सम्पादकीय

करीमा बलोचकी हत्यापर चुप्पी


आर.के. सिन्हा
प्रखर महिला एक्टिविस्ट करीमा बलोच पाकिस्तान सरकार, सेना और आईएसआईकी आंखोंकी किरकिरी बन चुकी थीं। वह पाकिस्तान सरकारकी काली करतूतोंकी कहानी लगातार दुनियाको बता रही थीं। इसीलिए उसे आईएसआईने हत्या करवा दी। बलोचके कत्लने साफ कर दिया है कि कनाडा एक अराजक मुल्कके रूपमें आगे बढ़ रहा है। वहांपर खालिस्तानी तत्व तो पहलेसे ही जड़ें जमा ही चुके हैं। अब आईएसआई भी सक्रिय है। उसकी तरफसे अब उन लोगोंपर वार होते रहेंगे जो पाकिस्तानमें मानवाधिकारों, जनवादी अधिकारोंके हनन और बढ़ते कठमुल्लापनके खिलाफ बोलते हैं। यह सब उसी कनाडामें हो रहा है जिसके प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत सरकारको किसानोंपर नसीहतें दे रहे थे। जस्टिन ट्रूडोके अपने देशमें जंगलराजवाली स्थितियां बन रहीं हैं, परन्तु वह भारतके आन्तरिक मामलोंमें बेशर्मीसे हस्तक्षेप करनेसे बाज नहीं आ रहे। उन्होंने अबतक बलोचके कत्लपर एक भी शब्द नहीं बोला है। उन्हें इस सवालका जवाब तो विश्वको देना ही होगा।
करीमा बलोचको भारतसे बहुत उम्मीदें थीं। वह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीको अपना भाई मानती थीं। दरअसल साल २०१६ के रक्षाबंधनपर करीमा बलोचने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीको राखी भेजी थी और अपना भाई बनाया था। इस राखीके साथ ही करीमा बलोचने मोदीजीसे बलूचिस्तानकी आजादीकी गुहार लगायी थी। साल २०१६ में करीमा बलोचने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीके नाम एक संदेश दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि रक्षाबंधनके दिन एक बहन आपको भाई मानकर कुछ मांगना चाहती है। बलूचिस्तानमें कितने भाई शहीद हो गये और वापस नहीं आये। बलूचिस्तानके लोग आपको मानते हैं, ऐसेमें आप दुनियाके सामने हमारे आंदोलनकी आवाज बनें। दरअसल करीमा बलोच २०१६ से ही कनाडामें शरण लेकर रह रही थीं। कनाडाके प्रधान मंत्री बतायें कि उन्होंने बलोचको पर्याप्त सुरक्षा क्यों नहीं दी। हालांकि कुछ वक्त पहले ही उन्होंने एक वीडियो संदेशमें अपनी जानको खतरा होनेकी बात कही थी। करीमा बलोचकी गिनती दुनियाकी सौ सबसे प्रेरणादायी महिलाओंमें की जाती थी। करीमा बलोचके हत्यासे समझ आ जाता है कि पाकिस्तान सरकार बलूचिस्तानमें चल रहे अलगाववादी आंदोलनको लेकर कितनी परेशान है।
बलूचिस्तान पाकिस्तानका सबसे पिछड़ा हुआ सूबा है। विकाससे कोसों दूर है बलूचिस्तान। बलूचिस्तान पाकिस्तानसे शुरूसे ही अलग होना चाहता है। कायदेसे वह बंटवारेके समय भारतके साथ ही रहना चाहता था। स्वतंत्र राज्य था ही। परन्तु पंडित नेहरूने उसे उदारतापूर्वक पाकिस्तानको दानमें दे दिया। वह तो आजादीके समय भी भारतका हिस्सा बनना चाहता था। बलूचिस्तान पाकिस्तानके पश्चिमका राज्य है जिसकी राजधानी क्वेटा है। बलूचिस्तानके पड़ोसमें ईरान और अफगानिस्तान है। १९४४ में ही बलूचिस्तानको आजादी देनेके लिए माहौल बन रहा था। लेकिन १९४७ में इसे जबरन पाकिस्तानमें शामिल कर लिया गया। तभीसे बलूच लोगोंका संघर्ष चल रहा है और उतनी ही ताकतसे पाकिस्तानी सेना और सरकार बलूच लोगोंको कुचलती रही है। पाकिस्तान सेनाकी ताकतने ही उसे पाकिस्तानका हिस्सा बनाकर रखा हुआ है। पाकिस्तानी सेना स्वात घाटी और बलूचिस्तानमें विद्रोहको दबानेके लिए आये दिन टैंक और लड़ाकू विमानोंतकका इस्तेमाल करती है। पाकिस्तानने कभी भी बलूचिस्तानमें कोई विकास कार्य नहीं किया।
बलूचिस्तान कमोबेश अंधकारके युगमें जी रहा है। क्या यह सब जस्टिन ट्रूडोको दिखाई नहीं देता। बलूचिस्तानमें चल रहे सघन पृथकतावादी आन्दोलनने पाकिस्तान सरकारकी नाकमें दम कर रखा है, यह सब जानते हैं परन्तु ट्रूडो अपनी अनभिज्ञताका स्वांग भर रहे हैं। पाकिस्तानके चार सूबे हैं, पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर-पख्तूनख्वा। इनके अलावा पाकिस्तानअधिकृत कश्मीर और गिलगित-बल्टिस्तान भी पाकिस्तान द्वारा नाजायज ढंगसे नियंत्रित हैं, जिसे पाकिस्तानने अवैध रूपसे भारतसे हड़प रखा है। एक न एक दिन यह दोनों जिले भारतसे मिलेंगे ही। पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तानमें महिलाओंके साथ आये दिन खुलेआम बलात्कार करती रहती है। मर्दोंको बड़ी बेरहमी और बेदर्दीसे मारती है। बलूचिस्तानकी जनता तबसे पाकिस्तानसे और भी दूर हो गया था जब कुछ साल पहले बलूचिस्तानके एकछत्र नेता नवाब अकबर खान बुगतीकी हत्या कर दी गयी थी। उनकी हत्यामें पाकिस्तानके पूर्व तानाशाह जनरल परवेज मुशर्रफका हाथ बताया जाता है। फिलहाल बलूचिस्तानके अवामका कहना है कि जैसे १९७१ में पाकिस्तानसे कटकर बंगलादेश बन गया था उसी तरह एक दिन बलूचिस्तान अलग देश तो बन ही जायगा। बलूचिस्तानी किसी भी कीमतपर पाकिस्तानसे अलग हो जाना चाहते हैं। करीमा बलोचकी हत्याको लेकर कनाडाके प्रधान मंत्री भले ही न बोलें परन्तु भारतको बलूचिस्तानकी जनताके हकमें अपनी आवाज बुलंद करनी ही होगी। बलोचकी शहादत किसी भी सूरतमें खाली नहीं जानी चाहिए। भारतीय नागरिकोंको, खास तौरपर पंजाब प्रांतसे संबंध रखनेवालोंको, कनाडाको लेकर अपनी सोच बदलनी चाहिए।