रांची। सड़कों पर बेखौफ भीड़. त्यौहार में अपने घर लौट रहे लोगों का हुजूम. मरीजों की बढ़ती संख्या कहीं तीसरी लहर की दस्तक तो नहीं? कभी कोविड जांच की रिपोर्ट पॉजिटिव, तो कभी निगेटिव. सवाल उठने लगा है. क्योंकि रांची और हटिया स्टेशन पर 22 और 23 अक्टूबर को मिले 129 पॉजिटिव मरीज आरटीपीसीआर टेस्ट में निगेटिव हो गए. 26 अक्टूबर को भी हटिया रेलवे स्टेशन पर 17 यात्री रैपिड एंटीजेन टेस्ट (त्।ज्) में संक्रमित मिले और अब उनकी आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि रैपिड एंटीजेन टेस्ट कितना कारगर है.रैपिड एंटीजन टेस्ट में पॉजिटिव आने को लेकर सिविल सर्जन रांची ने भी विभाग को पत्र लिखा है और इसकी जांच कराने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि एक साथ जांच के क्रम में इतने पॉजिटिव मिलने से लोगों के साथ स्वास्थ्य कर्मियों में भी डर की स्थिति उत्पन्न हो गई है. हालांकि आरटीपीसीआर की रिपोर्ट से स्पष्ट हुआ कि सभी लोग निगेटिव थे, लेकिन इतने लोगों का एक साथ रैट टेस्ट में पॉजिटिव आने का क्या कारण है, इसकी जांच कराई जाए.वहीं स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि रिपोर्ट में अंतर आने के कई कारण हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि वायरस का अलग वैरिएंट है. किसी मरीज के पॉजिटिव होने की पुष्टि रैट टेस्ट में होती है तो किसी के आरटीपीसीआर टेस्ट में. कुछ मामलों में दिक्कतें होती हैं. अंतर को समझने की आवश्यकता है.वहीं इस मामले पर ब्ब्स् गांधीनगर हॉस्पिटल के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ जितेंद्र अपनी राय रखते हुए कहते हैं रैपिड एंटीजेन टेस्ट और आरटीपीसीआर टेस्ट दोनों की रिपोर्ट विश्वसनीय है. रैपिड टेस्ट का रिपोर्ट भी 100ः सही है. उन्होंने कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान फील्ड में इसी किट से लोगों की जांच होती थी. उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार, पहली बार रैट टेस्ट में पॉजिटिव और आरटीपीसीआर टेस्ट में निगेटिव का अंतर हुआ है.रांची में रैपिड एंटीजन टेस्ट किट के माध्यम से 24 अक्टूबर को 2430 लोगों की जांच की गयी. इनमें 44 लोग पॉजिटिव मिले. जबकि 25 अक्टूबर को 3428 लोगों का सैंपल लिया गया. जिसमें 45 लोग संक्रमित पाए गए.