वाराणसी

अस्थमा में टेबलेट-सीरप की अपेक्षा इनहेलेशन थेरेपी अधिक कारगर- डाक्टर जे.के. सामरिया


अस्थमा एक लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है जिसमें सामान्यतौर पर शरीर में एयरवे वायुमार्ग में सूजन और वायुमार्ग में सिकुडऩ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। बीमारी से लडऩे का सबसे प्रभावी उपचार इनहेलर्स है। इसकी मदद से नियंत्रित किया जा सकता है। भारत में अस्थमा के लगभग पडऩे चार करोड़ मरीज हैं। बावजूद इसके इनहेलर्स का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बहुत ही कम है। जनसाधारण में इनहेलर्स के प्रति जागरुकता पैदा करने के तहत अस्थमा के लिए, इनहेलर्स हैं सही अभियान को गुरुवार को लॉन्च किया गया। इस अभियान को आनलाइन माध्यम से वाराणसी के वरीष्ठ चेस्ट रोग विशेषज्ञ एवं बीएचयू चेस्ट विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉक्टर जे के सामिरया ने किया। उन्होंने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक वाराणसी में स्थानीय चेस्ट रोग विशेषज्ञ चिकित्सक रोज़ाना औसतन ३० से ३५ नये एवं पुराने अस्थमा एवं श्वसन संबंधी रोगों से पीडि़त मरीज़ों की जांच करते हैं। जागरुकता के कारण पिछले कुछ सालों में इनहेलेशन थेरेपी का इस्तेमाल करने वाले मरीज़ों की संख्या में वृद्धि हुई है। बावजूद इसके श्वसन संबंधी रोगों और इनहेलर्स को लेकर आज भी सामाजिक कलंक और गलतफहमियाँ मौजूद हैं। डॉक्टर सामरिया ने कहा कि यह अभियान अस्थमा और इनहेलर्स से जुड़े सामाजिक कलंक को मिटाने पर ज़ोर देता है। यह अभियान इस तथ्य को प्रमुखता से दोहराता है कि अस्थमा के किसी भी मरीज़ के लिए टैबलेट और सीरप जैसी मौखिक थेरेपी की तुलना में इनहेलेशन थेरेपी सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावी दवाई के रुप में काम करती है। इनहेलर्स का सबसे महत्तवपूर्ण फायदा यह है कि इनहेलर्स के साथ दवाई सीधे फेफड़ों में जाकर काम करती है। इसलिए दवाई की मात्रा भी कम हो जाती है और इसी वजह से दुष्परिणाम भी कम होते हैं। उन्होंने कहा कि इस अभियान में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता आयुष्मान खुराना, सेलिब्रिटी शेफ विकास खन्ना और अर्जुन पुरस्कार विजेता बैंडमिंटन खिलाड़ी परुपल्ली कश्यप आदि राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय हैं।