पटना

आरसीपी सिंह: नौकरशाह से लेकर केंद्रीय मंत्री तक का सफर


      • रामचंद्र प्रसाद सिंह 1984 बैच के रहे है यूपी कैडर के आईएएस अधिकारी
      • 1996 में नीतीश कुमार के संपर्क में आये और तब से बढ़ती गयी नजदीकियां
      • केंद्रीय मंत्री के रूप में नीतीश कुमार के सेक्रेटरी, मुख्यमंत्री के रूप में प्रधान सचिव और फिर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने
      • जमीन से जुड़े रहे आरसीपी सिंह का कृषि, वाणिकी एवं फिशरी से रहा है विशेष लगाव

बिहारशरीफ (आससे)। केंद्रीय मंत्रीमंडल के विस्तार के साथ-साथ नालंदा के विकास में एक नया आयाम जुड़ गया है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद रामचंद्र प्रसाद सिंह भी इस मंत्रीमंडल में शामिल किये गये है। इसके साथ ही जिले के लोगों को यह उम्मीदें बंधी है कि नालंदा में विकास की कुछ नई इबारत जरूर लिखी जायेगी। वजह है कि रामचंद्र प्रसाद सिंह जिनका प्रचलित नाम आरसीपी सिंह है का विकास पुरुष के नाम से जाने जाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गहरा रिश्ता रहा है। ऐसे में लोग यह सहज अनुमान लगा रहे है कि केंद्र में मंत्री रहते निश्चित तौर पर जिले में विकास के लिए वो प्रयास करेंगे।

रामंचद्र प्रसाद सिंह जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष है तथा दूसरी बार राज्यसभा के सांसद चुने गये है। 06 जुलाई 1958 को नालंदा जिले के अस्थावां प्रखंड के मुस्तफापुर गांव में जन्मे रामचंद्र प्रसाद सिंह को आरसीपी सिंह के नाम से जाना जाता है। उनके पिता एक सरकारी विद्यालय में शिक्षक थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के विद्यालय से लेकर उच्च विद्यालय की शिक्षा रहुई प्रखंड के चौधरी उच्च विद्यालय हुसैनपुर में हुई। बाद में पटना यूनिवर्सिटी में कॉलेज की शिक्षा पायी और वे 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बने। उत्तरप्रदेश कैडर में रहकर वहां के कई जिलों में अलग-अलग पदों को सुशोभित किये।

आरसीपी सिंह की राजनीतिक कैरियर उसी वक्त शुरू हो गया जब वे तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव के रूप में दिल्ली में तैनात हुए। बताया जाता है कि 1996 में इसी क्रम में वे नीतीश कुमार के संपर्क में आये और नजदीकियां बढ़ी। जब नीतीश कुमार भारत सरकार में कैबिनेट मंत्री बने और रेल मंत्री के रूप में पद्भार ग्रहण किया तब आरसीपी सिंह उनके विशेष सचिव बने। 2005 में नीतीश कुमार जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो आरसीपी सिंह उनके साथ बिहार लौटे और उनके प्रमुख सचिव की जिम्मेदारी संभाली।

जदयू में इसी बीच इनकी पकड़ मजबूत हुई और 2010 में उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा से बीआरएस लेकर सक्रिय राजनीति में कूदे। उन्हे 2010 में पार्टी की ओर से राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया गया। 2016 में वे दूसरी बार राज्यसभा भेजे गये। गांव ग्राम तथा कार्यकर्ताओं से विशेष लगाव रखने वाले आरसीपी सिंह पहले से भी पार्टी के संगठनों के प्रभारी रहे है। पार्टी पर उनकी खासी पकड़ रही थी। गांव से विशेष लगाव रहा है। कृषि, वाणिकी, फिशरी आदि से उनका विशेष लगाव रहा है। भले हीं वे एक नौकरशाह रहे हो लेकिन जमीन से जुड़े नेता रहे हैं। आम लोगों से मिलने जुलने में वे सहज रहे हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल यू के बेहतर प्रदर्शन नहीं करने और अरूणाचल प्रदेश में जदयू के छः विधायकों के शामिल हो जाने के बाद जदयू कार्यकारिणी की बैठक हुई और तब जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी व्यस्तता बताते हुए अपने खासमखास माने जाने वाले राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह को पार्टी की कमान सौंपते हुए उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया। इसके पूर्व 2016 में शरद यादव के जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटने के बाद से नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे थे।

आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के अति करीबी माने जाते है और कुर्मी जाति से आते है। पार्टी में नीतीश कुमार के बाद पहले भी नंबर दो का दर्जा उन्हें हासिल रहा है। भले ही अभी वे राष्ट्रीय अध्यक्ष है लेकिन माना यह जाता है कि उनका हर निर्णय नीतीश कुमार के अनुमोदन के बाद ही होता है।