सम्पादकीय

अर्थव्यवस्था और मांगका सुचक्र


डा. भरत झुनझुनवाला
आगामी बजटकी मुख्य चुनौती रोजगार बनाने एवं जमीनी स्तरपर बाजारमें मांग बनानेकी है जो एक दुष्कर कार्य है। फि र भी इस कार्य को किया जा सकता है यदि सरकार अपनी आय और खर्च दिशामें बदलाव करें। मेरे सुझाव इस प्रकार हैं। वर्तमान वर्ष अप्रैल २०२०से मार्च २०२१ कोविडके कारण असामान्य रहा है। इसलिए मैं अपने सुझाव वर्ष २०१९-२० के आधार पर दे रहा हूं। राजस्वके क्षेत्रमें पहला सुझाव है कि बड़ी कम्पनियोंके द्वारा अदा किये जानेवाले कारपोरेट टैक्समें वृद्धि की जाय। इस मद से २०१९-२० में ३.२ लाख करोड़ रूपये का राजस्व मिला था। इसे बढ़ाकर आगामी वर्ष २०२१-२२ में ४.० लाख करोड़ रूपये वसूल किया जाए। कारपोरेट टैक्सकी वृद्धिसे बड़ी कंपनियों की प्रवृत्ति बनेगी कि वे अपने मुख्यालयोंको भारतसे हटा कर उन देशोंमें ले जाएं जहां कार्पोरेट टैक्सकी दर कम है। इससे निजात पानेका उपाय यह है कि दूसरे देशोंके साथ किये गये डबल टैक्स अग्रीमेंटमें संशोधन किया जाय। ऐसेमें जो बड़ी कम्पनियां भारतसे अपने मुख्यालयोंको स्थान्तरित करेंगी उन्हें भारतमें आयकर देते रहना पड़ेगा। दूसरा सुझाव है कि व्यक्तिगत आयकर की दरमें वृद्धि की जाय। २०१९-२० में आयकरसे केन्द्र सरकारको २.८ लाख करोड़ रूपये रूपयेका राजस्व मिला था। इसे २०२१-२२ में बढ़ाकर ४.० लाख करोड़ रूपये रूपये कर दिया जाय।
निशचित रूपसे इससे समृद्ध वर्ग द्वारा बाजारमें उत्पन्न की जानेवाली मांगमें कुछ गिरावट आएगी परन्तु इससे कई गुना ज्यादा भरपाई हेलीकाफ्टर मनी से हो जायेगी जिसका विवरण मैं नीचे दे रहा हूं। तीसरा सुझाव है कि जीएसटी की दर में कटौतीकी जाये। वर्ष २०१९-२० में जीएसटी से केन्द्र सरकार को ६.१ लाख करोड़ रूपये रूपये का राजस्व मिला था। इसमें कटौती करके इससे भी केवल ४.० लाख करोड़ रूपये रूपये की वसूली की जाय। इससे बाजार में मांग बढ़ेंगी क्योंकि माल सस्ता हो जाएगा। भ्रष्टाचार भी कम होगा। चौथा सुझाव है कि आयातकरसे वर्ष २०१९-२० में केन्द्र सरकारको ०.६ करोड़का राजस्व मिला था। इसे तीन गुना बढ़ाकर इससे २.० लाख करोड़ रूपये रूपयेकी वसूलीकी जाय। इस कदममें डब्लूटीओ नहीं आता है चूंकि वर्तमानमें हम डब्लूटीओमें स्वीकृत दरोंसे तिहाई से कम आयात कर वसूल कर रहे हैं। ऐसा करने से आयातित माल महंगा हो जाएगा। घरेलू उत्पादनको संरक्षण मिलेगा, घरेलू उत्पादन बढ़ेगा, रोजगार बनेगा और अर्थव्यवस्थाका चक्का चल निकलेगा। पांचवा सुझाव है कि केन्द्र सरकार द्वारा वसूल किये गये सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, जो कि मुख्यत: पेट्रोलियम पदार्थोंपर वसूलकी जाती है, को बढ़ाया जाये। इस मद से २०१९-२० में २.५ लाख करोड़ रूपये रूपये का राजस्व केन्द्र सरकार को मिला था। इसे बढ़ाकर आगामी वर्ष में ४.० लाख करोड़ रूपये रूपये की वसूली की जाय। ऐसा करने से पेट्रोल डीजल के दाम जो वर्तमान में लगभग ९० रूपये प्रति लीटर है बढ़ाकर १२० रूपये प्रति लीटर हो जायेंगे। इससे पेट्रोल और डीजल की खपत में कमी आएगी, इन पदार्थोंका आयात कम होगा और निर्यातोंपर भी दबाव कम होगा। ऐसे में जो महंगाई बढ़ेगी उसकी भरपाई पुन: हेलीकाफ्टर मनी से हो जायेगी जिसका विवरण नीचे दिया जा रहा है। अन्य मदोंसे केन्द्र सरकारको २०१९-२० में ४.