सम्पादकीय

काबुलमें आत्मघाती हमले


अफगानिस्तानकी राजधानी काबुलमें हवाई अड्डïेपर गुरुवारको आत्मघाती बम विस्फोटोंमें ८५ लोगोंकी मृत्यु और बड़ी संख्यामें लोगोंके घायल होनेकी घटना अत्यन्त ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। मृतकोंमें १३ अमेरिकी कमाण्डो सैनिक भी शामिल हैं। पूरा विश्व इस हमलेसे मर्माहत है और इसकी कड़ी भत्र्सना भी की गयी है। इन बम धमाकोंसे पूरा काबुल दहल गया और चारों तरफ अफरा-तफरी फैल गयी। कुल तीन धमाकोंकी जानकारी मिली है। आतंकी संघटन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) ने हमलेकी जिम्मेदारी ली है और काबुलमें अभी और विस्फोट होनेकी आशंका भी व्यक्त की गयी है। यह विस्फोट ऐसे समयमें हुआ है जब अफगानिस्तानपर तालिबानके नियंत्रणके बाद वहांसे काफी संख्यामें लोग देशसे बाहर निकलनेकी कोशिश कर रहे हैं। पिछले कई दिनोंसे हवाई अड्डïेपर काफी संख्यामें लोग जमा हैं। हवाई अड्डïेपर हमलेकी आशंका व्यक्त करते हुए लोगोंसे हवाई अड्डïेसे दूर रहनेकी अपील पश्चिम देशोंने की थी। हवाई अड्डïेके किनारे एक नहरके पास काफी संख्यामें शव पड़े हुए दिखायी दिये हैं। मृतकों और घायलोंमें बच्चे और महिलाएं भी हैं। इस घटनाके बाद काबुलमें विदेशियों और अफगानोंको देशसे बाहर निकालनेका अभियान बन्द कर दिया गया है। भारतने हमलेकी निन्दा की है और लोगोंके प्रति संवेदना भी व्यक्त की है तथा कहा है कि आतंकवादके खिलाफ साथ मिलकर लडऩा आवश्यक हो गया है। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा, आस्ट्रेलिया सहित अन्य देशोंने भी हमलेकी कड़ी भत्र्सना की है। इस हमलेके पीछे मुख्य उद्देश्य दहशतगर्दी फैलाना है। साथ ही आईएसआईएसके प्रवक्ताका कहना है कि उसके हमलावरोंने अमेरिकी सेनाके मददगारोंको निशाना बनाया है, जबकि अमेरिकाके राष्टï्रपति जो बाइडेन काफी आक्रोशमें हैं और कहा है कि हम माफ नहीं करेंगे और हमलेके जिम्मेदार लोगोंका चुन-चुनकर शिकार करेंगे। उन्हें इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा। वस्तुत: यह बड़ी घटना है और इसकी अन्तरराष्टï्रीय संस्थाकी ओरसे निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। यद्यपि घटनाकी जिम्मेदारी आतंकी संघटनने ले ली है लेकिन अनेक रहस्योंपर अभी पर्दा पड़ा हुआ है। यह भी स्पष्टï होना चाहिए कि इस हमलेमें किन देशों और संघटनोंने अप्रत्यक्ष रूपसे सहायता की है। यह घटना विश्वके लिए सबक है अत: आतंकवादका मुकाबला करनेके लिए पूरे विश्वको एकजुट होना पड़ेगा अन्यथा भविष्यमें ऐसे हमले होते रहेंगे।

नयी ड्रोन नीति

केन्द्र सरकारने जो नयी ड्रोन नीति घोषित की है, उससे ड्रोन संचालन जहां काफी आसान हो जायगा, वहीं साजो-सामान और परिवहनके क्षेत्रमें क्रान्तिकारी बदलाव देखनेको मिलेंगे। यह एक अच्छी पहल है, इससे स्टार्टअप और युवाओंको तो मदद मिलेगी ही साथ ही श्रम और समयकी बचत भी होगी। यह इनोवेशन और व्यापारके लिए नयी सम्भावनाओंके द्वार खोलेगा। इससे कृषि क्षेत्रमें भी काफी लाभ मिलेगा। कीटनाशकके छिड़कावके साथ घरसे ही फसलोंकी निगरानीमें ड्रोनका इस्तेमाल होनेसे कृषि उत्पादन बढ़ानेमें मदद मिलेगी। नये नियमोंके तहत गैर-व्यावसायिक उपयोगके लिए माइक्रो और नैनो ड्रोनके लिए जहां पायलट आकार लाइसेंसकी आवश्यकता समाप्त कर दी गयी है, वहीं ड्रोनके अन्तरको समाप्त कर अब सभी प्रकारके ड्रोनका एक समान शुल्क कर दिया गया है। रिमोट पायलटकी लाइसेंस फीस तीन हजारसे घटाकर मात्र सौ रुपये कर दी गयी है। ड्रोन संचालनके लिए अब २५ की जगह मात्र पांच फार्म भरने होंगे और विभिन्न प्रकारकी मंजूरीकी जगह स्वसत्यापन मान्य होगा। इससे इस क्षेत्रमें रोजगारका नया द्वार खुलेगा। नयी ड्रोन नीतिके ट्रांसपोर्ट और लाजिस्टिकके साथ खनन, स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रमें काफी मदद मिलेगी। भारतीय ड्रोन कम्पनियोंमें विदेशी स्वामित्वपर रोक न होनेके स्टार्टअपको विदेशी निवेश मिलनेमें आसानी होगी। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीने कहा है कि ये नये नियम विश्वास और स्वप्रमाणनपर आधारित हैं। इससे इस क्षेत्रमें ऐतिहासिक क्षणकी शुरुआत हुई है। यह सही भी है, क्योंकि अनुमोदन, अनुपालन आवश्यकताओं और प्रवेशमें बाधाओंको काफी कम कर देनेसे इस क्षेत्रमें सकारात्मक विकासको बढ़ावा मिलेगा। यह काफी उपयोगी साबित होगा लेकिन इसके खतरोंपर विशेष ध्यान देनेकी जरूरत है, क्योंकि इसके गलत इस्तेमालसे बड़ी हानि हो सकती है, इसलिए जरूरी है कि इस क्षेत्रमें दुरुस्त निगरानीकी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे इसके गलत इस्तेमालको रोका जा सके।