सम्पादकीय

कर्मोंका फल 


जग्गी वासुदेव

यदि आपको लगता है कि आपके परिवारमें खराबी है तो हो सकता है कि वह ऐसे हो गये हों परन्तु जरूरी नहीं है कि वह आगे भी ऐसे ही रहें। चंद्रमाकी तरह उनकी भी अलग-अलग अवस्थाएं होती हैं, वह भी अलग-अलग दशाओंसे गुजरते हैं। उनके प्रिय-अप्रिय चेहरे होते हैं। आपके जीवनमें जो कुछ होता है, उन सबकी जिम्मेदारी आपकी है। बुरे दौरसे गुजर रहे किसी इनसानके बारेमें कोई राय कायम करना और यह सोचना कि यह उसके कर्मोंका फल है, बिलकुल गलत है। किसी औरके कर्मोंसे आपका कोई मतलब नहीं है। यह आपके कर्म हैं कि आपको किसीकी तकलीफका साक्षी बनना पड़ रहा है। कर्म सिर्फ आपसे जुड़े हैं, आप जैसे ही किसी औरके कर्मकी चिंता करने लगते हैं, आप एक बुरी शक्ति बन जाते हैं। बुराका मतलब है कि चाहे आप कुछ भी करें, उसका आपके आसपास मौजूद लोगोंके लिए नकारात्मक नतीजा ही निकलेगा। जैसे ही आप किसी औरके कर्मके बारेमें सोचने लगते हैं, आप उसी दिशामें आगे बढऩे लगते हैं। आध्यात्मिकतामें हम इसी चीजको ठीक करनेकी कोशिश कर रहे हैं। आपको समझना चाहिए कि जो कुछ भी होता है, उसका संबंध सिर्फ आपसे है। चाहे आपके आसपासके लोगोंसे आपको दुख मिल रहा हो या खुशी, इसकी वजह सिर्फ आपके कर्म हैं। इसलिए अपने परिवारकी तरफसे जमा होनेवाले कर्मकी चिंता मत कीजिए,ऐसा कुछ भी नहीं है। परिवार सिर्फ आपके मनकी उपज है। कौन आपके परिवारका हिस्सा है और कौन नहीं, कौन आपको प्रिय है, कौन नहीं, यह सब सिर्फ आपके मनमें पैदा होता है। यदि आपके पास यह मन नहीं होता तो आपके पास परिवार जैसी कोई चीज ही नहीं होती। इसका मतलब है कि वह सब आपके ही कर्मसे जुड़े हैं। जब आप यह बात जान लेते हैं कि आपके जीवनमें जो कुछ घटित होता है, उसकी वजह आप हैं, तब आप एक संयुक्त व्यक्ति बन जाते हैं। वरना आप अस्त-व्यस्त और बिखरे हुए रहते हैं। आम तौरपर लोग इतने बिखरे हुए होते हैं और अपने आसपासकी इतनी सारी चीजोंसे उनकी पहचान जुड़ी होती है कि उन्हें एक जीवके रूपमें एकत्रित होनेमें लम्बा समय लग जाता है। प्राय: सामान्य व्यक्ति सुख-दु:खकी प्राप्तिका कारण कर्मका फल ही मान लेते हैं जबकि वस्तु स्थिति यह है कि मनुष्यको कर्मके फलके रूपमें तो सुख दु:ख आदि मिलते हैं। इस दुनियामें हर किसीको अपने-अपने कर्मोंका हिसाब चुकाना पड़ता है, इस तरहके विचारोंको अपने मनमें लेकर न तो आप अपना जीवन संवार सकते हैं और न ही अपने परिवारका। क्योंकि हर समय आपको यही चिन्ता सताती रहेगी कि मेरे अपने परिवारके साथ कभी कुछ बुरा न हो।