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उत्तर प्रदेश: जनसंख्या कानून में शिशु मृत्यु दर घटाने पर ज्यादा फोकस


  • लखनऊ। मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने प्रदेश की नई जनसंख्‍या नीति जारी कर दी है। जिसमें मातृ शिशु सुरक्षा पर फोकस किया गया है। नई नीति में शिशु मृत्‍यु दर को दस सालों के भीतर आधी करने का लक्ष्‍य सरकार ने निर्धारित किया है। इसके लिए प्रदेश सरकार संस्‍थागत प्रसव और अस्‍पतालों में नवजात की देखभाल के लिए सुविधाओं का विस्‍तार करेगी। नई नीति में 28 दिन के अंदर होने वाली नवजात मृत्‍यु दर को 3.2 से घटाकर साल 2026 तक 2.2 प्रतिशत और साल 2030 तक 1.2 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। इसके साथ ही पांच साल से कम उम्र की मृत्‍युदर को 4.7 से घटाकर साल 2026 तक 3.5 और साल 2030 तक 2.5 पर लाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। नेशनल फैमिली हेल्‍थ सर्वे -4 की 2015 -2016 की रिर्पोट के अनुसार प्रदेश में जन्‍म लेने वाले प्रति हजार बच्‍चों में शहरी क्षेत्र में 52 व ग्रामीण क्षेत्र में 67 नवजात बच्‍चों की मृत्‍यु हो जाती थी वहीं, पांच साल से कम आयु वर्ग के प्रति हजार बच्‍चों में शहरी क्षेत्र में 62 और ग्रामीण क्षेत्र में 82 बच्‍चों की मृत्‍यु हो जाती थी।

पिछले चार वर्षों में जन्म दर, मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करने में प्रदेश सरकार ने अच्छा प्रयास किया है लेकिन अभी भी यह राष्ट्रीय औसत की तुलना में कमतर है। साल 2016 में यूपी की प्रजनन दर 3.3 थी, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.6 था। निरंतर प्रयासों से आज प्रदेश की प्रजनन दर 2.7 है, जबकि राष्ट्रीय औसत 2.3 है। मातृ मृत्यु दर 2016 के 258 की तुलना में आज 197 है, लेकिन आज राष्ट्रीय औसत 113 है। आइएमआर की बात करें तो 2015-2016 में यूपी की आईएमआर 52 थी आज 43 है। नई नीति के माध्यम से वर्ष 2026 तक सकल प्रजनन दर 2.1 तथा वर्ष 2030 तक सकल प्रजनन दर 1.9 लाने का लक्ष्य रखा गया है।

राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थय मिशन यूपी के महाप्रबंधक वेद प्रकाश ने बताया कि साल 2008 के मुकाबले साल 2018 के हालात में काफी सुधार हुआ है। साल 2008 में जहां प्रति हजार नवजात बच्‍चों में 45 की मृत्‍यु हो जाती थी वहीं साल 2018 में ये कम होकर 32 हुई है वहीं पांच साल से कम आयुवर्ग में 2008 के मुकाबले साल 2018 में तीन गुना से कम हुई है। उन्‍होंने बताया कि प्रदेश सरकार के मार्गदर्शन में शिशु मृत्‍यु दर को कम करने का लगातार प्रयास कर रहे हैं। जिसके तहत प्रदेश में एसएनसीयू, एनआरसी यूनिट खोली गई। नई जनसंख्‍या नीति से विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और किशोरों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्‍तार होगा।