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आतंकी फंडिंग रोकने को विश्व समुदाय को एकजुट करेगा भारत, 75 देशों के नो मनी फार टेरर सम्मेलन में करेगा आगाह


 नई दिल्ली। पाकिस्तान के फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की निगरानी सूची से बाहर आने के बाद सीमा पार से आतंकी फंडिंग बढ़ने की आशंका को देखते हुए भारत इसके खिलाफ वैश्विक सहयोग बढ़ाने की कोशिशों में जुट गया है। मुंबई और दिल्ली में आतंकवाद के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र समिति की बैठक में पाकिस्तान में मौजूद आतंकी नेटवर्क के खतरे के प्रति दुनिया को आगाह करने के बाद इस हफ्ते दिल्ली में आतंकी फंडिंग रोकने के उपायों पर चर्चा के लिए दुनिया के 75 देशों का ”नो मनी फार टेरर” सम्मेलन होने जा रहा है।

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पाक के एफएटीएफ की निगरानी सूची से निकलने के बाद आतंकी फंडिंग व हमले बढ़ने की आशंका

इसके पहले इंटरपोल की महासभा की बैठक में गृह मंत्री अमित शाह आतंकी फंडिंग, संगठित अपराध और ड्रग्स तस्करी के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए सभी देशों की एकजुटता का आह्वान कर चुके हैं। दरअसल, भारत में सीमा पार से संचालित आतंकी गतिविधियों के आंकड़ों से साफ है कि पाकिस्तान के 2017 में एफएटीएफ की निगरानी सूची में आने के बाद से इसमें कमी आई थी। इसके कारण पाकिस्तान में भारत विरोधी आतंकी संगठनों, उसके सरगनाओं की सक्रियता और उन्हें सरकार की ओर से मिल रहे खुलेआम समर्थन पर रोक लगी थी।

आतंकी शिविरों की संख्या में 75 प्रतिशत की कमी

परिणास्वरूप पाकिस्तान के भीतर आतंकी शिविरों की संख्या में 75 प्रतिशत की कमी देखी गई। यही नहीं, भारत के भीतर कश्मीर में जहां 2016 में 15 बड़े आतंकी हमलों में सुरक्षा बलों के 60 जवान और 33 विदेशी आतंकी मारे गए थे। 2017 में यह संख्या आधी रह गई थी और आठ बड़े आतंकी हमलों में सुरक्षा बलों के 24 जवान और 15 विदेशी आतंकी मारे गए थे। 2018 में बड़े आतंकी हमलों की संख्या तीन, 2019 में एक और 2020 में शून्य तक पहुंच गई थी। 2021 और 2022 में क्रमश: तीन और एक बड़ा आतंकी हमला हुआ।

बाहरी मजदूरों पर हमलों व ड्रोन से हथियारों की सप्लाई से बढ़ी चिंता

पिछले महीने एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान को निगरानी सूची से बाहर कर दिया गया। जाहिर है निगरानी सूची से बाहर आने के बाद पाकिस्तान में भारत विरोधी आतंकी संगठनों की फंडिंग बढ़ने और उसके अनुरूप उनकी सक्रियता बढ़ने की आशंका गहरा गई है। इसके सुबूत मिलने भी लगे हैं। कश्मीर में निहत्थे कश्मीरी पंडितों और बाहरी मजदूरों पर बढ़ते हमले इसी का परिणाम हैं। इसके साथ ही सीमा पार से ड्रोन के मार्फत हथियारों और फंडिंग के लिए ड्रग्स सप्लाई की बढ़ती घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है।

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इंटरपोल की आमसभा में भी पीएम मोदी ने किया था आगाह

एफएटीएफ से बाहर आने के बाद पाकिस्तान में आतंकी फंडिंग को बढ़ने से रोकना और आतंकी संगठनों की गतिविधियों को नियंत्रित रखना भारत के एजेंडे पर है। भारत की कोशिश एफएटीएफ के बाहर भी आतंकवाद और आतंकी फंडिंग को लेकर वैश्विक एकजुटता बनाने और ऐसे मामले में कारगर कार्रवाई सुनिश्चित करने की है। यही कारण है कि इंटरपोल की आमसभा की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को आगाह किया था कि आतंक के लिए कहीं भी सुरक्षित ठिकाना नहीं होना चाहिए।

विभिन्न देश एकजुट हुए तो पाक के लिए होगी मुश्किल

इस हफ्ते शुक्रवार और शनिवार को ”नो मनी फार टेरर” पर होने जा रहे वैश्विक सम्मेलन में आतंकी फंडिंग के सभी आयामों और उसे रोकने के तरीकों पर चर्चा होगी। आतंकी फंडिंग के खिलाफ यदि वैश्विक माहौल बनता है और उसके विरुद्ध कार्रवाई के लिए सभी देश एकजुट होते हैं, तो पाकिस्तान के लिए इसे बढ़ावा देना आसान नहीं होगा।