सम्पादकीय

कोरोनाकी चिन्ताजनक स्थिति


तारकेश्वर मिश्र 

कोरल भारतमें कोरोना संक्रमणकी तीसरी लहरकी भी पहेली साबित हो रहा है। माना जा सकता है कि पूरे देशका औसतन ५० फीसदीसे ज्यादा संक्रमण केरलमें ही है। भारत सरकार और महामारी विशेषज्ञोंका चिंतित होना स्वाभाविक है। केरलके करीब नौ जिलोंमें कोरोना वैक्सीनकी दोनों डोज ले चुके कई लोग कोविड पॉजिटिव पाये जा रहे हैं। ये एक नया ट्रेंड सामने आ रहा है, जिसके स्वास्थ्य विभाग समेत सरकारकी भी चिंता बढ़ा दी है। केरलमें अबतक टीका लगवाये ४० हजार लोगोंमें संक्रमणके मामले देखे जा चुके हैं। टीकेके बावजूद संक्रमण हो जानेको ब्रेकथ्रू इन्फेक्शन भी कहा जाता है। वहीं यूएसके सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, ब्रेकथ्रू इंफेक्शन ऐसे इंफेक्शनको कहते हैं जहां कोरोना वैक्सीनकी दोनों डोज लेनेके १४ दिन या उससे ज्यादा दिन बात कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया जाय। ऐसेमें इस ब्रेकथ्रू इंफेक्शनने चिंता बढ़ा दी है।

देशभरमें कम हो रहे कोरोना मामलोंके बीच केरलमें जानलेवा वायरसके नये मामलोंकी संख्या एक बार फिर बेकाबू हो गयी है। पिछले हफ्ते केरलमें दैनिक मामले तीन महीनेके उच्च स्तरपर पहुंच गये, पिछले २४ घंटेमें यहां २४,२९६ कोरोना केस दर्ज हुए। इसके साथ ही केरलमें कोरोना वायरस संक्रमितोंकी कुल संख्या बढ़कर ३८,५१,९८४ हो गयी, जबकि १७३ और मरीजोंकी मौत होनेसे मृतकोंकी तादाद १९,७५७ पर पहुंच गयी। देशमें बीते सप्ताह ३७,५९३ नये मामले दर्ज किये गये, जो १३ अगस्तके बादसे एक दिनमें सबसे अधिक है। वहीं, इस दौरान ३४,१६९ कोरोना मरीज ठीक भी हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालयके मुताबिक देशमें कोरोनासे ठीक होनेवाले मरीजोंका रिकवरी रेट बढ़कर ९७.६७ फीसदी हो गया है। देशभरके कुल नये कोरोना मामलोंका ८७.१ फीसदी हिस्सा सिर्फ पांच राज्योंसे है, जिसमेंसे अकेले केरलमें ६४.६३ फीसदी नये केस दर्ज किये गये हैं। सबसे ज्यादा मामलोंवाले राज्योंकी बात करें तो केरलमें २४,२९६ कोरोना मामले, महाराष्टï्रमें ४,३५५, तमिलनाडुमें १,५८५, कर्नाटकमें १,२५९ और आंध्र प्रदेशमें १,२४८ मामले सामने आये हैं।

पिछले दिनों देशमें कोरोनासे ६४८ मरीजोंकी मौत हई है, जिसमें २८८ मौतें महाराष्टï्रमें और १७३ मौतें केरलमें हुई हैं। देशमें वर्तमानमें कोरोनाके सक्रिय मामलोंकी संख्या ३,२२,३२७ है। केरलमें २६ मईके बाद यह पहली बार है जब एक दिनमें सामने आये कोरोना संक्रमणके नये मामलोंकी संख्या २४ हजारसे अधिक रही है। २६ मईको केरलमें कोरोना वायरस संक्रमणके २८,७९८ नये मामले सामने आये थे। केरलके आंकड़ोंको देखें तो राज्यमें २९ मईके बाद २७ जुलाईको संक्रमणके नये मामलोंकी संख्या बीस हजारसे अधिक रही थी जब २२,१२९ नये मामले सामने आये थे। इसके बादसे केरलमें लगातार प्रतिदिन नये मामलोंकी संख्या बीस हजारके आसपास ही रही है। मंगलवारसे पहले तीन दिनोंमें केरलमें दैनिक नये मामलोंकी १७ हजारसे नीचे ही रही थी। वर्तमानमें केरलमें उपचाराधीन मरीजोंकी संख्या १,५९,३३५ है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषदके मुताबिक भारतमें कल कोरोना वायरसके १७,९२,७५५ सैंपल टेस्ट किये गये, जिसके बाद कुल टेस्टिंगकी संख्या ५१,११,८४,५४७ हो गयी है।

