अन्तर्राष्ट्रीय

अमेरिका ने जताई भारत के साथ काम करने की इच्छा


रूस के साथ युद्ध लड़ रहे यूक्रेन के पीछे अमेरिका खड़ा है, ये जगजाहिर है। ऐसे में रूस से बेहद नाराज अमेरिका ने भारत के काम करने की इच्‍छा जाहिर की है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्‍ता नेड प्राइस रूस में भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जो कहा वो कुछ मायनों में संयुक्त राष्ट्र (UN) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हमने जो सुना, उससे भिन्न नहीं थे, जब उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि यह युद्ध का युग नहीं है। ऐसे में हम अर्थशास्त्र, सुरक्षा संबंधों और सैन्य सहयोग सहित हर क्षेत्र में भारत के साथ अपनी साझेदारी को गहरा करना चाहते हैं।  नेड प्राइज ने कहा कि ऐसे कई देश हैं, जिन्‍हें यह अहसास हो गया है कि मास्को ऊर्जा या सुरक्षा का एक विश्वसनीय स्रोत नहीं है। उन्‍होंने कहा, ‘रूस ऊर्जा और सुरक्षा सहायता का विश्वसनीय स्रोत नहीं है। यह न केवल यूक्रेन या क्षेत्र के हित में है कि भारत समय के साथ रूस पर अपनी निर्भरता कम करे। यह भारत के अपने द्विपक्षीय हित में भी है, जो हमने रूस की रणनीति को अब तक जाना है। नेड प्राइस ने कहा, ‘भारत फिर से पुष्टि कर चुका है कि वो रूस-युक्रेन युद्ध के खिलाफ खड़ा है। वह कूटनीति, संवाद और इस युद्ध का अंत देखना चाहता है। यह महत्वपूर्ण है कि रूस भारत जैसे देशों से उस संदेश को सुनें, जिनके पास आर्थिक, राजनयिक, सामाजिक और राजनीतिक ताकत है। आमतौर पर जब रूस के साथ भारत के संबंधों की बात होती है, तब हमने कह है कि यह एक ऐसा रिश्ता है, जो दशकों के दौरान विकसित और मजबूत हुआ। असल में ये शीत युद्ध के दौरान ऐसे समय में विकसित हुआ था, जब जब अमेरिका भारत के साथ आर्थिक भागीदार, सुरक्षा भागीदार और सैन्य साझेदार बनने की स्थिति में नहीं था। हालांकि, अब हालात एकदम बदल गए हैं। यूक्रेन रूस युद्ध के बीच भारत ने साफ कर दिया है कि वह रूस से तेल खरीदेगा। इस पर अमेरिका को जरूर बुरा लगा होगा। रूस से भारत द्वारा तेल खरीदने के सवाल पर नेट प्राइस ने कहा, ‘अमेरिका अपना रुख साफ कर चुका है कि अब रूस के साथ पहले की तरह व्यापार करने का समय चला गया है। अब यह दुनियाभर के देशों पर निर्भर है कि वे रूस के साथ अपने संबंधों कैसे आगे बढ़ाते हैं। अमेरिका का यही कहना है कि निश्चित रूप से रूसी ऊर्जा पर निर्भरता को कम करने का समय आ गया है।