सम्पादकीय

अर्थव्यवस्थाको गति देनेका प्रयास


 डा. जयंतीलाल भंडारी   

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमणने राहत पैकेजमें स्वास्थ्य, पर्यटन और छोटे कर्जदारोंके लिए ऋण गारंटी योजनाकी घोषणाके अलावा आपात ऋण सुविधा योजना (ईसीएलजीएस) की रकम बढ़ानेके साथ आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजनाका दायरा भी बढ़ाया गया है। गौरतलब है कि नये राहत पैकेजमें अर्थव्यवस्थाके लिए आठ विभिन्न प्रकारके राहत उपायोंकी घोषणा की गयी है। निश्चित रूपसे राहतके कदम बेहतर तरीकेसे लक्षित हैं। राहत उपाय विभिन्न क्षेत्रोंको महामारीके कारण मची उथल-पुथलसे निबटनेमें मददगार होंगे। ताजा घोषणाएं प्रमुख रूपसे दूसरी लहरसे विशेष रूपसे प्रभावित विभिन्न क्षेत्रोंको पटरीपर लाने और कारोबारोंको ऋणकी उपलब्धता सुधारनेपर केंद्रित हैं। ईसीएलजीएस राशि बढ़ाये जानेसे नकदी प्रवाहको अहम समर्थन मिल सकेगा। चूंकि पर्यटन और होटल क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रोंमें हैं, अतएव इस क्षेत्रके लिए राहत पैकेजसे संपूर्ण अर्थव्यवस्था लाभान्वित होगी। यदि हम नये राहत पैकेजके प्रमुख प्रावधानोंको देखें तो सरकार कोरोनासे प्रभावित क्षेत्रोंको १.१ लाख करोड़ रुपयेकी ऋण गारंटी बढ़ायगी। ब्याज दरके कारण अस्पतालों तथा अन्य सेवा प्रदाताओंको क्षमता बढ़ानेका प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार पर्यटनसे जुड़े लोगोंके ऋणकी भी गारंटी देगी। स्वास्थ्य क्षेत्रमें सरकार चालू वित्त वर्षमें बच्चोंकी देखभालपर बड़ी राशि व्यय करेगी। इससे बच्चोंकी स्वास्थ्यकी समस्याओंके निराकरणके लिए क्षमता बढ़ानेमें योगदान मिलेगा। गत वर्ष २०२० में घोषित इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजनाकी कुल सीमामें १.५ लाख करोड़ रुपयेका इजाफा किया गया है।

इससे छोटे उद्यमियों और कारोबारियोंको कार्यशील पूंजी जुटानेमें मदद मिलेगी। सरकारके द्वारा सूक्ष्म वित्त संस्थानों द्वारा करीब २५ लाख लोगोंको प्रदत्त १.२५ लाख रुपयेतकके ऋणको गारंटी प्रदान किये जाने और ऋण कम ब्याज दरपर उपलब्ध होनेसे छोटे कारोबारियों और उद्यमियोंको कारोबारी गतिविधियां दोबारा शुरू करनेमें सहायता मिलेगी। गौरतलब है कि जिस तरह कोरोनाकी दूसरी घातक लहरसे अर्थव्यवस्थामें गिरावटके साथ आर्थिक-सामाजिक मुश्किलें तेजीसे बढऩेका परिदृश्य दिखाई दे रहा है, उसके मद्देनजर नये राहत पैकेजकी जरूरत अनुभव की जा रही थी। यदि हम वैश्विक वित्तीय संघटनों एवं क्रेडिट रेटिंग एजेंसियोंकी अध्ययन रिपोर्टोंमें विकास दरमें बड़ी कमी आनेकी बात कही जा रही है। २३ जूनको मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विसने भारतके वृद्धि दरके अनुमानको घटाकर ९.६ प्रतिशत कर दिया है, जो पिछले अनुमानमें १३.९ प्रतिशत था। रिपोर्टमें कहा कि उच्च आवृत्तिवाले आर्थिक संकेतक बताते हैं कि कोरोनाकी दूसरी लहरने अप्रैल और मईमें भारतकी अर्थव्यवस्थाको प्रभावित किया। वायरसके फिरसे उभरनेके कारण भारतकी २०२१ की वृद्धि अनुमानको लेकर अनिश्चितता बढ़ी है। रिपोर्टमें कोरोना टीकाकरणकी निम्न दरको लेकर चिंता जतायी गयी है। इसमें कहा गया है कि तेजीसे टीकाकरण कर आर्थिक नुकसान घटाया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि अभी जहां कोरोना महामारीकी पहली लहरसे मिली भारी गिरावटसे देशकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह उबर नहीं पायी है, वहीं अब उसके सामने कोरोनाकी दूसरी घातक लहरके नुकसान दिखाई देने लगे हैं।

