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उत्तराखंड में है करोड़ों की बेशकीमती शत्रु संपत्तियां, ज्यादातर अतिक्रमण के दायरे में


नैनीताल: देशभर में बेशुमार बेशकीमती शत्रु संपत्तियां बिखरी हुई हैं। केन्द्र सरकार ने शत्रु संपत्तियों का भौगोलिक सत्यापन कर मूल्यांकन आदि की पड़ताल करा रही है। जिससे भविष्य में उनका सदुपयोग किया जा सके। उत्तराखंड में भी करोड़ों की शत्रु संपत्ति (enemy properties in Uttarakhand ) मौजूद है।

राज्य सरकार ने 2020 में 69 ऐसी संपत्तियां खोज ली गई हैं, जिन्हें सरकार में निहित किया जा चुका है। लेकिन तब तक 68 संपत्तियों का पता नहीं लग सका थाा। इन्हें चिन्हित करने का काम जारी है। सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को इन संपत्तियों की जांच का काम प्राथमिकता से करने के निर्देश दिए हैं।

 

उत्तराखंड में अब तक चिह्नित नहीं हो पाई शुत्र संपत्ति सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हैं। जो संपत्ति चिह्नित की गई हैं, उनमें अतिक्रमण या कब्जे को लेकर सरकार के पास जानकारी नहीं है। ऐसे में इन संपत्तियों के सर्वे का काम जारी है। फिलवक्त पांच जिलों हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, देहरादून, नैनीताल और अल्मोड़ा में 69 शत्रु संपत्तियों का पता चला है। ये सभी संपत्तियां शहरी क्षेत्रों में होने की वजह से इनका मूल्य कई सौ करोड़ बताया जा रहा है।

देहरादून शहर, मसूरी, नैनीताल शहर और ऊधमसिंह नगर में किच्छा, ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार में भगवानपुर, ज्वालापुर समेत कई स्थानों पर शत्रु संपत्ति होने की जानकारी सरकार के पास है। सरकार इन संपत्तियों पर मौजूदा कब्जे या अतिक्रमण के बारे में सही जानकारी जुटा रही है। इस बारे में जिलाधिकारियों को विस्तृत जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन की टीम मौके पर जाकर संपत्तियों की जांच करेगी। अन्य 68 शत्रु संपत्तियों के बारे में सरकार के पास जानकारी नहीं है। इस बारे में केंद्र सरकार की मदद ली जाएगी।

जिलेवार चिह्नित शत्रु संपत्तियों की संख्या

हरिद्वार               26

ऊधमसिंहनगर       27

देहरादून                06

नैनीताल               06

अल्मोड़ा               04

नोट : 2020 में राज्य सरकार ने जारी किया था आंकड़ा

ये होती है शत्रु सम्पत्ति की जमीन

दरअसल 1947 में देश के बंटवारे के अलावा 1962 में चीन, 1965 और 1971 पाकिस्तान के खिलाफ हुई जंग के दौरान या उसके बाद भारत छोड़कर पाकिस्तान या चीन चले गए नागरिकों को भारत सरकार शत्रु मानती है। भारत सरकार ने 1968 में शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू किया था, जिसके तहत शत्रु संपत्ति की देखरेख एक कस्टोडियन को दी गई। केंद्र सरकार में इसके लिए कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी विभाग भी है, जिसे शत्रु संपत्तियों को अधिग्रहित करने का अधिकार है।