आज़मगढ़

आंदोलनकारी किसानों से निपटने के लिए प्रशासन मुस्तैद


आजमगढ़। जिला मुख्यालय स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय को सोमवार को हेलमेट एवं सुरक्षा कवच से लैस होकर मुस्तैदी से खड़े देख उस रास्ते से गुजर रहे लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन गया। एसपी कार्यालय एवं आसपास के इलाके में गहमा-गहमी का माहौल देख हर किसी को पूरा मामला जानने की जिज्ञासा रही। वहां मौजूद लोगों की उत्सुकता तब शांत हुई जब लोगों को पता चला कि जिले के मंदुरी हवाई अड्डे के विस्तार हेतु किसानों की जमीन का अधिग्रहण करने के विरोध में लंबे समय से आंदोलनरत किसानों को उनके संघर्ष में साथ देने के लिए मैग्सेसे एवार्ड से सम्मानित डा0 संदीप पाण्डेय के नेतृत्व में किसान आन्दोलनकारियों ने एसपी कार्यालय पर धरना शुरू दिया है। आन्दोलनकारी पुलिस अधीक्षक को अपना शिकायती पत्र सौंपने के लिए गये थे। कुछ देर तक पुलिस कार्यालय पर काफी गहमा गहमी का माहौल बना रहा। धरने पर बैठे किसान नेताओं को पुलिस ने चारों तरफ से घेर रखा था। बवाल की आशंका से मौके पर दो पुलिस वैन भी बुला ली गई थी। स्थिति को भांपते हुए पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य ने सूझ-बूझ दिखाते हुए किसान नेताओं के प्रतिनिधिमण्डल को मिलने के लिए बुलाया और उनकी बातें सुनी। काफी देर तक किसान नेताओं की पुलिस अधीक्षक से वार्ता हुई। पुलिस अधीक्षक से मिलने और उनके समक्ष अपनी बात रख आन्दोलनकारी वहां से मन्दुरी खिरियाबाग के लिए रवाना हो गये। पुलिस अधीक्षक अनुराग आर्य को सौंपे गये ज्ञापन में डा0 संदीप पाण्डेय ने बताया कि खिरिया बाग, जमुआ के किसान-मजदूर पिछले 75 दिन से धरने पर बैठे हैं। हमारे आंदोलन के समर्थन में वाराणसी से एक पदयात्रा 24 दिसंबर को आने वाली थी, उसी को लेकर वाराणसी गए आंदोलन से जुड़े राजीव यादव और विनोद यादव के अपहरण की सूचना ढाई बजे के करीब मिली। हमने लगातार उनसे संपर्क किया पर दोनों का मोबाइल बंद रहा। उनके साथ गए लोगों ने बताया कि जब 112 पर अपहरण की सूचना दी तो वहां की स्थानीय पुलिस ने बताया कि एसटीएफ  क्राइम ब्रांच ने उन्हें उठाया है। देर रात सूचना मिली कि दोनों को छोड़ दिया गया है। हमने इस संदर्भ में राजीव यादव से बात की तो उन्होंने बताया कि उनसे अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के नाम पर किसानों-मजदूरों की जमीन-मकान छीनने के खिलाफ  चल रहे आंदोलन के बारे में पूछताछ की गई। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से हम आंदोलन चला रहे हैं। इस सवाल पर हमारे पक्ष में विधानसभा और लोकसभा में भी सवाल उठ चुके हैं। ऐसे में हमारे आंदोलन से जुड़े किसी व्यक्ति का अपहरण कर कई थानों से घूमते हुए उसे कंधरापुर थाना ले जाकर जिस तरीके से रिहा किया गया वो स्पष्ट करता है कि प्रशासन आंदोलन को तोडऩे की साजिश के तहत इस तरह की गैरकानूनी कार्रवाई कर रहा है। एक किसान नेता को जिस तरह से अपराधियों की तरह उठाया गया, मारा-पीटा गया और उनसे पिस्टल के बारे में पूछताछ की गई वो बताता है कि उन्हें फर्जी मुकदमे में फंसाने की साजिश के तहत यह कार्रवाई की गई। जिन अपहरणकर्ताओं ने राजीव यादव और विनोद यादव का अपहरण किया उनके ऊपर मुकदमा दर्ज करते हुए इस साजिश में संलिप्त सभी दोषियों के खिलाफ  सुसंगत धाराओं में दंडात्मक कार्रवाई की जाए।