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काशी विश्वनाथ धाम के कायाकल्प पर संपूर्ण राष्ट्र की प्रतिक्रिया से सबक ले कांग्रेस


विगत 13 दिसंबर को सदियों की थकन, टूटन को झटककर काशी तैयार थी। काशी विश्वनाथ मंदिर के नवनिर्मित गलियारे का लोकार्पण होने वाला था। उत्साह की, उल्लास और स्वाभिमान की संकल्प यात्र, हिंदू संस्कृति के गर्वीले उद्घोष के साथ चलने को तैयार थी काशी। उधर, एक दिन पहले राजस्थान में महंगाई, कानून-व्यवस्था जैसे विभिन्न मुद्दे होने के बाद भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी इसी हिंदुत्व पर हमलावर थे। हिंदू और हिंदुत्व की फांके गढ़ रहे थे, हिंदू और हिंदुत्व को एक-दूसरे के विपरीत बता रहे थे। हिंदुओं को लांछित करने के लिए हिंदुत्व को ही हथियार बना रहे थे। एक ही दिन बाद काशी ने अंगड़ाई ली और पता चला कि हिंदुत्व को पोषने वाले क्या हैं और हिंदुत्व क्या है, उसकी प्रखरता कैसी है?

हिंदुत्व या सांस्कृतिक, राष्ट्रीय महत्व का कोई अन्य विषय, यह देखना होगा कि यदि राहुल गांधी कोई बात कह रहे हैं, तो उसे कितनी गंभीरता से लिया जाना चाहिए। जो व्यक्ति परिवार पति-पत्नी, मां-बेटे, भाई-बहन के स्नेहिल संबंधों को और मजबूत बनाने वाले त्योहारों से लापता दिखता है। जिन्हें यह नहीं पता कि जनेऊ को कपड़ों के ऊपर पहना जाता है या नीचे, दाएं से पहना जाता है या बाएं से। जो अपना गोत्र दूसरों से पूछकर बताते हों, तिसपर भी वह गोत्र कहीं पाया न जाता हो। जो हिंदुत्व की आधारभूत चीजों को ही नहीं जानते, क्या वह हिंदू और हिंदुत्व पर टिप्पणी करने योग्य हैं?

आप इस पर ध्यान दीजिए, हिंदुत्व से पहले राहुल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर अपनी अल्प समझ के साथ प्रहार करते रहे हैं। सात जुलाई, 2014 को राहुल गांधी ने भिवंडी में एक सभा में महात्मा गांधी की हत्या में संघ का हाथ बताया था। इस मामले में जब उन्हें न्यायालय में चुनौती मिली तो उनके पास कोई तथ्य नहीं थे। उनके वकीलों की फौज में किसी को उनके विचारों की पुष्टि करने वाला कोई तथ्य नहीं मिला।