इस रिसर्च में पाया गया कि मार्च 2020 में COVID-19 के चलते अमेरिका में लगाए गए लॉकडाउन के चलते हवा में PM 2.5 के स्तर में कमी आई जिसके चलते अमेरिका में हार्ट अटैक के मरीजों की संख्या में भी कमी आई।
शोधकर्ताओं ने पाया कि हवा में PM 2.5 का स्तर बढ़ाने में सबसे अधिक भूमिका पेट्रोल और डीजल गाड़ियों से निकलने वाले धुएं, कारखानों से निकलने वाले धुएं और बिजली संयंत्रों में जीवाश्म ईंधन के जलने से निकलने वाले धुएं की है। इस धुएं में मौजूद बेहद छोटे कण सांस के जरिए खून तक और खून के जरिए लोगों के फेफड़ों और दिल तक पहुंच जाते हैं। इसके चलते दिल तक जाने वाली धमनियां भी सख्त हो जाती हैं। ये प्रदूषण कण ही दिल के दौरे के खतरे को बढ़ाते हैं।
रिसर्च में साफ तौर पर पाया गया कि हवा में मौजूद PM 2.5 की मात्रा अधिक होने पर दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है, जिसे एसटी-एलिवेशन मायोकार्डियल इंफेक्शन (एसटीईएमआई) के रूप में जाना जाता है।