३ लाख करोड़ रूपयेका राजस्व मिला था जिसे आगामी वर्षमें उसी स्तर पर बरकरार माना जाय। वित्तीय घाटा २०१९-२० में ७.७ लाख करोड़ रूपये रहा थाए जिसे भी पूर्ववत रखा जाए। इस प्रकार २०१९-२० में सरकारका कुल राजस्व २७ लाख करोड़ रूपये था जो उपर दिए गये सुझाओंको लागू करनेके बाद ३० लाख करोड़ रूपये हो जायेगा।
अब खर्चपर विचार करते हैं। रक्षा पर २०१९-२० में ४.४ लाख करोड़ रूपये खर्च हुआ था इसे बढ़ाकर ७.० लाख करोड़ रूपये कर देना चाहिए क्योंकि देश पर सामरिक संकट छाया हुआ है। दूसरे रिसर्च और संचारके क्षेत्रमें २०१९-२० में ०.६ लाख करोड़ रूपये रूपयेका खर्च हुआ था। इसमें पांच गुना वृद्धि करके ३.० लाख करोड़ रूपयेकर देना चाहिए क्योंकि ये खर्च आने वाले समयमें हमारी आर्थिक समृद्धिका आधारशिला होंगे। तीसरे गृह मंत्रालयको २०१९-२० में १.४ लाख करोड़ रूपये का खर्च दिया गया था जिसे पूर्ववत बनाये रखा जाए। चौथे स्वास्थ मंत्रालयको २०१९-२० में ०.६ लाख करोड़ रूपये आवंटित किया गया था उसे पूर्ववत रखा जाय। इसमें परिवर्तन यह करना चाहिए कि व्यक्तिगत लोगोंको लाभ पहुंचानेवाली योजनायें जैसे सेंट्रल गवर्मेंट हेल्थ स्कीम और इम्प्लोयी इन्स्युरैंस कारपोरेशन आदि पर खर्च घटाकर कोविड जैसे संक्रामक रोगोंकी रिसर्च पर खर्च बढ़ा देना चाहिए। पांचवां अन्य तमाम मंत्रालयों पर २०१९-२० में २०.० लाख करोड़ रूपये का खर्च हुआ था। इन सभी के आवंटन में ५० प्रतिशत कटौती करके इसे १०.० लाख करोड़ रूपये रूपये कर देना चाहिए। हाइवे इत्यादि बनानेके कार्योंको एक वर्षके लिए विराम दे देना चाहिए। जब अर्थव्यवस्था पुन: गति पकड़ ले तब इन्हें पुन: बहाल कर देना चाहिए।
इस प्रकार २०१९-२० के २७.० लाख करोड़ रूपये के खर्च के सामने उपर बताये गये खर्च २२.० लाख करोड़ रूपये रूपये बैठता है। शेष ८.० लाख करोड़ रूपये की रकमको देशके १४० करोड़ नागरिकोंमें प्रत्येक व्यक्तिको ५०० रूपये प्रति माहकी दरसे सीधे उनके खातों में डाल देना चाहिए। ऐसा करनेसे पांच सदस्योंके प्रत्येक परिवारको २५०० रूपये प्रति माह मिल जायेंगे। जिससे उन्हें वर्तमानमें राहत भी मिलेगी और यह रकम देशकी अर्थव्यवस्थामें भारी मांग भी उत्पन्न करेगी।
सत्तारूढ़ पार्टीको राजनीतिक लाभ भी मिलेगा। इस मांगके उत्पन्न होनेके साथ-साथ यदि आयातकरमें वृद्धि की गयी तो घरेलू उत्पादन तत्काल गतिशील हो जायेगा और रोजगार बनेंगे। अर्थव्यवस्थामें मांग और रोजगारका सुचक्र पुन: स्थापित हो जायेगा। ५०० रूपये प्रति व्यक्तिको बैंकके खातेमें सीधे डाले जानेको हेलीकाफ्टर मनी कहा जाता है। जैसेकी हेलीकाफ्टरसे आपके घरमें यह रकम डाल दी जाय। इस प्रकारका कार्य अमेरिका आदि देशोंमें किया गया है और इसके सुपरिणाम भी हुए हैं। वित्तमंत्रीको इसे अपनाना चाहिए। ऐसा करनेसे देशके नागरिकोंके हाथमें तरलता आ जाएगी और अर्थव्यवस्था निश्चित रूपसे चल निकलेगी और हम दस से १५ प्रतिशतका जीडीपीमें वृद्धि दर हासिल करनेमें कामयाब हो सकेंगे।