ऐसेमें केंद्र सरकार, विभिन्न राज्य सरकारों और आरबीआईने महामारीकी दूसरी लहरके बीच अर्थव्यवस्थाके विभिन्न क्षेत्रों तथा महामारीसे पीडि़त लोगोंकी मददके लिए कई कदम आगे बढ़ाये हैं। यदि हम केंद्र सरकारके द्वारा घोषित राहत पैकेजके अलावा पिछले दो महीनोंमें घोषित किये गये आर्थिक-सामाजिक राहतके प्रावधानोंको देखें तो केंद्र सरकारने गरीब परिवारोंके लिए एक बार फिर मई २०२१ से प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की है। इससे ८० करोड़ लाभार्थी लाभान्वित होंगे। प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजनापर २६००० करोड़ रुपयेसे ज्यादा खर्च होंगे। यह भी महत्वपूर्ण है कि आरबीआईने व्यक्तिगत कर्जदारों एवं छोटे कारोबारोंके लिए कर्ज पुनर्गठनकी जो सुविधा बढ़ायी है और कर्जका विस्तार किया है, उससे छोटे उद्योग-कारोबारको लाभ होगा। इस नयी सुविधाके तहत ५० करोड़ रुपयेतकके बकायेवाले वह कर्जदार अपना ऋण दो सालके लिए पुनर्गठित करा सकते हैं, जिन्होंने पहले मारेटोरियम या पुनर्गठनका लाभ नहीं लिया है। स्वास्थ्य क्षेत्रकी वित्तीय जरूरतोंको पूरा करनेके लिए आरबीआईने ५०,००० करोड़ रुपयेकी नकदीकी व्यवस्था की है। इसके अलावा आरबीआईने ४ जूनको पर्यटन, होटल और विमानन जैसे उन क्षेत्रोंके लिए १५००० करोड़ रुपयेके नकदी समर्थनकी घोषणा की, जो महामारीकी दूसरी लहरसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। देशकी अर्थव्यवस्थाको गिरावटसे रोकने एवं गतिशील करनेके लिए टीकाकरणकी सफलता जरूरी है। केंद्रकी सबके लिए नि:शुल्क टीकाकरण नीति लागू होनेके पहले दिन ८५ लाखसे अधिक टीके लगाये गये हैं। निश्चित तौरपर टीकाकरणमें वृद्धिके लिए केंद्र द्वारा जून २०२१ में टीकाकरणकी नीतिमें किया गया बदलाव बड़ी वजह है। इसके तहत अब १८ वर्षसे अधिक उम्रके सभी लोगोंके लिए भी नि:शुल्क टीके लगाये जा रहे हैं। लेकिन इस वर्ष दिसंबरतक सबके लिए टीकाकरणका लक्ष्य पूरा करनेके लिए प्रतिदिन करीब ९० लाख टीके लगाने होंगे।

अबतक देशमें जनसंख्याके पांचवें हिस्सेको टीका लग चुका है। इनमें बड़ी तादाद ऐसे लोगोंकी है, जिन्हें केवल एक टीका लगा है। टीकाकरणके मामलेमें हम अभी ब्राजीलसे बहुत पीछे हैं। ब्राजीलने अपनी आबादीके ४० फीसदी हिस्सेको टीका लगा दिया है। चीनमें आबादीके करीब ९० फीसदी और अमेरिकामें करीब ९५ फीसदी हिस्सेका कोरोना टीकाकरण हो चुका है। इस बातपर ध्यान दिया जाना होगा कि पिछले वर्ष २०२० में कोरोनाकी भीषण चपेटमें आये कई पश्चिमी देशोंने अपने उद्योग-कारोबारको सामान्य बनाने और अर्थव्यवस्थाको गतिशील करनेमें टीकाकरणपर व्ययको बेहतर विकल्प माना है। ऐसेमें टीकाकरणकी गति आनेवाले समयमें और तेज करनेसे जहां कोरोना चिंताओंको कम किया जा सकेगा, वहीं अर्थव्यवस्थाको गतिशील किया जा सकेगा। हम उम्मीद करें कि सरकारने कोरोनासे निर्मित मानवीय पीड़ाओं और आर्थिक-सामाजिक मुश्किलोंको कम करनेके साथ विकास दर बढ़ाने हेतु २८ जूनको जिस राहत पैकेजका ऐलान किया है, उसका शीघ्रतापूर्वक क्रियान्यवन किया जायगा। हम उम्मीद करें कि अब सरकार राहत पैकेजके अलावा नयी मांगके निर्माण हेतु लोगोंकी क्रयशक्ति बढ़ानेके लिए व्यक्तिगत स्तरपर करमें कटौती सहित आर्थिक प्रोत्साहनोंके लिए भी रणनीतिक रूपसे आगे बढ़ेगी।