर अब एक और संकट, अंधेरे में डूबने की आशंका


  1. अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन के बाद राजधानी काबुल को एक और नए संकट का सामना करना पड़ सकता है और वह भी तब जब वहां अगले कुछ समय में सर्दियां शुरू होने वाली हैं. अफगानिस्तान की राजधानी काबुल अंधेरे में डूब सकती है क्योंकि देश के नए तालिबान शासन की ओर से मध्य एशियाई बिजली आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान नहीं किया गया है या उपभोक्ताओं से पैसा लेना शुरू नहीं किया गया है.

तालिबान की ओर से 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के महज 2 हफ्ते बाद देश की स्टेट पावर मोनोपोली दा अफगानिस्तान ब्रेशना शेरकट (DABS) के मुख्य कार्यकारी पद से इस्तीफा देने वाले दाउद नूरजई ने चेताया कि अगर इसका समाधान नहीं किया गया तो यह मानवीय आपदा का कारण बन सकती है.

वॉल स्ट्रीट जनरल में प्रकाशित खबर के अनुसार, दाउद नूरजई ने कहा, ‘देश भर में इसका असर होगा, खासतौर से काबुल में. यहां ब्लैकआउट हो जाएगा तथा सत्ता और दूरसंचार के लिहाज से यह अफगानिस्तान में डार्क एज में वापस ले जाएगा.’ नूरजई अभी डीएबीएस के मैनेजमेंट के साथ निकट संपर्क में रहता है और उन्होंने कहा कि यह वास्तव में एक खतरनाक स्थिति होगी.

आयातित बिजली पर निर्भर है अफगानिस्तान

उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान से बिजली का आयात अफगानिस्तान में पूरे देश की बिजली खपत का करीब आधा हिस्सा है, जबकि ईरान देश के पश्चिम में अतिरिक्त आपूर्ति प्रदान करता है. इस साल के सूखे की वजह से ज्यादातर पनबिजली स्टेशनों पर घरेलू उत्पादन प्रभावित हुआ है. अफगानिस्तान में राष्ट्रीय बिजली ग्रिड का अभाव है, और काबुल लगभग पूरी तरह से मध्य एशिया से आयातित बिजली पर निर्भर करता है.