News सम्पादकीय

कोरोनाको हराने आयी सेना


कोविडसे मुकाबलेके लिए तीनों सेनाओंकी तैयारियोंसे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदीको अवगत करा दिया गया है। निश्चित रूपसे कोरोना वायरसका संकट बड़ा और खतरनाक है। मौजूदा संकटमें सेनाकी भागेदारी खास रहेगी। अब सेना मेडिकल स्टाफ भी मददके लिए आ जायगा। सेनाका मेडिकल कोर भी एक अत्यंत ही सक्षम मेडिकल सेवा है। कोरोनासे मुकाबला करनेमें निश्चित रूपसे सेनाके हजारों डाक्टर और नर्सें और पारामेडिकल स्टाफ जुटेंगे। यह सभी पूरी तरहसे ट्रेंड डाक्टर हैं। सेना इनके अलावा हजारों रिटायर डाक्टरोंकी भी सेवाएं लेगी। वह भी इन आपातकालीन हालातोंमें एक साथ काम करनेके लिए कमर कसकर बैठे हुए हैं। यह सभी कोरोनाके कहरसे लड़नेके लिए तैयार है। कोविडसे मुकाबलेके लिए तीनों सेनाओंकी तैयारियोंको लेकर सीडीएस बिपिन रावतके प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदीसे मुलाकात अपने आपमें महत्वपूर्ण है। इस दौरान कोरोना महामारीसे निबटनेके लिए सेनाओंकी अबतककी तैयारियों और उसके अभियानोंकी समीक्षा की।
अब बीते दो सालके दौरान रिटायर हुए या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेनेवाले सभी चिकित्सा कर्मियोंको वापस बुलाया जा रहा है। इन सभीको उनके निवासके निकटस्थ कोविड सुविधा केंद्रोंपर ड्यूटीके लिए तैनात किया जा रहा है। इसके अलावा सेनाके अन्य रिटायर डाक्टरोंसे भी आपात चिकित्सा हेल्पलाइनके जरिये अपनी सेवाएं और सहायता देनेके लिए कहा गया है। महत्वपूर्ण है कि कोरोना जैसी महामारीके हालातमें आपातकालीन आन्तरिक अनुशासन और नागरिक सहभागिता अपरिहार्य है। सेनाके सभी कर्मी इसमें प्रशिक्षित हैं। इनके अभावमें युद्ध जीता ही नहीं जा सकता है। एक बात और कि सेनाके देशके सभी प्रमुख शहरोंमें अत्याधुनिक अस्पताल हैं। वहांपर कोरोना वायरसकी चपेटमें आये रोगियोंका सही इलाज किया जा सकता है। मतलब साफ है कि देशपर आये कोरोना वायरसके भयानक संकटके वक्त डाक्टर, नर्स, पुलिस, सरकारी बाबू, सफाई योद्धा आदिको सेनाका भी सहयोग मिलेगा। इस महामारीके खिलाफ देशकी लड़ाईमें मदद करनेके लिए तीनों सेनाओंकी ओरसे की गयी तैयारियोंके बारेमें बताया गया है कि मिलिट्रीके पास उपलब्ध आक्सीजन सिलेंडर अस्पतालोंमें भेज दिये जायंगे। कोरोना संक्रमणके प्रचंड कहरके बीच जीवनरक्षक आक्सीजनकी उपलब्धता सुनिश्चित करनेके लिए वायुसेनाके देश और विदेश दोनों स्तरपर किये जा रहे है। भारतीय मेडिकल असोसिएशन (आईएम) के अध्यक्ष रहे प्रख्यात डाक्टर विनय अग्रवालकी इस बातमें दम है कि सेनाके कोरोनाके खिलाफ लड़नेके लिए मैदानमें आनेसे इस धूर्त संक्रमणके खिलाफ लड़ाई आसान हो जायगी। डा. विनय अग्रवाल उन डाक्टरोमेंसे हैं जिन्होंने इस कठिन कालमें अनगिनत लोगोंको अस्पतालोंमें बेड दिलवाये हैं। वह फरिश्ता बनकर सामने आये हैं। उन्हींकी तरहसे देशभरके लाखों डाक्टर भी एक्टिव हैं।
सेना तो कोरोनाके खिलाफ जंग छेड़नेके लिए पहलेसे तैयार थी। सेना कोरोनासे निबटनेके लिए क्वांरटीन सुविधाओंको सभी कैंटों और अस्पतालोंमें तैयार कर रही थी। उसने इस बाबत अपने अस्पतालोंके लगभग नौ हजार बेड पहलेसे तैयार रखे हुए थे। वह जरूरत पड़नेपर उसे दो-तीन गुना बढ़ानेमें सक्षम है। डिफेंस पब्लिक सेक्टर यूनिट जरूरी मेडिकल उपकरणोंका उत्पादन भी कर रही थी। सेनाके पास एक ‘छह घंटेÓ का प्लान तैयार है, जिसके तहत तुरन्त ही आइसोलेशन सेंटरों और आईसीयूकी श्रृखंलाको तैयार किया जा सकता है। एनसीसीके २५ हजार कैडेट्सको सिविल प्रशासनकी मददके लिए तैयार हैं। मेडिकल कर्मचारियोंको एक-जगहसे दूसरी जगह पहुंचानेके साथ एयर फोर्स मेडिकल सप्लाई जैसे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट, हैंड सेनेटाइजर्स, सर्जिकल गलव्स, थर्मल स्कैनरलकी भी सप्लाई कर रही है। इसके साथ ही एयरफोर्स जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, मणिपुर और नगालैंडमें मेडिकल सप्लाई तो पहुंचा ही रही है।
सबसे खास बात यह है कि सेनाके अस्पातल शानदार हैं। राजधानीके आर्मी अस्पतालका पूरा नाम आर्मी हास्पिटल रिसर्च एंड रेफेरल है। यह अगल साल यानी सन्ï २०२२ में अपना एक सदीका सफर पूरा कर लेगा। जब यह बना होगा तब धौलाकुआसे आगे बिल्कुल बीहड़ जंगलवाली स्थितियां होंगी। हां, तबतक दिल्लीमें लेडी हार्डिग मेडिकल कालेज और अस्पताल (१९१४) तो बन चुका था। इसे देशके सबसे प्रमुख आर्मी अस्पतालका दर्जा प्राप्त है। यहांसे एमडी तथा एमएसकी डिग्री भी ली जा सकती है। इसके अलावा नर्सिंगका डिप्लोमा भी अभ्यार्थी ले सकते हैं। यूं तो आर्मी हास्पिटल देशके सभी खास शहरों और सीमावर्ती इलाकोंमें हैं, परन्तु यदि कोई जवान गंभीर रोगसे जूझता है तो उसे दिल्लीके आर्मी अस्पतालमें ही शिफ्ट कर दिया जाता है। आपको याद होगा कि पाकिस्तानसे वापस आनेके बाद विंग कमांडर अभिनन्दन वर्धमानका भी कुछ समयतक यहांपर ही उपचार हुआ था। आर्मी हास्पिटलके डाक्टरों, नर्सों और दूसरे स्टाफने १९४८, १९६५, १९७१ और कारगिल जंगोंके समय घायल सैनिकोंकी दिन-रात सेवा करके उन्हें स्वस्थ किया था। इसके अलावा यहांका स्टाफ भारतीय शांति सेनाके सैनिकोंका भी इलाज करता रहा है। तो अब सेना लड़ेगी कोरोनासे।