महाराष्टï्र और दिल्ली समेत कई राज्योंमें कोविड-१९ के नये मामलोंमें काफी कम आयी है और देशमें कोरोना वायरसकी दूसरी लहरकी रफ्तार कम हो गयी है, लेकिन इस बीच केरलमें कोरोनाके लगातार बढ़ रहे नये मामलोंने चिंता बढ़ा दी है। नये केसको देखते हुए केंद्र सरकारने एक एक्सपट्र्सकी टीम केरल भेजी है, जिसने राज्यमें कोरोना विस्फोटकी असली वजहका खुलासा किया है। केंद्र सरकारकी एक्पट्र्स टीमके अनुसार, केरलमें कोरोना वायरसके नये मामलोंसे लगातार वृद्धिका सबसे बड़ा कारण होम आइसोलेशनमें रह रहे कोविड-१९ के मरीजोंकी निगरानीमें लापरवाही है। इस वजहसे राज्यमें कोरोनाके नये केस तेजीसे बढ़ रहे हैं और देशभरके दैनिक मामलोंके ५० प्रतिशत मामले यहां दर्ज किये जा रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेसकी रिपोर्टके अनुसार, केंद्र सरकारने २९ जुलाईको छह सदस्यीय टीमको केरल भेजा था, जो स्थितिका जायजा ले रही है। इस टीमकी अगुवाई नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोलके डायरेक्टर डाक्टर सुजीत सिंह कर रहे हैं और टीम फिलहाल सबसे ज्यादा पॉजिटिविटी रेटवाले जिलोंका दौरा कर रही है। रिपोर्टके मुताबिक केरलमें लॉकडाउनकी धज्जियां उड़ीं, संक्रमणमें बेतहाशा वृद्धि हुई। केरल गयी उच्च स्तरीय समितिकी रिपोर्टके मुताबिक जिन जिलोंमें लॉकडाउन लगाया गया, वहां पहला सप्ताह बेअसर रहा है। कुछ जिलोंमें संक्रमण दर १७ फीसदीसे भी अधिक मिल रही है। समितिने कंटेनमेंट जोन, बफर जोनमें बेहतर कार्य करनेकी सलाह दी है।

केरलमें जन-स्वास्थ्यका बुनियादी ढांचा दूसरे राज्योंकी तुलनामें काफी बेहतर है। कोरोना टीकाकरण, टेस्टिंग प्रति दस लाख आबादी, मृत्यु-दर, अन्य वायरसकी पहचान करनेमें और मास्कका इस्तेमाल करने आदिमें केरल या तो अव्वल रहा है अथवा अन्यकी अपेक्षा बेहतर रहा है। बावजूद इसके वहां कोरोनाके हालात बेकाबू स्थितिमें पहुंचे हुए हैं। चिंताके कुछ और पहलू भी गौरतलब हैं, क्योंकि विशेषज्ञोंके आकलन हैं कि केरल कोरोनाकी तीसरी लहरकी आधार-भूमि साबित हो सकता है। जन-स्वास्थ्यका मजबूत ढांचा और आम जागरूकता व्यापक होनेके बावजूद केरलके अधिकतर हिस्सोंमें संक्रमण दर देशके अन्य राज्योंके मुकाबले काफी अधिक रही है। यही केरलको पहेली बनाये हुए है। जब देशभरमें कोरोना संक्रमणके मामले शांत या बेहद कम हो चुके हैं, तब केरल सबसे ज्यादा संक्रमित राज्य बना है। केरलके संक्रमणका बुरा असर आसपासके राज्योंपर पड़ रहा है। हालांकि पहलेकी अपेक्षा संक्रमण कम हुआ है, लेकिन फिर भी विशेषज्ञ और चिकित्सक मान रहे हैं कि यदि सितंबर माहके अंतमें कोरोनाकी तीसरी लहरके लक्षण स्पष्टï होने लगे तो उसमें केरलका बड़ा योगदान होगा। दरअसल केरलमें कोरोना संक्रमणके लगातार फैलनेकी वजह रही है कि वहां मईसे संपूर्ण लॉकडाउन लागू नहीं किया। मईमें ही संक्रमण ‘पीकÓ पर था। ईदके त्योहारी मौसममें ढील दी गयी, नतीजतन भीड़ सड़कों और बाजारोंमें पसर गयी। संक्रमणका बुनियादी कारण यही है। बीते दिनों ओणमका त्योहार मनाया गया। सरकारें त्योहारोंपर बंधन लगाना नहीं चाहतीं, क्योंकि वही उनका राजनीतिक वोट बैंक है। प्रदेश सरकारके साथ केरलकी जनताको स्थितिकी गम्भीरता समझनी होगी। वरना कोरोना जानलेवा साबित हो सकता है।