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एसीबी को देखकर टायलट सीट में डाल दी रिश्वत की रकम


अजमेर, । राजस्थान में अजमेर दरगाह क्षेत्र के सीओ पार्थ शर्मा के रीडर हेड कांस्टेबल भागचंद रावत को 60 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ लिया गया। रीडर गंज पुलिस थाने में बैठकर घूस ले रहा था। दबिश पड़ने पर थाने की दीवार फांद कर घर चला गया। घर पर एसीबी की टीम को देखकर टायलट सीट में घूस की राशि डाल दी, लेकिन पैंट से कलर निकलने पर हेड कांस्टेबल को गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं, हेड कांस्टेबल के दलाल वकील मनीष शर्मा और ला विद्यार्थी कुशाल को भी पकड़ लिया गया। अजमेर एसीबी के एसपी समीर कुमार सिंह ने बताया कि चित्तौड़गढ़ के कपासन और हाल उदयपुर निवासी विनोद वैष्णव ने एसीबी को बताया कि उसके ससुराल पक्ष द्वारा गंज थाने में दर्ज मामले में एफआर के लिए उससे रिश्वत मांगी जा रही है। विनोद वैष्णव ने एसीबी से कार्रवाई की अपेक्षा की थी। रिपोर्ट में बताया गया कि दरगाह सीओ पार्थ शर्मा का रीडर भागचंद रावत, वकील मनीष शर्मा व कुशाल राव के जरिए तीन लाख रुपये की डिमांड कर रहा है। इस संबंध में सत्यापन करवाया गया जिसमें रिश्वत मांगने की पुष्टि हुई।

इस तरह हुई गिरफ्तारी

रीडर भागचंद रावत ने रविवार को परिवादी विनोद वैष्णव व मामले के अन्य के साथ ही विनोद के ससुराल पक्ष को भी गंज थाने बुलाया, यहां पूछताछ नोट बनाए गए। थाने भेजने से पहले परिवादी विनोद वैष्णव को एसीबी ने 60 हजार रुपये के रंग लगे नोट देकर भेजा था। विनोद वैष्णव ने पूछताछ के बाद यह राशि भागचंद रावत को दे दी। राशि मिलते ही भागचंद रावत बाथरूम जाने के बहाने गया और थाने की दीवार फांद कर निकल गया। जब काफी समय तक वह नहीं आया तो विनोद वैष्णव को शक हुआ और एसीबी को सूचना दी। इसके बाद एसीबी ने लोकेशन ट्रेस करवाई तो वह माखूपुरा में घर पर होना पाया गया। एसीबी की टीम परिवादी विनोद वैष्णव को लेकर भागचंद रावत के घर पहुंची। रावत ने काफी समय तक घर नहीं खोला। बाद में दीवारें कूदकर एसीबी घर में घुस गई। तब भी भागचंद रिश्वत लेने से साफ इन्कार करता रहा, लेकिन जैसे ही उसकी पैंट को चेक किया तो उसमें से कलर निकल गया। बाद में सख्ती से पूछताछ की तो भागचंद ने राशि घर के बाथरूम सीट में डाल देने की बात कबूली। ऐसे में रिश्वत की राशि वहां से बरामद की गई। इसके बाद भागचंद को गिरफ्तार कर लिया गया। साथ ही, उसके दलाल वकील मनीष शर्मा और कुशाल राव को भी दबोचा गया। मनीष ने पहले पांच हजार रुपये भी परिवादी से ले लिए थे।